एक प्रेरणादायक सच्ची कहानी

**एक प्रेरणादायक सच्ची कहानी**

रिक्शा चालक पिता सूखी रोटी खिलाकर  बेटे को बनाया IAS और ढूंढकर लाया IPS बहू

दोस्त के पिता ने बेइज्जत कर घर से किया था बाहर

इंडिया संवाद फीचर डेस्क
वाराणसी : भगवान राम ने भले ही लंका फतेह कर दिवाली मनाई थी, लेकिन उनकी जीत के पीछे केवट, शबरी और वानर सेना जैसे श्रमिकों का बड़ा हाथ रहा. यहां काशी में रिक्शा चलाने नारायण जायसवाल ने लंबे संघर्ष के बाद अपने बेटे को IAS बनाया था. यही नहीं, उनके बेटे की शादी एक IPS अफसर से हुई है. दोनो बेटा-बहू गोवा में पोस्टेड हैं.

सूखी रोटी खाकर कटती थीं रातें

रिक्शा चालक पिता नारायण बताते हैं, ''मेरी 3 बेटियां और एक बेटा है. अलईपुरा में हम जीवन गुजर- बसर करने के लिए किराए के मकान में रहते थे. मेरे पास 35 रिक्शे थे, जिन्हें किराए पर चलवाता था. सब ठीक चल रहा था. इसी बीच पत्नी इंदु को ब्रेन हैमरेज हो गया, जिसके इलाज में काफी पैसे खर्च हो गए. 20 से ज्यादा रिक्शे बेचने पड़े, लेकिन वो नहीं बची. तब गोविंद 7th में था. "गरीबी का आलम ऐसा था कि मेरे परिवार को दोनों टाइम सूखी रोटी खाकर रातें काटना पड़ती थी. मैं खुद गोविंद को रिक्शे पर बैठाकर स्कूल छोड़ने जाता था. हमें देखकर स्कूल के बच्चे मेरे बेटे को ताने देते थे- आ गया रिक्शेवाले का बेटा. मैं जब लोगों को बताता कि मैं अपने बेटे को IAS बनाऊंगा तो सब हमारा मजाक बनाते थे." बेटियों की शादी करने के लिए बचे हुए रिक्शे भी बिक गए. सिर्फ एक बचा, जिसे चलाकर मैं घर को चला रहा था. पैसे नहीं होते थे, तो गोविंद सेकंड हैंड बुक्स से पढ़ता था."

ऐसे बने IAS

गोविंद जायसवाल 2007 बैच के IAS अफसर हैं। वे इस समय गोवा में सेक्रेट्री फोर्ट, सेक्रेट्री स्किल डेवलपमेंट और इंटेलि‍जेंस के डायरेक्टर जैसे 3 पदों पर तैनात हैं. वे हरिश्चंद्र यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद 2006 में सिविल सर्विस की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए थे। वहां उन्होंने पार्ट-टाइम जॉब्स कर अपनी ट्यूशन्स का खर्च निकाला। उनकी मेहनत रंग लाई और फर्स्ट अटैम्प्ट में ही वे 48वीं रैंक के साथ IAS बन गए. गोविंद की बड़ी बहन ममता बताती हैं, ''भाई बचपन से ही पढ़ने में तेज था. मां के देहांत के बाद भी उसने पढ़ाई नहीं छोड़ी. उसके दिल्ली जाने के बाद पिता जी बड़ी मुश्क‍िल से पढ़ाई का खर्च भेज पाते थे. घर की हालत देख भाई ने चाय और एक टाइम का टिफिन भी बंद कर दिया था.''

दोस्त के पिता ने बेइज्जत कर घर से किया था बाहर

गोविंद ने बताया, ''बचपन में एक बार दोस्त के घर खेलने गया था, उसके पिता ने मुझे कमरे में बैठा देख बेइज्जत कर घर से बाहर कर दिया और कहा कि दोबारा घर में घुसने की हिम्मत न करना। उन्होंने ऐसा सिर्फ इसलिए किया, क्योंकि मैं रिक्शाचालक का बेटा था. उस दिन से किसी भी दोस्त के घर जाना बंद कर दिया। उस समय मेरी उम्र 13 साल थी, लेकिन उसी दिन ठान लिया कि मैं IAS ही बनूंगा, क्योंकि यह सबसे ऊंचा पद होता है. हम 5 लोग एक ही रूम में रहते थे। पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। बहन को लोग दूसरों के घर बर्तन मांजने की वजह से ताने देते थे। बचपन में दीदी ने मुझे पढ़ाया. दिल्ली जाते समय पिता जी ने गांव की थोड़ी जो जमीन थी, वो बेच दी। इंटरव्यू से पहले बहनों ने बोला था कि अगर सिलेक्शन नहीं हुआ तो परिवार का क्या होगा। फिर भी मैंने हिम्मत नहीं हारी. आज मैं जो कुछ भी हूं, पिता जी की वजह से हूं। उन्होंने मुझे कभी अहसास नहीं होने दिया कि मैं रिक्शेवाले का बेटा हूं. बता दें, किराए के एक कमरे में रहने वाला गोविंद का परिवार अब वाराणसी शहर में बने आलीशान मकान में रहता है.

जीजा ने ढूंढी थी IPS बीवी

ममता बताती हैं, "2011 में भाई नागालैंड में पोस्टेड था। मेरे पति राजेश को अपने वकील मित्र से बातचीत के दौरान चंदना के बारे में पता चला. वो उस वकील की भांजी थी और उसी साल IPS में सिलेक्ट हुई थी। उसकी कास्ट दूसरी थी, लेकिन हमारी फैमिली को रिश्ता अच्छा लगा. लोगों को लगता है कि यह लव मैरिज थी, लेकिन रियालिटी में अरेंज्ड है, भाई छुट्टी में घर आया तो मेरे पति ने उसके सामने चंदना के मैरिज प्रपोजल की बात सामने रखी। फिर दोनों ने साइबर कैफे में जाकर चंदना की सोशल मीडिया प्रोफाइल सर्च की. गोविंद को वो अपने लिए बेस्ट लगी और रिश्ता आगे बढ़ा. गोविंद को चंदना की नानी देखने आईं थीं. उन्होंने कहा था- इसको टीवी-अखबारों में देखा था. पिता के साथ रिक्शे वाली फोटो लगी थी. इसने अपने पिता का सीना चौड़ा कर देश को मैसेज दिया है. जो लड़का एक कोठरी में पढ़कर आईएस बन सकता है वो जिंदगी में बहुत नाम कमाएगा. और रिश्ता पक्का हो गया.

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