Posts

Showing posts from May, 2019

खांसी के 10 घरेलू उपाय

खांसी के 10 घरेलू उपाय | Natural Cough Remedies In Hindi 1. खांसी की असरकारी दवा के तौर पर आप गर्म पानी और नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए आप गर्म पानी में चुटकी भर नमक डालकर उससे गरारे कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको खांसी से हुए गले के दर्द से राहत मिलेगी. 2. आंवला खांसी के लिए काफी असरकारी माना जाता है. आंवला में विटामिन-सी होता है, जो ब्लड सरकुलेश को बेहतर बनाता है. अपने खाने में आंवला शामिल कर आप एंटी-ऑक्सीडेंट्स का सोर्स बढ़ा सकते हैं. यह आपकी इम्यूनिटी को मजबूत करेगा. 3. वो कहते हैं न कि एक सुनार की सौ लोहार की. तो बस, पानी भी खांसी में कुछ ऐसा ही कमाल करता है. आप खांसी से परेशान हैं तो गर्म पानी पिएं. यह गले में जमे कफ को कम करने में मदद करेगा. 4. आधा चम्मच शहद में एक चुटकी इलायची और कुछ नीबू का जूस डालें. इस मिश्रण को दिन में दो से तीन बार लें. यह घरेलू नुस्खा खांसी की रामबाण दवा साबित हो सकता है. 5. खांसी की अंग्रेजी दवा तो बहुत से लोग लेते हैं, लेकिन उसे लेने से नींद आने लगती है और उसके साइड इफेक्ट भी बहुत हैं. इसकी जगह आप हल्दी वाला दूध ले सकते हैं. हल्दी वाले दू

मूर्ख कौन

मूर्ख कौन ? किसी गांव में एक सेठ रहता था. उसका एक ही बेटा था, जो व्यापार के काम से परदेस गया हुआ था. सेठ की बहू एक दिन कुएँ पर पानी भरने गई. घड़ा जब भर गया तो उसे उठाकर कुएँ के मुंडेर पर रख दिया और अपना हाथ-मुँह धोने लगी. तभी कहीं से चार राहगीर वहाँ आ पहुँचे. एक राहगीर बोला, "बहन, मैं बहुत प्यासा हूँ. क्या मुझे पानी पिला दोगी?" सेठ की बहू को पानी पिलाने में थोड़ी झिझक महसूस हुई, क्योंकि वह उस समय कम कपड़े पहने हुए थी. उसके पास लोटा या गिलास भी नहीं था जिससे वह पानी पिला देती. इसी कारण वहाँ उन राहगीरों को पानी पिलाना उसे ठीक नहीं लगा. बहू ने उससे पूछा, "आप कौन हैं?" राहगीर ने कहा, "मैं एक यात्री हूँ" बहू बोली, "यात्री तो संसार में केवल दो ही होते हैं, आप उन दोनों में से कौन हैं? अगर आपने मेरे इस सवाल का सही जवाब दे दिया तो मैं आपको पानी पिला दूंगी. नहीं तो मैं पानी नहीं पिलाऊंगी." बेचारा राहगीर उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाया. तभी दूसरे राहगीर ने पानी पिलाने की विनती की. बहू ने दूसरे राहगीर से पूछा, "अच्छा तो आप बताइए कि आप कौन हैं?

एक प्रेरणादायक सच्ची कहानी

**एक प्रेरणादायक सच्ची कहानी** रिक्शा चालक पिता सूखी रोटी खिलाकर  बेटे को बनाया IAS और ढूंढकर लाया IPS बहू दोस्त के पिता ने बेइज्जत कर घर से किया था बाहर इंडिया संवाद फीचर डेस्क वाराणसी : भगवान राम ने भले ही लंका फतेह कर दिवाली मनाई थी, लेकिन उनकी जीत के पीछे केवट, शबरी और वानर सेना जैसे श्रमिकों का बड़ा हाथ रहा. यहां काशी में रिक्शा चलाने नारायण जायसवाल ने लंबे संघर्ष के बाद अपने बेटे को IAS बनाया था. यही नहीं, उनके बेटे की शादी एक IPS अफसर से हुई है. दोनो बेटा-बहू गोवा में पोस्टेड हैं. सूखी रोटी खाकर कटती थीं रातें रिक्शा चालक पिता नारायण बताते हैं, ''मेरी 3 बेटियां और एक बेटा है. अलईपुरा में हम जीवन गुजर- बसर करने के लिए किराए के मकान में रहते थे. मेरे पास 35 रिक्शे थे, जिन्हें किराए पर चलवाता था. सब ठीक चल रहा था. इसी बीच पत्नी इंदु को ब्रेन हैमरेज हो गया, जिसके इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए. 20 से ज्यादा रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन वो नहीं बची. तब गोविंद 7th में था. "गरीबी का आलम ऐसा था कि मेरे परिवार को दोनों टाइम सूखी रोटी खाकर रातें काटना पड़ती थी. मैं खुद गोविं

रिश्ते_की_बेड़िया

ll रिश्ते_की_बेड़ियाँ ll बेटा चल छत पर चलें कल तो तेरी शादी है,आज हम माँ बेटी पूरी रात बातें करेंगे।चल तेरे सिर की मालिश कर दूँ, तुझे अपनी गोद में सुलाऊँ कहते कहते आशा जी की आँखें बरस पड़ती हैं। विशाखा उनके आंसू पोंछते हुए कहती है : "ऐसे मत रो माँ, मैं कौन सा विदेश जा रही हूँ। 2 घण्टे लगते हैं आगरा से मथुरा आने में जब चाहूंगी तब आ जाऊँगी।" विदा हो जाती है विशाखा माँ की ढेर सारी सीख लिए, मन में छोटे भाई बहनों का प्यार लिये, पापा का आशीर्वाद लिये। चाचा-चाची, दादी-बाबा, मामा-मामी, बुआ-फूफा, मौसी-मौसा सबकी ढेर सारी यादों के साथ, "जल्दी आना बिटिया, आती रहना बिटिया" कहते, हाथ हिलाते सबके चेहरे धुंधले हो गए थे विशाखा के आंसुओं से। संग बैठे आकाश उसे चुप कराते हुए कहते हैं सोच लो पढ़ाई करने बाहर जा रही हो। जब मन करे चली आना। शादी के 1 साल बाद ही विशाखा के दादा जी की मृत्यु हो गयी, उस समय वो आकाश के मामा की बेटी की शादी में गयी थी, आकाश विशाखा से कहता है : "ऐसे शादी छोड़ कर कैसे जाएंगे विशु, दादाजी को एक न एक दिन तो जाना ही था। फिर चली जाना !" चुप थी विशाखा क्यों

आज फिर कैलेंडर लेकर बैठी हूं ।

आज फिर कैलेंडर लेकर बैठी हूं पिछले चार दिन से लगातार घर से फोन आ रहा है माँ पापा का- कब आ रही है? कब आ रही है ? हर साल हम सभी यही करते हैं, छुट्टियां आते ही बरबस निगाहें तारीखों पर पड़ने लगती है। बच्चों की छुट्टियां हुई नहीं, कि हमारी सारी प्लानिंग शुरू ,कितने दिन मायके जाना है ,कब जाना है, वापसी कब की होगी? यहां घर पर सारी व्यवस्था बैठा कर जाना, कई बार लगता है बहुत दौड़ भाग हो जाती है इस बार रहने देती हूं, मगर पता नहीं जैसे ही घर से फोन आता है माँ या पापा का ,उस आवाज के मोह मात्र से हम सारी परेशानियां भूल जाते हैं और जोश के साथ अपनी तैयारियों में जुट जातें हैं। यह दस-पंद्रह दिन जैसे पूरे साल की बैटरी चार्ज कर देते हैं । अपने मां बाप के साथ पुराने किस्से दोहराना, भाई, बहन, भाभियों के साथ देर रात तक गप्पे मारना, उन्हीं दुकानों पर घूम घूम कर शॉपिंग करना, मां के हाथ का खाना ,अपने बच्चों को अपने स्कूल -कॉलेज के बाहर से गुजरने पर, हर साल फिर वही कहानियां सुनाना( जो अब उन्हें भी याद हो चुकी हैं 😆) शायद यह पंद्रह दिन हमें उन यादों की गलियारों में सैर करा आते हैं जो कभी हमारे हर दिन का