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Showing posts from April, 2019

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" Tera Mera saath" पति ने पत्नी को किसी बात पर तीन थप्पड़ जड़ दिए, पत्नी ने इसके जवाब में अपना सैंडिल पति की तरफ फेंका, सैंडिल का एक सिरा पति के सिर को छूता हुआ निकल गया। मामला रफा-दफा हो भी जाता, लेकिन पति ने इसे अपनी तौहीन समझी, रिश्तेदारों ने मामला और पेचीदा बना दिया, न सिर्फ़ पेचीदा बल्कि संगीन, सब रिश्तेदारों ने इसे खानदान की नाक कटना कहा, यह भी कहा कि पति को सैडिल मारने वाली औरत न वफादार होती है न पतिव्रता। लड़के ने लड़की के बारे में और लड़की ने लड़के के बारे में कई असुविधाजनक बातें कही। मुकदमा दर्ज कराया गया। पति ने पत्नी की चरित्रहीनता का तो पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। छह साल तक शादीशुदा जीवन बीताने और एक बच्ची के माता-पिता होने के बाद आज दोनों में तलाक हो गया। पति-पत्नी के हाथ में तलाक के कागज़ों की प्रति थी। दोनों चुप थे, दोनों शांत, दोनों निर्विकार। मुकदमा दो साल तक चला था। अंत में वही हुआ जो सब चाहते थे यानी तलाक ................ यह महज़ इत्तेफाक ही था कि दोनों पक्षों के रिश्तेदार एक ही टी-स्टॉल पर बैठे , कोल्ड ड्रिंक्स लिया। यह भी महज़ इ

तुलसीदास कथा हिंदी

मित्रो बाबा तुलसीदासजी रामचरितमानस में कहते हैं, कि कलयुग के समान कोई युग नहीं है, आखिर बाबा तुलसी ऐसा क्यों कहा रहे हैं, पढ़े इस प्रस्तुति में,,,,,, *नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥ कालनेमि कलि कपट निधानू। नाम सुमति समरथ हनुमानू॥ भावार्थ:-कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ज्ञान ही है, राम नाम ही एक आधार है। कपट की खान कलियुग रूपी कालनेमि के (मारने के) लिए राम नाम ही बुद्धिमान और समर्थ श्री हनुमान्‌जी हैं॥ *राम नाम नरकेसरी कनककसिपु कलिकाल। जापक जन प्रहलाद जिमि पालिहि दलि सुरसाल॥ भावार्थ:-राम नाम श्री नृसिंह भगवान है, कलियुग हिरण्यकशिपु है और जप करने वाले जन प्रह्लाद के समान हैं, यह राम नाम देवताओं के शत्रु (कलियुग रूपी दैत्य) को मारकर जप करने वालों की रक्षा करेगा॥ * सुनु ब्यालारि काल कलि मल अवगुन आगार। गुनउ बहुत कलिजुग कर बिनु प्रयास निस्तार॥ भावार्थ:-हे सर्पों के शत्रु गरुड़जी! सुनिए, कलिकाल पाप और अवगुणों का घर है, किंतु कलियुग में एक गुण भी बड़ा है कि उसमें बिना ही परिश्रम भवबंधन से छुटकारा मिल जाता है॥ * कृतजुग त्रेताँ द्वापर पूजा मख अरु जोग। जो गति हो

Veg strips

Today let's together make KFC Style Crunchy Veg Strips Recipe, this is a veggie loaded crunchy cutlet style long nuggets. Homemade is the best, let's make it! Ingredients Oil -1 tbsp Jeera - ½ tsp Green chili - 1 chopped Onion - 1 chopped Frozen Corn - ¼ cup Frozen peas - ¼ cup Carrot chopped - ¼ cup Salt - to taste Red chilli powder -  1 tsp Coriander powder - 1 tsp White pepper powder - ½ tsp Roasted cumin powder - ½ tsp Garlic powder - 1 tbsp Sugar - a pinch Paneer - 30gm grated Potatoes - 3 boiled, peeled and mashed Breadcrumbs - ¼ cup Corn flour - ½ cup Maida - ½ cup Bread crumbs - 1 cup Crushed corn flakes - 1 cup Oil - to deep fry

Hindi story

.                    "भक्त के वश में भगवान"           एक गरीब बालक था जो कि अनाथ था। एक दिन वो बालक एक सन्त के आश्रम में आया और बोला के बाबा आप सबका ध्यान रखते हैंं, मेरा इस दुनिया में कोई नहीं हैं तो क्या मैं यहाँ आपके आश्रम में रह सकता हूँ ?           बालक की बात सुनकर सन्त बोले बेटा तेरा नाम क्या हैं ? उस बालक ने कहा मेरा कोई नाम नहीं हैं। तब सन्त ने उस बालक का नाम रामदास रखा और बोले की अब तुम यहीं आश्रम में रहना। रामदास वहीं रहने लगा और आश्रम के सारे काम भी करने लगा।           उन सन्त की आयु 80 वर्ष की हो चुकी थी। एक दिन वो अपने शिष्यों से बोले की मुझे तीर्थ यात्रा पर जाना हैं तुम में से कौन-कौन मेरे मेरे साथ चलेगा और कौन-कौन आश्रम में रुकेगा ? सन्त की बात सुनकर सारे शिष्य बोले की हम आपके साथ चलेंगे। क्योंकि उनको पता था की यहाँ आश्रम में रुकेंगे तो सारा काम करना पड़ेगा इसलिये सभी बोले की हम तो आपके साथ तीर्थ यात्रा पर चलेंगे। अब सन्त सोच में पड़ गये की किसे साथ ले जाये और किसे नहीं क्योंकि आश्रम पर किसी का रुकना भी जरुरी था।           बालक रामदास सन्त के पास आया और बोला

Gujarati story

સંતાન આપણા માધ્યમથી જન્મે છે પણ આપણું ગુલામ નથી યુવાન થયેલું સંતાન એકાએક શા માટે માબાપની અવગણના કરવા લાગે છે ? અત્યાર સુધી તો ઘરમાં બધું જ બરાબર ચાલતું હતું. ક્યાંય તકલીફ નહોતી. આખું ઘર કિલ્લોલ કરતું હતું તેમાં અચાનક એવું તે શું થયું કે માબાપને લાગવા લાગ્યું કે દીકરો હવે હાથથી ચાલ્યો ગયો છે? હવે તે આપણી વાત સાંભળતો નથી સાંભળે છે તો માનતો નથી. શા માટે..? પહેલી વાત એ કે સંતાન હવે યુવાન થઇ ગયું છે તે વાતનો આપણે સ્વીકાર નથી કરી શક્યા. ઘોડીયામાં હતો ત્યારથી ગઈકાલ સુધી આપણી દરેક વાતને કોઈ પણ જાતની દલીલ વગર સ્વીકારી લેતો પુત્ર કે પુત્રી યુવાન થાય એટલે તેને પોતાની જિંદગીના નિર્ણયો જાતે લેવાનું મન થાય. તેની આ ઈચ્છાનો સ્વીકાર થવો જોઈએ. તેને માટે બધા જ નિર્ણયો આપણે ક્યાં સુધી લઇ આપીશું.? એમની પોતાની પણ પસંદ-નાપસંદ હોય છે. દરેક વાતના અંતે વટહુકમ બહાર પાડી દેવાની આદતમાંથી આપણે હવે મુક્તિ મેળવી લેવી પડશે. સંતાનને દર વખતે સલાહની નહિ પરંતુ ક્યારેક સહકારની પણ જરૂર હોય છે. તે કશુંક નવું કરવા ઈચ્છે ત્યારે તેને સહકાર આપવો પડશે.તેનામાં સમજણ ખીલે તેવા પ્રયત્નો કરવા પડશે. હવે, ‘હું કહું તેમાં કાંઈ મીનમેખ