शुक्र के उपाय

शुक्र ग्रह के उपाय—

शुक्र ग्रह के उपाय—-

01.शुक्र की वस्तुओं से स्नान —–
ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है।
यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है। इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है।

02.शुक्र की वस्तुओं का दान —- शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावन का दान किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोगविलास के कारक ग्रह है। इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है । दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है। तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए। दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है।

03.शुक्र मन्त्र का जाप —– शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है।

“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा ”

शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है। मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर विपरीत फल प्राप्त हो सकते है।

वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है । वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है।

04.शुक्र का यन्त्र —–
शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है। शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याये लिखी जाती है। मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए। तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है।
शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सलाह ली जा सकती है. यन्त्र पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसकी नियमित रुप से साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.

05 .–शुक्र गृह का रत्न/रत्न धारण :—हीरा अथवा जरकिन , श्वेत पुखराज,
सफेद मूंगा – चांदी या श्वेत धातु में मढ़वा कर पंचोपचार पूजन, प्राण प्रतिष्ठा करा कर, तर्जनी उंगली में धारण करना चाहिए।
यह रत्न शुक्र को बलवान बनाने के लिए धारण किये जाते है तथा धारक के लिए शुभ होने पर यह उसे सांसरिक सुख-सुविधा, ऐशवर्य, मानसिक प्रसन्नता तथा अन्य बहुत कुछ प्रदान कर सकता है। हीरे के अतिरिक्त शुक्र को बल प्रदान करने के लिए सफेद पुखराज भी पहना जाता है। शुक्र के यह रत्न रंगहीन तथा साफ़ पानी या साफ़ कांच की तरह दिखते हैं। इन रत्नों को आम तौर पर दायें हाथ की मध्यामा उंगली में शुक्रवार की सुबह स्नान करने के बाद धारण किया जाता है। रत्न धारण करने से ग्रह बलवान हो जाता है परन्तु ये सुनिश्चित कर लें की आपकी कुंडली के हिसाब से रत्न धारण कर सकते हैं या नहीं। अच्छा रहेगा किसी योग्य ज्योतिषी से रत्न धारण की सलाह ले लें।

06 .–औषधि धारण :—- शुक्रवार के दिन गुलर की जड़ को सफेद कपड़े में बांध कर व सफेद धागे में (यदि रेशम का हो तो अच्छा है) बांध कर गले या बांह में धारण करना चाहिए। ऐसा करने से शुक्र देव प्रसन्न होते हैं।

कुछ अन्य उपाय,शुक्र को बलि करने के लिए—–

काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।

शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।

किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

10 वर्ष से कम आयु की कन्या को भोजन कराए और चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लें।

अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

सुबह उठते ही बिना बोले मां के चरण स्पर्श करें।

शुक्रवार के दिन रोज कौए को चावल और खुरा खिलाएं।

पत्नी को खुश रखे।

किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

शुक्रवार के दिन गाय के दुध से स्नान करना चाहिए।

किसी मन्दिर में गाय का घी दान दें।

जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन कराएं।

संतान प्राप्ति की कामना से शुक्र को बलि बनाने का सबसे असरदार उपाय है हरसिंगार का पौधा लगाना तथा उसको सींचना। अपने छोटे बच्चे की तरह उसको देखभाल करनी चाहिए।

संतान प्राप्ति के लिए दूसरा अचूक उपाय है नवरात्रि में मां दुर्गा के लिए व्रत रखना, अखंड ज्योत जलाना, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना तथा नवमी वाले दिन 2 से 10 साल तक की कन्याओं को दूध से बनी खीरे खिलाना। संतान प्राप्ति के लिए पंचमी के दिन माँ स्कंदमाता तथा अष्टमी के दिन माँ महागौरी की विशेष पूजा की जाती है …

लक्ष्मी जी की अराधना करें। शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर जाएँ। पति अपनी पत्नी को 1 गुलाब को फूल दे।

तुरंत स्फटिक की माला धारण करें।

स्त्री तथा अपनी पत्नी का कभी भी अनादर नहीं करना चाहिए।

शुक्रवार को कन्याओं को खीर खिलाएं। स्वयं भी खाएं।

परफ्यूम का प्रयोग भी शुक्र को बलवान बनाता है।शुक्र के बलवान हो जाने पर व्यक्ति सभी तरह के प्रेम सुख और समृद्धि की प्राप्ती होती है साथ ही उसका वैवाहिक जीवन भी सुखद होता है।

स्फटिक का शिवलिंग घर में स्थापित कर भगवान् शिव तथा मातारानी से संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करें।

किसी महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए जाते समय 10 वर्ष से कम आयु की कन्या का चरण स्पर्श करके आशीर्वाद लेना चाहिए।

अपने घर में सफेद पत्थर लगवाना चाहिए।

किसी कन्या के विवाह में कन्यादान का अवसर मिले तो अवश्य स्वीकारना चाहिए।

शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध की कुछ बूंदे जल में मिलाकर स्नान करना चाहिए।

चांदी का कड़ा पहनें।

सफ़ेद कपड़ों तथा खुशबूदार वस्तुओं जैसे की इत्र का प्रयोग जरूर करें।

श्रीसूक्त का पाठ करें।

नेत्रहीन व्यक्तियों की सेवा करें

गाय का पीला घी मंदिर में देने से भी शुक्र को बल मिलता है।

प्रतिदिन मंदिर जाकर या घर के ही पूजाघर में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है—

शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है. इस ग्रह के पीड़ित होने पर आपको ग्रह शांति हेतु सफेद रंग का घोड़ा दान देना चाहिए. रंगीन वस्त्र, रेशमी कपड़े, घी, सुगंध, चीनी, खाद्य तेल, चंदन, कपूर का दान शुक्र ग्रह की विपरीत दशा में सुधार लाता है.

शुक्र से सम्बन्धित रत्न का दान भी लाभप्रद होता है. इन वस्तुओं का दान शुक्रवार के दिन संध्या काल में किसी युवती को देना उत्तम रहता है.

-दान व्रत ,जाप – शुक्रवार के नमक रहित व्रत रखें , साथ में “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” इस मन्त्र का 16000 की संख्या में जाप करें |

शुक्रवार को आटा ,चावल दूध ,दही, मिश्री ,श्वेत चन्दन ,इत्र, श्वेत रंग का वस्त्र ,चांदी इत्यादि का दान करें |

शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावल का दान किया जाता है. इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है. इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है. बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है

दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है. तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए. दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है.

ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है. यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए. तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है

शुक्र ग्रह से सम्बन्धित क्षेत्र में आपको परेशानी आ रही है तो इसके लिए आप शुक्रवार के दिन व्रत रखें. मिठाईयां एवं खीर कौओं और गरीबों को दें. ब्राह्मणों एवं गरीबों को घी भात खिलाएं.

अपने भोजन में से एक हिस्सा निकालकर गाय को खिलाएं. शुक्र से सम्बन्धित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए.

वस्त्रों के चुनाव में अधिक विचार नहीं करें.

काली चींटियों को चीनी खिलानी चाहिए।

शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए। किसी काने व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करना चाहिए।

शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।
शुक्र के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपाय /टोटकों हेतु शुशुक्रवार के दिन करे तो ज्यादा प्रभावशाली होते है या जिस दिन शुक्र का कोईनक्षत्र (भरणी, पूर्वा-फाल्गुनी, पुर्वाषाढ़ा) तथा शुक्र की होरा में अधिक शुभ होते हैं, उस दिन करें।
“ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा “

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शुक्र गायत्री मंत्र का जप—-
सरल शब्दों में कहें तो इस मंत्र का जप व्यक्ति को तन, मन से जोशीला और जवां बनाए रखता है। जिससे हर कोई भौतिक सुखों को प्राप्त करने में सक्षम बन सकता है।

शुक्रवार के दिन किसी नवग्रह मंदिर या घर के देवालय में यथासंभव शुक्रदेव की सोने से बनी मूर्ति या लिंग रूप प्रतिमा की यथाविधि पूजा करें। – पूजा में दो सफेद वस्त्र, सफेद फूल, गंध और अक्षत चढ़ाएं।

पूजा के बाद शुक्रदेव को खीर या घी से बने सफेद पकवान का भोग लगाएं। – पूजा के बाद इस शुक्र गायत्री मंत्र का यथाशक्ति जप कर अंत में अगरबत्ती या घी के दीप जलाकर आरती करें। कम से कम 108 बार इस मंत्र का जप करना श्रेष्ठ होता है

ऊँ भृगुवंशजाताय विद्यमहे। श्वेतवाहनाय धीमहि।तन्नो : कवि: प्रचोदयात॥

इस मंत्र से शुक्र ग्रह का देव रूप स्मरण शारीरिक, मानसिक रुप से जोश, उमंग बनाए रख तमाम सुखों को देने वाला होता है।

शुक्र स्त्री गृह है ,मनुष्य की कामुकता से इसका सीधा सम्बन्ध भी है ,और हर प्रकार के सौंदर्य और ऐश्वर्य से ये सीधे सम्बन्ध रखता है .शुक्र के लिए ओपल ,हीरा , स्फटिक का प्रयोग करना चहिये और यदि ये बहुत ही खराब है तो पुरुषों को अश्विनी मुद्रा या क्रिया रोज करनी चहिये .”ओम रीम दूम दुर्गाय नमः” इसकी एक माला रोज करनी चहिये शुक्र को अच्छा करने के लिए .

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