Posts

Showing posts from September, 2019

पिता की चारपाई

    *पिता की चारपाई* *पिता जिद कर रहाँ था कि उसकी चारपाई गैलरी में डाल दी जाये। बेटा परेशान था। बहू बड़बड़ा रही थी..... कोई बुजुर्गों को अलग कमरा नहीं देता, हमने दूसरी मंजिल पर ही सही एक कमरा तो दिया.... सब सुविधाएं हैं, नौकरानी भी दे रखी है। पता नहीं, सत्तर की उम्र में सठिया गए हैं?* निकित ने सोचा पिता कमजोर और बीमार हैं.... जिद कर रहे हैं तो उनकी चारपाई गैलरी में डलवा ही देता हूँ। पिता की इच्छा पू्री करना उसका स्वभाव भी था। अब पिता की चारपाई गैलरी में आ गई थी। हर समय चारपाई पर पडे रहने वाले पिता अब टहलते टहलते गेट तक पहुंच जाते। कुछ देर लान में टहलते। लान में खेलते नाती - पोतों से बातें करते , हंसते , बोलते और मुस्कुराते। कभी-कभी बेटे से मनपसंद खाने की चीजें लाने की फरमाईश भी करते। खुद खाते , बहू - बेटे और बच्चों को भी खिलाते ....धीरे-धीरे उनका स्वास्थ्य अच्छा होने लगा था। दादा मेरी बाल फेंको... गेट में प्रवेश करते हुए निकित ने अपने पाँच वर्षीय बेटे की आवाज सुनी तो बेटे को डांटने लगा... अंशुल बाबा बुजुर्ग हैं उन्हें ऐसे कामों के लिए मत बोला करो। पापा! दादा रोज हमारी बॉल उठाकर

वेदों के अनुसार ज्योतिष

वेदों के अनुसार ज्योतिष भारत में प्राचीन समय से ही वैदिक ज्योतिष का उपयोग व्यक्ति के भूत, वर्तमान और भविष्य को देखने–समझने के लिए किया जाता है। इस पद्धति के अनुसार जन्म के समय आकाश में ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखकर संतान की जन्मकुंडली तैयार की जाती है। इसी आधार पर बालक के लक्षण, स्वभाव, कैरियर, शादी–ब्याह सहित तमाम चीजों का फलादेश किया जाता है।   क्या आप खुद को पहचानना चाहते हैं। अपनी ताकतों और कमजोरियों को समझते हुए इस दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते हैं तो अपनी जन्मकुंडली का विश्लेषण किसी पारखी ज्योतिषी से करवाएं। आज ही हमारी सेवा  जन्मपत्री  /  जन्मकुंडली   रिपोर्ट हासिल करें।   जैन ज्योतिष जैन धर्म में भी ज्योतिष शास्त्र का प्रयोग कोई नई बात नहीं है, बल्कि सदियों से प्रचुरता पूर्वक प्रयोग होता आया है। इसके अनुसार व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा जब किसी अन्य जीव में प्रवेश करती है तो उसमें तीन से चार प्रहर का समय लगता है। इस बात का भी ज्योतिष गण यहां ध्यान रखते हैं। हालांकि, इसको लेकर कुछ मतभेद भी है। बालक के जन्म लेने पर जिस समय उसकी नाल काटकर माता अलग की

સમાનાર્થી શબ્દો

સમાનાર્થી શબ્દો .લોચન :-ચક્ષુ, આંખ, નયન, નેણ, દગ, નેત્ર, આંખ્ય, ઈક્ષણ , લિપ્સા, ચાક્ષુસ, આર્ક્ષ,નેન અવાજ :-રવ, ધ્વની, નિનાદ, શોર, ઘોઘાટ, ઘોષ, સ્વર, બૂમ, વિરાવ,કલરવ,કિલ્લોલ,શબ્દ,સૂર,કંઠ,નાદ આકાશ :- વ્યોમ, નભ, અંબર, આભ, ગગન, અંતરિક્ષ, અવકાશ, આસમાન, ગયણ, સુરપથ,વિતાન, નભસિલ,ફલક રજની :-રાત્રિ, નિશા, ક્ષિપા, શર્વરી, યામિની , વિભાવરી, નિશીથ, ઘોરા, દોષા, ત્રિયામા,રાત સાગર :-સમુદ્ર, ઉદધિ, રત્નાકર, અબ્ધિ, દરિયો, સમંદર, અંભોધી, મહેરામણ, જલધિ , અર્ણવ , સિધુ, અકૂપાર, મકરાકટ, કુસ્તુભ,સાયર,જ્લનિધી,દધિ, સાયર, અર્ણવ,રત્નાકર,મહેરામણ,મહોદધિ નસીબ :-ભાગ્ય, કર્મ, કિસ્મત, ઇકબાલ, નિયતિ , વિધાતા, પ્રારબ્ધ, દૈવ, તકદીર સુવાસ :-પમરાટ, મહેંક , પરિમલ, સૌરભ, મઘમઘાટ, ખૂશ્બુ, વાસ,પીમળ,સુગંધ ,પરિમણ,ફોરમ, ધરતી :-પૃથ્વી, ધારિણી, વસુંધરા, વસુધા, અવનિ, વિશ્વભંરા,અચલા, વસુમતી,ધરા, ભોય,જમીન, ભોમકા,ધરિત્રી , ક્ષિતી, ધરણી, ભૂપુષ્ઠ , મેદિની, ભૂતળ, પ્રથમી, ભૂમિ, ઈલા, ઉર્વી, ભૂલોક, રત્નગર્ભા,અવનિ, સૂરજ :-રવિ, સૂર્ય, શુષ્ણ, ચંડાશુ, માર્તડ, પુષ્કર, દીશ, અર્યમા ,આદિત્ય, ચિત્રભાનુ, તિગ્માંશુ , મધવા, અંશુમાલી , મરીચી , ખગેશ ,