अस्त ग्रह के असुभ फल से बचे
||#अस्त_ग्रहो_के_अशुभ_फलों_से_कैसे_बचें??|| कोई भी ग्रह जब अस्त होता है तब वह सूर्य के कारण अस्त होता है।सूर्य के नजदीक अंशो में होने से ग्रह अस्त हो जाते है हालांकि कितने अंशो से कितनी दूरी पर कोई ग्रह अस्त हुआ है यह एक अलग बात हैं।लेकिन जब भी कोई ग्रह अस्त होता है तब वह अपने शुभ फल किसी भी तरह से नही देता पाता।ऐसे अस्त ग्रहो के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सूर्य को रोज जल देना चाहिए क्योंकि ग्रह के ताप के कारण अस्त होते है जब सूर्य को जल दिया जाएगा तब ऐसे जातक की कुंडली मे सूर्य का ताप अस्त ग्रह को पीड़ा नही पहुचाएगा साथ ही जो ग्रह अस्त हुआ है यदि वह लग्न अनुसार केंद्र त्रिकोण भाव का स्वामी है तब उसका रत्न पहनकर साथ ही उस ग्रह के मन्त्र जप से ऐसे ग्रह के शुभ फल में वृद्धि होने लगती है।अस्त ग्रहो के उपाय में या जिन जातकों की कुंडली मे ग्रह अस्त हो जाते हसि ऐसे जातकों को सूर्य को रोज जल जरूर देना चाहिए।अस्त ग्रह निश्चित रूप से दुखदाई होते है, एक या एक से ज्यादा ग्रह एक साथ अस्त हो सकते है।कुछ महत्वपूर्ण बातें अस्त ग्रहो की;- #लग्नेश अस्त होने से जीवन अंधकार और उदासीन जैसा रहेगा।। #द्वितीयेश अस्त होने से धन और पारिवारिक दिक्कते रहेगी।। #तृतीयेश अस्त होगा तब कोई खास समस्या नही लेकिन तृतीयेश साथ ही शुभ भावेश भी हुआ तब दिक्कत है।। #चतुर्थेश के अस्त होने की स्थिति ज्यादा खराब रहती है इसका अस्त होने बिल्कुल भी अच्छा नही होता।। #पंचमेश, सप्तमेश, नवमेश, दशमेश, एकादशेश का अस्त होना शुभ नही रहता, ऐसी स्थिति इन भाव के ग्रहो के उपाय करने से राहत मिल सकती है।अगर ग्रह अस्त है तब सूर्य को जल देना, अस्त ग्रह के अशुभ प्रभाव को काफी कम कर सकता है साथ ही अस्त हुये ग्रह को भी बलवान किया जाना आवश्यक होता है तब कुंडली मे बैठे अस्त ग्रह की अशुभता शुभता में बदलती है।
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