चलिए आज शनि देव की बात करते है
चलिए आज शनि देव की बात करते है
जानते सब हैं ही क्योंकि उनकी दसा, साढ़े साती,ढया,से डरते हैं कोई पूछे न पूछे शनि क़ो जरूर पूछता हैं और जरुरी भी हैं,कहते की के शनि के फल देने की गति मंन्द होती हैं।👉🏼शनि को तीव्र ग्रह माना गया है,भले ही इनकी चाल मंद गति की है लेकिन इनके फल के परिणाम लम्बे चलते है और प्रभाव तीव्र है, सामान्यतः यह माना जाता है कि यह चिन्ता कारक ग्रह है। वास्तव में शनि चिन्तन कारक ग्रह है, जो कि मनुष्य को हर समय सोचने के लिए विवश करता रहता है। और ओ करें भी क्यों न शनि दोष होने पर व्यक्ति नशे का आदी बन जाता हैं, राहु नशे की ओर धकेलने के लिए हैं और पक्का आधी तामसिक शनि देता हैं ज़ब राहु शनि एक साथ हों तोह शुरू मे आदमी खूब ऊपर जाता हैं लेकिन फिर उसका घर गाड़ी फैक्ट्री विकवाके रोड पर ला देता हैं 👉आजकल मैंने अधिकतर की कुंडली मे शनि या बलहीन हैं या अस्त हैं और उनके नौकरी, काम काम स्वास्थ्य, सम्मान, सब खराबी मे हैं। शनि द्वारा दी चोट लम्बी चलती हैं रोग, ऋण, गरीबी,रोग अधिकतर जैसे कैंसर, हड्डी मे फैक्चर,, बार बार चोट लगना,और ज़ब भी ये केतु के साथ होगा और दोनों मेसे एक का समंध -8वें -12वें भाव से बनेगा तोह अचानक से रोग शामने आते हैं जिनका इलाज लम्बा चलता है पर अधिक केस मे ये शरीर के किसी हिस्से मे कैंसर देते है जो की कम ही लोग उससे लड़ पाते है क्यूंकि जन्म और मृत्यु का रखा ही यही इसलिए 8वें भाव के सम्पूर्ण मालिक है , और इन समय के गोचर मे ये काल पुरुष की 12वी राशि मे है ओ राहु के साथ जिससे अधिकतर देखने मे आरा है बडा एक्सीडेंट, आग का खतरा या घटनाये सामने आती रही है , कुंडली की स्थति और घर से कुलदेवी का रुस्ट होना जोकि ये योग उन्ही की कुंडली मे आता हैं जिनके कर्म ख़राब हैं या पूर्व जन्म मे अधिक ख़राब रहे होंगे। यहाँ लम्बे समय से कोर्ट चलते रहना, अधिक समय तक का कारावास, लम्भी बीमारी से निधन, लम्बे कर्ज़े मे फंसा के रखना उसमे या तोह जेल की सजा भोग रहे लोग होंगे और ऐसे भी होंगे जिन्होंने अपणा सब कुछ बेच बाच के कर्ज़ा दिया हों या सरकार ने बैंक ने नीलामी की हों यही सब होना ये दोसपूर्ण शनि हैं।और शनि द्वारा दिया सुख भी लम्बा चलता हैं जिसे स्थायी सुख भी बोलते हैं। शनि जिस ग्रह जुड़ते हैं यानि युति मे होंगे मित्रवत भी शत्रुवत व्यवहार करते हैं आजके टाइम 45% से अधिक लोग शनि दोष से पूर्ण हैं पर ज्ञात नहीं हैं।मनुष्य जीवन में सबसे अधिक चिन्ता का कारण ही तों यही चीज़े हैं आयु, मृत्यु, धन-हानि, घाटा, मुकदमा, शत्रुता इत्यादि यही है..
जैसा कि मैंने ऊपर विवेचन दिया है कि शनि चिन्तन प्रधान ग्रह है। ये किसी भी भाव मे हों और दोसपूर्ण यानि बुरे फल मे हों तों उस भाव से समन्धित सभी चीज़ो पर चिंता बडा देते हैं और साथी अपने वास्तविक फल जो इनके हैं जैसे काम काज के हाल क़ो यानि काम के प्रति मेहनत और संघर्ष भी बढा देते हैं और जातक चिंता और चिंतन दोनों मे डूबा रहता हैं और खुद क़ो लोगो से अकेला कर भी लेता हैं और पाता भी हैं क्योंकि इनको लगता हैं कोई साथ नी होगा।इस कारण हर व्यक्ति शनि से डरता है और शनि बाधा का उपाय भी ढूँढता है।वास्तव में बलवान शनि मनुष्य को विपत्ति में भी लड़ने की क्षमता और ऐसे ही कई गुणों का विकास करता है, जिससे वह व्यक्ति दूसरों पर हावी रह सकता है। वैसे दोपूर्ण शनि के और भी लक्षण हैं जो समान्य लगते हैं 👉मनुष्य मे उन्माद, छोटे रोग जल्दी सामने आते हैं, अकारण क्रोध, वातरोग, स्नायु रोग,इत्यादि से ग्रसित हों जाना । शनि थोड़ा स्वार्थी ग्रह है, इस कारण यह व्यक्ति की कुण्डली में श्रेष्ठ होने पर उसे अभिमान युक्त, किसी भी प्रकार से प्रगति करने की कला से युक्त कर देता है। 
शनि ग्रह के चार पाये यानि पाद 👉लौह, ताम्र, स्वर्ण, और रजत के होते हैं। शनि ग्रह जब गोचर में सोना या स्वर्ण और लोहपाद में चल रहा होता है तो शनि ग्रह का अच्छा प्रभाव नहीं माना जाता और शनि ग्रह चाँदी या ताँबे के पाये से चल रहा होता है तो उनको अच्छा-बुरा दोनों ही फल देखने को मिलते हैं। 
👉🏼यदि इस तरह की समस्या आ रही है तोह किसी योग्य विधवान से संपर्क करें समय रहते बाकी हरी इच्छा 🙏🏼
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