||#अस्त_वक्री_नीचभंग_शनि|| शनि की यह तीन अवस्थाएं कहने को अशुभ है लेकिन कितनी और क्या यह स्थिति शुभ फल भी दे सकती है या कैसे फल देगी? इसी पर बात करते है।। कोई भी ग्रह जब अस्त होता है तब वह सूर्य के कारण ही होता है।शनि का निवास अंधकार में है जब यह अस्त हो जाता है तब पूरी तरह अंधकार जैसी स्थिति पैदा करता है क्योंकि अस्त होकर ग्रह अपनी शुभता, शुभ गुण, शुभ फल देने की शक्ति खो बैठता है, अस्त शनि जीवन मे संघर्ष और मेहनत ही कराता रहेगा, हालांकि यह निर्भर करेगा शनि अस्त होकर सूर्य से कितने अंश दूर है या नजदीक है सूर्य और शनि के अंशो में ज्यादा अंतर है कम से कम 8 या 9अंशो की दूरी है तब अस्त होने पर शनि के उपाय करके इसकी अस्त फल से बचा जा सकता है लेकिन जब यह पूर्ण अस्त हो जैसे सूर्य और शनि के बीच अंशा दूरी 4 से 5-6 हो तब यहाँ ज्यादा दिक्कत आती है जैसे सूर्य 10अंश और शनि 15अंश है तक यहाँ शनि अशुभ फल ही देगा, कोई भी ग्रह या शनि उच्च हो या अपनी राशि का हो, नीच या शत्रु राशि मे अस्त होने पर ज्यादा ही निर्बल और अशुभ होगा।। #उदाहरण:- मकर लग्न की कुंडली मे शनि दशमः भाव मे बैठने पर तुला राशि का होगा लेकिन अब यह यहाँ अस्त हो जाये तब उच्च होने पर भी कार्य छेत्र में दिक्कत देगा, हालांकि पूर्ण अस्त है या आधा इस स्थिति में प्रभाव कम ज्यादा होगा लेकिन फल दिक्कत वाला ही होगा, यहाँ शनि उपाय लाभ देगा क्योंकि शनि शुभ भावपति है और शुभ भाव दशमः मे बेठा है।। #वक्री_शनि:- वक्री होने पर यह अपने स्वभाव मर बदलाब कर देता है जिन भी जातको की कुंडली मे यह वक्री होता है निश्चित ही संघर्ष कराता है अपनी दशा-अंतरदशा में , जिस भाव मे बैठेगा खासकर उस भाव के फल में संघर्ष कराएगा जैसे, दूसरे भाव मे धन कमाने में, नवे भाव मे भाग्योदय में।। #उदाहरण:- शनि वक्री होकर सातवे भाव(विवाह भाव) मे बेठे तब यहाँ यह शनि होने में रुकाबटे शादी के समय पर देगा, शादी का रिश्ता संघर्ष के बाद ही मिल पायेगा।दसवे भाव मे वक्री होकर बैठेगा तब कार्य छेत्र में संघर्ष से फल देगा।सफलता-असफलता निर्भर करेगी दशमेश की स्थिति पर, लेकिन फल प्राप्ति जैसे नोकरी, व्यापार में कुछ ज्यादा मेहनत से ही फल प्राप्त होगा।। #नीचभंग_शनि:- शनि मेष राशि पर नीच का होता है नीच होने पर कोई भी ग्रह है वह कमजोर होकर अपने फल पूर्णतः शुभ नही देता, शनि का नीचभंग मंगल और सूर्य ही कर सकते है और यह दोनो शनि के शत्रु है, तब शत्रु ग्रह नीचभंग करके सहयोग करेगा या नही यह कैसे पता चलेगा, जब भी मेष राशि मे बेठे शनि के साथ मंगल बेठा हो या सूर्य बेठा हो या मंगल की दृष्टि नीच शनि पर होगी तब शनि का नीचभंग हो जाएगा लेकिन शनि का यह नीचभंग अमूमन ज्यादा शुभ परिणाम देने में सक्षम नही होता क्योंकि मंगल सूर्य शनि के शत्रु है, ऐसी स्थिति में शनि का नीचभंग मंगल सूर्य के द्वारा जब ही लाभ देता है जब शनि सही नीचभंग करने वाला ग्रह शुभ भावपति हो।जैसे #उदाहरण:- सिंह लग्न में मंगल चतुर्थेश नवमेश होकर योगकारक होने से मंगल परम् शुभ होता है और शनि यहाँ नीच 9वे भाव मे होगा ऐसी स्थिति में शनि के साथ मंगल बेठा हो या शनि पर मंगल की दृष्टि होगी तब यह नीचभंग लाभकारी होगा।। दूसरी स्थिति में कन्या लग्न में अष्टमेश/तृतीयेश होकर मंगल अकारक होकर अशुभ होने से यदि शनि का यहाँ नीचभंग करे, शनि के नीच होने पर तब यह नीचभंग ज्यादा अच्छे फल नही दे पाएगा,ऐसे नीचभंग से कोई लाभ नही होगा।कई जातको की कुंडली मे शनि नीच होकर वक्री होता है, या वक्री होकर अस्त हो जाता है, कई जातको के अस्त, वक्री नीच एक साथ होता है ऐसी स्थिति में शनि के फल बहुत काफी विचित्र स्थिति वाले होते है, किस स्थिति के फल होंगे यह कुंडली मे इसकी स्थिति लर निर्भर करेगा।अस्त, नीच, वक्री शनि के उपाय लाभकारी सिद्ध हो सकते है।इस तरह अस्त,वक्री और नीचभंग हुआ शनि फल देता है।
Chakravyuha
Chakravyuha and the Labyrinth Chakra means "Spinning wheel" and Vyuha means a "Formation". The ancient symbol of the Chakravyuha dates back to the Manu Samhita, Pancaratra Agamas and the Great Epic of Mahabharata. There is much mystery surrounding the meaning of this universal form, which has been found in all corners of the World. Practically in every known civilization and pre-civilizations. The most commonly known in Eastern Cultures are the Vyuha symbol (wheel-battle formation) and the Abhimanyu Yantra (classical labyrinth). They have appeared in Temple architecture, artistic & geometric scuplture reliefs, tantric drawings, charms, korowa tattoos, 'Kote' or 'Fort' board game and Lambs & Tigers board game of the tribes of Nilgiris, as offerings to Lakshmi, the Goddess of Rice, as sacred stones (Mahadeo) embedded in the ground throughout the Subcontinent. Prehistoric examples of labyrinths are thought to have been used against bad spi
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