सर्प दोष शांति
किसी स्त्री या पुरूष की जन्म कुण्डली में राहु और केतु की विशेष स्थिति से बनने वाले योग को कालसर्प दोष कहते है, यह एक ऐसा योग है जो जातक के पूर्व जन्म के किसी जघन्य अपराध के दंड या श्राप के फलस्वरूप उसकी कुंडली में बनता है । ऐसा व्यक्ति व्यावहारिक रूप से पीड़ित, आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे अपनी संतान पक्ष से भी कष्ट होता है, या तो उसे संतान की प्राप्ति ही नहीं होती, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व अनेक रोगों से ग्रसित होती है । कालसर्प दोष से पीड़ित जातकों को रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है । धन से भरपूर धनवान घर में पैदा होने के बावजूद भी ऐसे जोतक अभाव ग्रस्त जीवन ही जाते रहते है ।
कालसर्प दोष निवारण के लिए कुछ सम्पन्न लोग तो बड़े बड़े धार्मिक उपाय अपनी सामर्थ्य अनुसार कर लेते है पर कुछ आर्थिक रूप से असमर्थ लोग ज्यादा पैसा खर्च होने के डर से इसका उपाय नहीं कर पाते और जीवन भर कष्ट सहते रहते है । लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसे सरल उपाय भी बताएं गये है जो बिना धन खर्च किए अपने घर पर ही या किसी भी शिवमंदिर में जाकर स्वयं ही कर सकते है, जिसका लाभ भी जातक को जल्दी ही मिलता हैं ।
वैसे तो कालसर्प दोष शांति की पूजा करने का अचूक काल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी नाग पूजा का विशेष काल कहा गया है, और अगर कोई जातक इस दिन कालसर्प दोष निवारण करता हैं तो उसका दोष नष्ट हो ही जाता हैं । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के देवता शेषनाग हैं । इसलिए यह दिन बहुत शुभ फल देने वाला माना जाता है । नागपंचमी के दिन कालसर्प दोष शांति के लिए नाग और शिव की विशेष पूजा और उपासना जीवन में आ रही समस्त शारीरिक, मानसिक और आर्थिक परेशानियों और बाधाओं को दूर कर सुखी और शांत जीवन की राह आसान बना देती हैं ।
ऐसे करें अपने घर पर ही कालसर्प दोष की पूजा
1- कालसर्प दोष से पीड़ित जातक प्रत्येक सोमवार को ब्राह्म मुहूर्त में 4 बजे सादे जल में गंगाजल मिलाकर स्नान कर धुले हुए सफेद रंग के कपड़े पहने ।
2- पवित्र होकर घर में अगर शिवलिंग हो तो या नहीं हैं तो मिट्टी की छोटी सी शिवलिंग बनाकर, इस मंत्र से स्थापना, आवाहन करें ।
3- शिवलिंग स्थापना मंत्र
ऊँ मनोजूतिर्जुषतामाज्यस्य, बृहस्पतिर्यज्ञमिमं तनोत्वरिष्टं, यज्ञ ग्वगं समिमं दधातु । विश्वेदासइह मादयन्तामो3म्प्रतिष्ठ । ऊँ भूर्भुवः भगवते शाम्भ सदाशिवाय आवाहयामि स्थापयामि । ततो नमस्कारं करोमि ।
4- अब शिवलिंग पर 11 साबुत चावल के दाने 'श्री राम' नाम का उच्चारण करते हुए अर्पित करें ।
5- चावल अर्पित करते समय मन ही मन अपनी विशेष इच्छा, कामना का स्मरण करें ।
6- ऐसा लगातार 11 सोमवार तक करने से अवश्य ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिलेगी । ध्यान रखे कि पूजा का समय एक ही होना चाहिए, बार बार समय नहीं बदलना हैं ।
7- 11 सोमवार तक एक ही समय एक ही स्थान पर किसी प्राचीन शिवलिंग के ऊपर एक मुट्ठी साबुत गेंहू, एक गीला नारियल व एक सिक्का ये सब सामग्री श्री राम' नाम मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्पण करें ।
8- जो सिक्का प्रथम सोमवार को लिया है वही संख्या वाला सिक्का हर बार लेना है, अगर पहले सोमवार को 1 रूपये का सिक्का लिया था तो हर सोमवार को भी 1 रूपये का ही लेना हैं, 2 या 5 का नहीं लेवें ।
9- शिवलिंग पर सबसे पहले गेंहू को अर्पण करें, फिर नारियल एवं उस पर सिक्का रखकर अर्पण करें । इस पूरी क्रिया के दौरान श्री राम नाम का जप निरंतर करते रहें । यह 11 सोमवार तक करे
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