मंगल उच्च नीच

यदि मंगल नीच, अस्त या वक्री हो तथा कुंडली के 1, 4, 8 एवं 12 वें भाव में हो तो मंगल दोष कम हो जाता है। यदि मंगल दुर्बल है, 3, 6, 11वें भावों में अशुभ ग्रह, केंद्र, त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तथा सप्तमेश सप्तम भाव में हो तो दोष कम हो जाता है। या फिर यदि मंगल नवांश में अपनी राशि में हो।

 
जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12 वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो, उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो वह पुरुष जातक गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली उसको माना जाता है।

यदि मंगल लाभदायक है, दूसरी कुंडली में भी 1, 4, 7, 8वें एवं 12वें भाव में पाप ग्रह शनि, राहु, सूर्य, मंगल हों तो भौम मंगल दोष शांत हो जाता है। यदि लड़का और लड़की दोनों मांगलिक हों, तो मंगल का प्रभाव कम हो जाता है। यदि मंगल स्वराशि मेष, वृश्चिक या मूल त्रिकोण उच्च या मित्र राशि में हो तो दोष में कमी आ जाती है। यदि मंगल सिंह के 8वें भाव में है और चन्द्र, गुरु या बुध से युति कर रहा हो तो  भी दोष कम हो जाता है। यदि मंगल धनु के 12 वें भाव में है और दूसरे भाव में मिथुन, कन्या का मंगल हो तो मंगल दोष कम हो जाता है। यदि मंगल आच्छादित है, चतुर्थ भाव में शुक्र की राशि (वृषभ, तुला) का मंगल दोष कम हो जाता है। पुरुष की कुंडली में शुक्र केंद्र त्रिकोण में हो तो दोष कम हो जाता है। यदि मंगल मेष या वृश्चिक में है, कन्या की कुंडली में गुरु केंद्र त्रिकोण में हो तो दोष कम हो जाता है। अष्टम भाव में गुरु राशि (धनु, मीन) का मंगल हो तो दोष में कमी आ जाती है। यदि मंगल उच्च का है, सातवें भाव में मंगल पर यदि शुक्र की दृष्टि हो, तो दोष कम हो जाता है। कर्क एवं सिंह लग्न में लग्नस्थ मंगल का भी दोष कम होता है। यदि उच्च लाभ 9 वें घर में बैठा हो, मेष का मंगल लग्न में, वृशिचक के चतुर्थ में, वृषभ के सप्तम में, कुंभ के अष्टम एवम धनु के द्वादश में हो तो भी मंगल दोष अधिक नहीं होता है।

मंगल दोष कम करने के उपाय :

 
मंगलवार के ये व्रत मंगल दोष के प्रभाव को कम करते हैं और अच्छा परिणाम देते हैं। प्रतिदिन गणेशजी को गुड़ और लाल फूल चढ़ाएं तथा पूजा करते समय 108 बार यह मंत्र पढ़ें ‘ ॐ गं गणपतये नमः’। प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें। चिड़ियों को मीठा खिलाएं। मंगलवार को सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय तक का व्रत करें और इस अवधि में सिर्फ फल और दूध ही लें। मंगल मंत्र का जप, मंत्र: ‘ऊँ अं अगारकाय नम:’  जप संख्या – ११,१००। यदि स्वस्थ हों तो हर चार महीने में एक बार मंगलवार को रक्तदान करें। पीपल विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके कन्या का संबंध अच्छे ग्रह योग वाले वर के साथ करें। मंगल यन्त्र की स्थापना करें और मंगल प्रार्थना करें। मंगल चंडिका मंत्र का नियमित जाप करें। कुम्भ विवाह, विष्णु विवाह और अश्वत्थ विवाह कराएं।

मंगल की पूजा इन 21 नामों के साथ करें-

ऊँ सर्वकाम फलदाय नम:
ऊँ धनदाय नम:
ऊँ मंगलाय नम:
ऊँ महाकाय नम:
ऊँ ऋण हर्वे नम:
ऊँ लोहिताय नम:।
ऊँ सिद्ध मंगलाय नम:
ऊँ भूमि पुत्राय नम:
ऊँ सर्वकर्म विरोधकाय नम:
ऊँ सुहागानां कृपा कराय नम:
ऊँ कुजाय नम:
ऊँ लोहितगाय नम:
ऊँ रक्ताय नम:
ऊँ धरात्मजाय नम:
ऊँ भूमि पुत्राय नम:
ऊँ अंगारकाय नम:
ऊँ भूमिदाय नम:
ऊँ सर्वरोग्य प्रहारिण नम:
ऊँ यमाय नम:
ऊँ प्रहर्त्रे नम:
ऊँ सृष्टिकर्त्रे नम:

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