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RING OF SOLOMON PALMISTRY

RING OF SOLOMON PALMISTRY Location And Meanings Of Ring Of Solomon On the Mount of Jupiter located at the bottom of the index finger, there is a line bowing slightly upward and centering on the Mount of Jupiter, which is called the Ring of Solomon, also referred to as the Ring of Jupiter.  It represents the mental state in pursuit of mysticism.  The Ring of Solomon can appear in a straight line or semi-circle. The line is related to the Judgment of Solomon. If you have the Ring, you are intelligent, intuitive and mysterious;  like to study all kinds of mystery science,  have the keen sixth sense and the strong communicative ability, and thoroughly understand the human nature; also, you are talented in art and can get a position of authority.  Since the Ring of Jupiter represents wisdom and enlightenment in philosophy, it will be suitable for you to work as a teacher, lawyer, and judge, or engage in psychological counseling, religion and numerology.  Also, t...

मस्तिक रोग

मस्तिष्क या (मानसिक रोग) लग्नस्थे घिषणेजीवो दिवाकरसुतो भौमो$थवाघुनगे ! मन्देलग्नगते मदात्मजतप:सस्थे महीन्नदने!!   जन्मकुंडली में शरीर के सभी अंगों का विचार तथा उनमें होने वाले रोगों या विकारों का विचार भिन्न-भिन्न भावों से किया जाता है।  रोग तथा शरीर के अंगों के लिये लग्न कुण्डली में मस्तिष्क का विचार प्रथम स्थान से, बुद्धि का विचार पंचम भाव से तथा मनःस्थिति का विचार चन्द्रमा से किया जाता है। इस के अतिरिक्त शनि, बुध, शुक्र तथा सूर्य का मानसिक स्थिति मे बहुत योगदान होता है को सामान्य बनाये रखने में विशेष योगदान है।मस्तिष्क एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है यह शरीर के सन्तुलन बनाये रखने का काम करता है  यहीं से सभी संदेश व आदेश होकर शरीर में बडे़ से लेकर सूक्षमातिसूक्ष्म अंगों तक को भेजे जाते हैं। यदि हम ज्योतिष की दृिष्टि से विचार करें तो मस्तिष्क रोग कई तरह से हो सकता है  जीसमे डिप्रेशन मन्दबुद्धि  भ्रम,उन्माद पागल हो जाना सभी मानसिक रोग ही कहा जाता है जानते हैं ज्योतिष कि दृष्टि से कुछ उन योगो के बारे मे जीससे ये रोग होता  है कुण्डली में पंचम, नवम, लग्न व लाभ स्...

मच्छमणि के 15 चमत्कारी लाभ -

मच्छमणि के 15 चमत्कारी लाभ -  1. राहू ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए या राहू की महादशा या अन्तर्दशा चल रही हैं, तोमच्छ मणि को धारण करना लाभदायक होता हैं। 2. जो व्यक्ति राजनीति में पूर्ण रूप से सक्रिय है और सफल होने की इच्छा रखते है, उन्हें मच्छमणि जरुर धारण करना चाहिए। 3. आप भी ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जीने के सपने देखते है परन्तु धन की कमी के कारण सभी सपने साकार होने से पहले ही मुरझा जाते है तो मच्छमणि आपको अवश्य धारण करना चाहिए। 4. यदि किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है, कालसर्प दोष के कारण जीवन में आए दिन नई नई मुसीबतें आ रही है, मानसिक शारीरिक तथा आर्थिक कष्ट बढ़ रहे है तो मच्छमणि रत्न अवश्य धारण करना चाहिए, इस रत्न के प्रभाव से कालसर्प दोष के कारण उत्पन्न होने वाले कष्टों का निवारण बहुत जल्दी हो जाता है। 5. यदि कोई जातक त्वचा सम्बन्धी रोगों से परेशान है या पाचन से सम्बंधित कोई रोग बार-बार परेशान कर रहा है, खांसी या क्षय और किडनी रोग से छुटकारा चाहते है तो आपको मच्छमणि अवश्य धारण करना चाहिए। 6. वास्तु दोष निवारण के लिए मच्छमणि धारण करना चाहिए। घर में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को द...

पुखराज के फायदे

पुखराज रत्‍न पहनने के 15 फायदे  - 1. इस स्‍टोन से व्‍यापार, नौकरी, शिक्षा के क्षेत्र में सफलता मिलती है और ये आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में भी सुधार लाता है। 2. सेहत, वैवाहिक जीवन, पैतृक संपत्ति जैसे क्षेत्रों में पुखराज लाभ प्रदान करता है। 3. चूंकि बृहस्‍पति समृद्धि और ज्ञान का स्‍वामी है इसलिए इस रत्‍न को पहनने से उन क्षेत्रों में व्‍यापार एवं नौकरी करने में सफलता और भाग्‍य का साथ मिल सकता है जहां पर बुद्धि एवं रचनात्‍मकता की जरूरत होती है। कानून, शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के अलावा ये स्‍टोन व्‍यापारियों को भी फायदा पहुंचाता है। 4. आर्थिक रूप से स्थिरता लाने और इच्‍छाशक्‍ति बढ़ाने के लिए इस रत्‍न को बहुत लाभकारी माना जाता है। भौतिक सुख की प्राप्‍ति के लिए इसे पहना जा सकता है। ये पीले पुखराज के सकारात्‍मक लाभों में से एक है। 5. पुखराज रत्‍न का सबसे बड़ा फायदा यही है कि इसे पहनने से वैवाहिक सुख में आ रही परेशानियां दूर होती हैं। पति-पत्‍नी में अनबन चल रही हो या दोनों के रिश्‍ते में मनमुटाव हो तो इस स्थिति को पुखराज की मदद से ठीक किया जा सकता है। 6. पुखराज प्रेम और वैवाहिक सु...

માવો

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"માવો" માલી દુધનો માવો બનાવી એક ધોયેલા કપડામાં એને વીંટી સુંડલો માથે ચડાવી ગામની શેરીયુંમા "એ બાયું.. માવો લેવો હોય તો બોલજો" એવું લ્હેકા સાથે બોલે ત્યારે મોળો માવો પણ જાણે મીઠો થઈ જાતો.. માલી અઢારમું વટાવી હજું હમણાં તો ઓગણીસમાં બેઠેલી...માધા માલધારીની માલી અને એનું આખું કુટુંબ દર ઉનાળે ચારો પાણી શોધતાં શોધતા કચ્છ મેલી ને એના માલ ઢોર, બકરા, ઊંટ સાથે બે ત્રણ મહિના પાણીવાળા પ્રદેશ બાજુ પ્રયાણ કરે અને ચોમાસે ઓતરાદી દશે વાદળીયું રમતી દેખાય ત્યારે માદરે વતન તરફ પાછા પગ ઉપાડે.. પણ આ સાલ માધાના કુટુંબના પાછા ફરતાં પગલાઓમાંથી બે પગ ઓછા થવાના હતાં... વાત જાણે એમ બની કે.... ચૈત્ર વૈશાખના વાયરા વાય રહયાં છે, ગામની સીમમાં કોઇના ખેતરમાં માલઢોરા બેસાડી..અડાયા લાકડા અને પાણાંનાં મંળાગા પર માવો પકાવી માલી.. મજેદાર માવો અને કસાયેલું, તાપમાં તપેલું,,તામ્ર વર્ણનું જોબન લઈને નજીકનાં ગામમાં માવો વેંચવા આવેલી... માલીનો મજેદાર માવો અને એમાંય એનું મન મોટું..એ માવો તોળવા માટે ત્રાજવા તો રાખતી જ ન્હોતી.. જે ઘર માવો લેવાં બોલાવે એ ઘરમાં જે વજનીયું હોઈ એને માપ માની નમતા માપે માલી ...

रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं

रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है। 1. रामायण राम के जन्म से कई साल पहले लिखी जा चुकी थी | रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं। 2. वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है , इस घड़ी में जन्म बालक अलौकिक होता है। 3. जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्रीराम से यह भी कह दिया कि...

दाम्पत्य जीवन में कलह के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं।

दाम्पत्य जीवन में कलह के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं। 1- लड़के या लड़की की पत्री में सप्तम भाव में शनि का होना या गोचर करना। 2- किसी पाप ग्रह की सप्तम या अष्टम भाव पर दृष्टि होना या राहु, केतु अथवा सूर्य का वहां बैठना 3- पति-पत्नी की एक सी दशा या शनि की साढ़े साती का चलना भी कलह एवं तलाक का एक कारण होता है। 4- शुक्र की गुरु में दशा का चलना या गुरु में शुक्र की दशा का चलना भी एक कारण है। कलह को दूर करने के कुछ उपायों का वर्णन यहां किया जा रहा है।   5- अगर कलह का कारण शनि ग्रह से संबंधित है तो शनि ग्रह की शांति कर सकते हैं, शनि यंत्र पर जप कर सकते हैं और शनि की वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त सात मुखी रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं। यह उपाय शनिवार को सायंकाल के समय करना ठीक होता है । 6- अगर गृह कलह राहु से संबंधित हो तो राहु यंत्र पर राहु के मंत्र का जप करें एवं 8 मुखी रुद्राक्ष धारण करें। यह सभी प्रकार के कलहों व बाधाओं से मुक्त करता है और राहु के दुष्प्रभाव का निवारण करता है। इसके लिए राहु का दान भी कर सकते हैं। 7- अगर गृह क्लेश का कारण केतु ग्रह हो तो उसकी वस्तुओं का दान...