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Showing posts from June, 2019

सब्जियां बनाने के लिए टिप्स

सब्जियां बनाने के लिए टिप्स: ★ पत्ता गोभी के पूरी तरह से बनने के बाद उसमें मूँगफली के दानों को सेंककर मिला दें तो आप पाएँगी कि पत्ता गोभी का स्वाद जरा बढ़िया है. ★ टमाटर पर तेल लगाकर सेंकें इससे छिल्का आसानी से उतर जाएगा. भजिया-पकोड़ा, आलू बड़ा सर्व करते समय चाट मसाला छिड़कें व तली हरी मिर्च के साथ सर्व करें. मजा दोगुना हो जाएगा. ★ मेथी के साग की कड़वाहट हटाने के लिये उसे काटकर नमक मिलाकर थोड़ी से के लिए अलग रख दें और बाद में इसे पानी से अच्छी तरह धोकर सब्जी बनाएं. ★ पालक को पकाते समय उसमें एक चुटकी चीनी मिला दी जाए तो उसका रंग और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं. ★ पालक पनीर बनाने से पहले पालक की पत्तियों को एक चम्मच चीनी वाले पानी में आधे घंटे तक भिगोकर रखें, अधिक स्वादिष्ट बनेगा. ★ फूलगोभी की सब्जी बनाने से पहले फूलगोभी के टुकड़ों को पानी में डालकर उसमें एक चम्मच विनेगार डाल दें और इन्हें तकरीबन 15 मिनट तक के लिए रख दें. इससे न सिर्फ गोभी की गंदगी दूर होगी बल्कि जो बारीक कीड़े हो जाते हैं, वे भी खत्म हो जाएंगे. ★ फूलगोभी या बंदगोभी बनाते वक्त उसमें एक चम्मच मिल्क या मिल्क पाउडर मिलाने से स

पतझड़ में झांकता वसंत

पतझड़ में झांकता वसंत . ‘‘हैलो सर, आज औफिस नहीं आ पाऊंगी, तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है,’’ रूपा ने बुझीबुझी सी आवाज में कहा. ‘‘क्या हुआ रूपाजी, क्या तबीयत ज्यादा खराब है?’’ बौस के स्वर में चिंता थी. ‘‘नहींनहीं सर, बस यों ही, शायद बुखार है.’’ ‘‘डाक्टर को दिखाया या नहीं? इस उम्र में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए, टेक केयर.’’ ‘‘आप ठीक कह रहे हैं सर,’’ कह कर उस ने फोन रख दिया. 55 पतझड़ों का डट कर सामना किया है रूपा सिंह ने, अब हिम्मत हारने लगी है. हां, पतझड़ का सामना, वसंत से तो उस का सबका नहीं के बराबर पड़ा है. जब वह 7-8 साल की थी, एक ट्रेन दुर्घटना में उस के मातापिता की मृत्यु हो गई थी. अपनी बढ़ती उम्र और अन्य बच्चों की परवरिश का हवाला दे कर दादादादी ने उस की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया. नानी उसे अपने साथ ले आई और उसे पढ़ायालिखाया. अभी वह 20 साल की भी नहीं हुई थी कि नानी भी चल बसी. मामामामी ने जल्दी ही उस की शादी कर दी. पति के रूप में सात फेरे लेने वाला शख्स भी स्वार्थी निकला. उस के परिवार वाले लालची थे. रोजरोज कुछ न कुछ सामान या पैसों की फरमाइश करते रहते. वे उस पर यह दबाव भी डालते कि ना

माधवी

माधवी . दिन भर स्कूल की झांयझांय से थक कर माधवी उसी भवन की ऊपरी मंजिल पर बने अपने कमरे में पहुंची. काम वाली को चाय बनाने को कह कर सोफे पर पसर गई. चाय पी कर वह थकान मिटाना चाहती थी. चूंकि इस समय उस का मन किसी से बात करने का बिलकुल नहीं था इसीलिए ऊपर आते समय मेन गेट में वह ताला लगा आई थी. अभी मुश्किल से 2-3 मिनट ही हुए होंगे कि टेलीफोन की घंटी बज उठी. घंटी को सुन कर उसे यह तो लग गया कि ट्रंककाल है फिर भी रिसीवर उठाने का मन न हुआ. उस ने सोचा कि काम वाली से कह कर फोन पर मना करवा दे कि घर पर कोई नही, तभी घंटी बंद हो गई. एक बार रुक कर फिर बजी. वह खीज कर उठी और टेलीफोन का चोंगा उठा कर कान से लगाया. फोन जबलपुर से उस की ननद का था. माधवी ने जैसे ही ‘हैलो’ कहा उस की ननद बोली, ‘‘भाभी, तुम जल्दी आ जाओ. मां बहुत याद कर रही हैं.’’ ‘‘मांजी को क्या हुआ?’’ माधवी ने हड़बड़ा कर पूछा. ‘‘लगता है अंतिम समय है,’’ ननद जल्दी में बोली, ‘‘तुम्हें देखना चाहती हैं.’’ ‘‘अच्छा,’’ कह कर माधवी ने फोन रख दिया. घड़ी में देखा, 4 बज रहे थे. जबलपुर के लिए ट्रेन रात को 10 बजे थी. माधवी ने टे्रवल एजेंट को फोन कर 2 बर्थ