ग्रह एवं कुंडली

1. गुरु तृतीय भाव में हो तो एक भाई जातक का फायदा उठाता है।
2. चंद्र अष्टम भाव में हो तो जातक के नौकर उसकी नहीं सुनेंगे।
3. शनि अष्टम में हो तो व्यक्ति आसानी से मुसीबत में फंस जाएगा।
4. गुरु नवम भाव में हो तो जातक आसानी से मुसीबत से बच जाता है।
5. चंद्र षष्ठ भाव में हो तो नौकर धोखा दे सकते हैं।
6. मंगल एकादश भाव में हो तो चाचा मतलबी होते हैं।
7. सूर्य लग्न में हो तो भाई संपत्ति का बंटवारा चाहता है।
8. शनि द्वादश भाव में हो तो जातक कंजूस बनता है।
9. मंगल षष्ठ भाव में हो तो जीवन में प्रगति निश्चित होती है।
10. मंगल द्वितीय भाव में हो तो पत्नी उसकी नहीं सुनेगी।
11. सूर्य नवम भाव में हो तो जातक महात्माओं और सिद्धों का भक्त बन जाता है।
12. राहु पंचम भाव में हो तो कठिन विषय आसानी से समझा देता है।
13. तृतीय का शनि धन कमाने की बुद्धि देता है, पर किताबी नहीं।
14. गुरु चतुर्थ भाव में हो तो धन ज़िम्मेदारियों या खर्चों में निकल जाता है।
15. पंचम में में चंद्र हो तो प्रेम में धोखा मिलेगा या व्यक्ति खुद छोड़ देगा।
16. केतु षष्ठ भाव में में हो तो परिवार में एक पुरुष या सबसे बड़ी स्त्री जो बोले, वही होता है।
17. केतु + शुक्र की युति होने पर पैसा बैंक में टिकता नहीं, धन सही जगह नहीं लगता।
18. द्वादश भाव का केतु माता-पिता को भक्ति देता है, लेकिन भौतिक सुखों में कमी करता है।
19. पंचम भाव में केतु प्यार को छिपाए रखता है या रहस्यमय ढंग से व्यक्त करता है।
20. शनि + केतु युति होने पर एक व्यक्ति पूरे परिवार से अलग होता है - बहुत आध्यात्मिक ।
21. तृतीय का केतु टैलेंट देता है, लेकिन उसे बाहर लाने का मौका नहीं देता (कम Exposure)।
22. दशम का केतु + चतुर्थ का राहु सोच अगर अमल में लाए तो ऊँचाई तक पहुंचेगा, वरना Productivity down.
23. केतु द्वितीय, द्वादश भाव या लग्नेश से जुड़ जाए तो व्यक्ति को सब छोड़ने की तीव्र भावना आती है।
24. राहु जिस भाव में हो उस भाव की भौतिक लालसा बढ़ा देता है, आध्यात्मिकता घटाता है।
25. केतु जिस भाव में हो उस भाव की भौतिक इच्छा कम करता है, और आध्यात्मिकता देता है।
26. राहु + मंगल (संबंध) होने पर व्यक्ति दूसरों के झगड़े सुलझाने में खुद फंस सकता है बचाव में सतर्कता ज़रूरी।
27. लग्नेश + केतु होने पर व्यक्ति खराब समय में भगवान या ओकल्ट साइंस की ओर झुकता है।
28. लग्नेश + राहु हो तो व्यक्ति पहले पैसा, रिश्तेदारी, जान-पहचान में भरोसा करता है लेकिन अंततः केतु जैसे विरक्त मार्ग पर जाता है।
29. राहु का चंद्र से संबंध घर की कोई महिला अकेले बड़बड़ाती है।
30. केतु का चंद्र से संबंध परिवार में कोई सदस्य मानवता के नाते भूखों को भोजन कराता है।
31. केतु की प्रकृति - जिस भाव या ग्रह से जुड़ता है, उसमें अकस्मिकता ( suddenness )पैदा कर देता है।
32. कीमती वस्तु अगर गुम या चोरी हुई हो उस भाव या कारक ग्रह से राहु का संबंध देखने लायक है।
33. जब व्यक्ति को अपमान या ठोकर लगे और दुनिया बदलने की भावना जागे तो राहु अत्यंत सक्रिय हो जाता है।
34. केतु वाले जातक में अजीब भावनाएं अचानक आती हैं "सब छोड़ दूं", "दुनिया त्याग दूं" ये केतु की देन होती है।  अस्तु ।

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