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पूजा में यंत्रों का महत्त्व क्यों?〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️

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पूजा में यंत्रों का महत्त्व क्यों? 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ विद्वानों का मानना है कि पूजा के स्थान पर देवी देवताओं के यंत्र रख कर उनकी पूजा उपासना करने से अधिक उत्तम फल मिलता है, क्योंकि देवी-देवता यंत्र में स्वयं वास करते हैं। अतः मंत्रों की तरह ही यंत्र भी शीघ्र सिद्धि देने वाले होते हैं। यों भी कहा जा सकता है कि यंत्र, मंत्रों का चित्रात्मक प्रदर्शन हैं, देवता का शरीर है और मंत्र देवता की आत्मा। यंत्र का तात्पर्य चेतना अथवा सजगता को धारण करने का माध्यम या उपादान माना गया है। ये ज्यामितीय आकृतियां होते हैं, जो त्रिभुज, अधोमुखी त्रिभुज, वृत्त, वर्ग, पंच कोण तथा षट्कोणीय आदि आकृतियों के होते हैं। मंडल का अर्थ वर्तुलाकर आकृति होता है, जो ब्रह्मांडीय शक्तियों से आवेशित होती है। यंत्र की नित्य पूजा उपासना और दर्शन से व्यक्ति को अभीष्ट की पूर्ति तथा इष्ट की कृपा प्राप्त होती है। इन्हीं अनुभवों को ध्यान में रखते हुए हमारे पूर्वज मनीषियों ने यंत्रों का निर्माण सर्वसाधारण के लाभ हेतु किया। ध्यान रखें कि यंत्रों को प्राणप्रतिष्ठित कराकर ही पूजा स्थल में रखें, तभी वे फलदायी होंगे। भुवनेश्...

ग्रह एवं कुंडली

1. गुरु तृतीय भाव में हो तो एक भाई जातक का फायदा उठाता है। 2. चंद्र अष्टम भाव में हो तो जातक के नौकर उसकी नहीं सुनेंगे। 3. शनि अष्टम में हो तो व्यक्ति आसानी से मुसीबत में फंस जाएगा। 4. गुरु नवम भाव में हो तो जातक आसानी से मुसीबत से बच जाता है। 5. चंद्र षष्ठ भाव में हो तो नौकर धोखा दे सकते हैं। 6. मंगल एकादश भाव में हो तो चाचा मतलबी होते हैं। 7. सूर्य लग्न में हो तो भाई संपत्ति का बंटवारा चाहता है। 8. शनि द्वादश भाव में हो तो जातक कंजूस बनता है। 9. मंगल षष्ठ भाव में हो तो जीवन में प्रगति निश्चित होती है। 10. मंगल द्वितीय भाव में हो तो पत्नी उसकी नहीं सुनेगी। 11. सूर्य नवम भाव में हो तो जातक महात्माओं और सिद्धों का भक्त बन जाता है। 12. राहु पंचम भाव में हो तो कठिन विषय आसानी से समझा देता है। 13. तृतीय का शनि धन कमाने की बुद्धि देता है, पर किताबी नहीं। 14. गुरु चतुर्थ भाव में हो तो धन ज़िम्मेदारियों या खर्चों में निकल जाता है। 15. पंचम में में चंद्र हो तो प्रेम में धोखा मिलेगा या व्यक्ति खुद छोड़ देगा। 16. केतु षष्ठ भाव में में हो तो परिवार में एक पुरुष या सबसे बड़ी स्त्री जो बोले, वही हो...

व्यपारी के लिए उपाय

व्यवसाय में आने वाली बाधाएं दूर करने के उपाय 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ जैसा कि हम जानते है कोई भी व्यवसाय बिना किसी बाधा के चल नहीं सकता। कई बार इन बाधाओं का स्वरूप सामान्य ही रहता है लेकिन कई बार यह बहुत बड़ा रूप धारण कर लेता है। जो जातक को भारी हानि तथा अनेक समस्याएं दे जाता है। इसलिए कोई भी जातक यह प्रार्थना अवश्य करता है कि उसके व्यवसाय में किसी प्रकार की बाधा नहीं आए इसके उपरांत भी यदि आपको अनुभव होता है कि आपके व्यवसाय में अचानक ही बाधाएं आने लगी है तो उन बाधाओं को समाप्त करने के लिए आप निम्न उपायों में से कोई भी उपाय कर लाभान्वित हो सकते हैं। यहां पर हम आपको कुछ ऐसे ही सरल उपाय बता रहे हैं जिनको करने से आपका व्यवसाय पहले वाली गति से भी तीव्र गति से चलने लगेगा। 1👉 किसी भी माह के प्रथम शनिवार को मिट्टी की मटकी को ढक्कन सहित खरीदें तथा व्यवसाय स्थल के नैऋत्य कोण में जाकर मटकी में 100 ग्राम काले तिल, इतनी ही पीली सरसों, एक लकड़ी के कोयले का टुकड़ा, एक बड़ी लोहे की कील तथा कुछ दाने काले उड़द के डालकर ढक्कन लगाकर नीले कपड़े से मटकी का मुंह बंद कर दें। मटकी को उसी स्थान पर ही...

कुंडली के बारह (१२) भाव में सूर्य का प्रभावलग्न भाव में सूर्य का प्रभाव

कुंडली के बारह (१२) भाव में सूर्य का प्रभाव लग्न भाव में सूर्य का प्रभाव यदि आप भी अत्यंत समस्याओं से परेशान है तथा  अपनी जन्मकुंडली का गहन विश्लेषण एवं समाधान  चाहते है तो संपर्क करे🙏🙏🙏🙏🙏 सवभावः सूर्य को लग्न (प्रथम भाव) में स्थित होने से जातक क्रोधी, स्वाभिमानी, अस्थिर किंतु दृढ इच्छाशक्ति वाला होता है। जातक का ललाट विशाल होता है व बड़ी नाक भी होती है। जातक का शरीर हाँलाकि दुबला-पतला रहता है। लग्नस्थ सूर्य नेत्ररोग यदि सूर्य मेष सिंह हुआ तो रात्रि में कम दिखाई दे यह संभवतः हो सकता है ।  जातक यदि स्वतंत्र व्यवसाय करें या नौकरी उसे उच्चपद की प्राप्ति अवश्य होती है। वह संपत्तिवान भी होता है। सप्तम दृष्टिः सूर्य के लग्न में स्थिर होने से उसकी सप्तम दृष्टि सप्तम भाव (पत्नी) पर पड़ती है जिससे जातक अपनी पत्नी से दुखी होता है। मित्र/शत्रु राशिः मित्र, स्व या उच्च राशि में सूर्य के प्रथम भाव के प्रभाव बहुत सकारात्मक व अधिक होते हैं। जातक अतिमहत्वपूर्ण बनता है व उसका यश बहुत अधिक फैलता है। सूर्य के शत्रु राशि में उपस्थित अपयश भी प्रदान कर सकती है या यश को कम कर सकती है। प्रथ...

वास्तु विचार []

[] वास्तु विचार [] ~~~~~~~~~~~~ मित्रो, आपके घर में आये दिन कलह होती है? क्या घर में झगड़ों की वजह से आपका मन दिन भर तनाव/बिमारी से भरा रहता है, या फिर घर में झगड़ों के कारण आपके बहुत से काम रुक जाते हैं? ☆यदि ऐसा है तो हो सकता है आपके घर का वास्तु ठीक नहीं हो। रसोईघर में पूजा का मंदिर नहीं रखना चाहिए। ☆बेडरूम में भगवान के कैलेंडर या तस्वीरें या फिर धार्मिक आस्था से जुड़ी वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए। बेडरूम की दीवारों पर पोस्टर या तस्वीरें नहीं लगाएं तो अच्छा है। ☆हां अगर आपका बहुत मन है, तो प्राकृतिक सौंदर्य दर्शाने वाली तस्वीर लगाएं। इससे मन को शांति मिलती है, पति-पत्नी में झगड़े नहीं होते। ☆घर में शौचालय के बगल में देवस्थान नहीं होना चाहिए। ☆घर के मुखिया का बेडरूम दक्षिण-पश्चिम दिशा में अच्छा माना जाता है। घर में घुसते ही या "NE" में शौचालय नहीं होना चाहिए। ☆परिवार में लड़ाई-झगड़ों से बचने के लिए ड्रॉइंग रूम यानी बैठक में फूलों का गुलदस्ता लगाएं। ☆घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भा...

कुंडली का नवम भाव...

कुंडली का नवम भाव... जन्मकुंडली का नौवां घर सर्वाधिक शुभ घरों में गिना जाता है इस घर का अपना विशेष महत्व है मैंने जीवन में इस घर का प्रभाव स्वयं अनुभव करके देखा है अक्सर हम राजयोग के बारे में बात करते हैं हर व्यक्ति की कुंडली में राजयोग और दरिद्र योग मिल जायेंगे | हर योग की कुछ समय अवधि रहती है दो तीन साल से लेकर पांच छह साल तक ही ये योग प्रभावशाली रहते हैं जिस राजयोग के विषय में मैं सोच रहा हूँ अलग है नवम भाव से बनने वाला योग पूरे जीवन में प्रभाव कारी रहता है... कुछ लोगों को आगे बढ़ने के अवसर ही नहीं मिल पाते और कुछ लोग अवसर मिलते ही बहुत दूर निकल जाते हैं | बदकिस्मती जो जीवन बदल दे इसी घर की देन होती है | खुशकिस्मती जो अगली पीढ़ियों के लिए भी रास्ता साफ़ कर दे नवम भाव का प्रबल होना दर्शाती है | मनपसंद जीवनसाथी पाने की आस में पूरा जीवन गुजर जाता है उसके साथ जिसे कभी पसंद किया ही नहीं | जिन्दगी के साथ समझौता कर लेना या यह मान लेना कि यही नसीब था इन घटनाओं के लिए नवम भाव ही उत्तरदायी है | आस लगाकर बैठे हजारों हजार लोग भाग्य के पीछे भागते रहते हैं और यह भी सच है कि इस दौड़ में हम सब हैं | प्...

काली मिर्च से धन प्राप्ति के अचूक उपाय

काली मिर्च से धन प्राप्ति के अचूक उपाय    जीवन में धन अति आवश्यक है। धन न हो तो व्यक्ति के जीवन में खुशियां भी बेमानी लगती है और यदि धन है तो हर दिन एक नई खुशी होती है। अनेक धर्म ग्रंथों में भी धन के महत्व का वर्णन किया गया है।  तंत्र शास्त्र के अंतर्गत कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से धन की चाह पूरी हो जाती है और जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती। ऐसे ही कुछ उपाय नीचे लिखे हैं- उपाय 1- शनिवार के दिन पीपल का एक पत्ता तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर उसके ऊपर हल्दी तथा दही के घोल से अपने दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से ह्रीं लिखें। इसके बाद इस पत्ते को धूप-दीप दिखाकर अपने बटुए में रखे लें।  प्रत्येक शनिवार को पूजा के साथ वह पत्ता बदलते रहें। यह उपाय करने से आपका बटुआ कभी धन से खाली नहीं होगा। पुराना पत्ता किसी पवित्र स्थान पर ही रखें। 2- काली मिर्च के 5 दाने अपने सिर पर से 7 बार उतारकर 4 दाने चारों दिशाओं में फेंक दें तथा पांचवें दाने को आकाश की ओर उछाल दें। यह टोटका करने से आकस्मिक धन लाभ होगा। 3- अचानक धन प्राप्ति के लिए सोमवार के दिन श्मशान में स्थित महादेव मंदिर ...