शरद् पूर्णिमा

सनातन धर्म में शरद् पूर्णिमा का बहुत महत्व है । अश्विन मास की पूर्णिमा ( सितंबर-अक्तूबर में किसी दिन ) को शरद् पूर्णिमा कहते हैं ।
शरद पूर्णिमा पर तीन शुभ योगों का निर्माण होता है :--
1) शरद ऋतु
2) अश्विन नक्षत्र 
3) 16 कलाओं से युक्त पूर्ण चन्दमा।

यह तीनों ही दिव्य औषधियों को पोषण देने वाले हैं। 
🕉केतु अर्थात सभी नक्षत्रों की  ध्वजा का वाहक जो अश्विन नक्षत्र का स्वामी ग्रह भी है उसे इन तीनों औषधीय शक्तियों के मिलन का सौभाग्य मिलता है 
🕉पहला 33 कोटि देवताओं में अश्विनी कुमार जो औषधियों के ज्ञानी हैं
🕉 दूसरा 16 कलाओं से युक्त चन्द्रमा जो औषधियों का देवता है। 
🕉तीसरा शरद ऋतु जिसमे सभी दिव्य औषधियाँ जैसे ब्राह्मी, आपामार्ग, अपराजिता, कीड़ा घास, संजीवनी आदि औषधीय गुणों को ग्रहण करती हैं।
🕉शरद ऋतु का आरंभकाल जिस काल से औषधियों का विकास तीव्र गति से होता है। ऐसे में पूर्ण चंद्रमा से युक्त आकाश अश्विनी नक्षत्र, शरद ऋतु और चन्द्रमा के शुभ योग के मिलन से अमृत तुल्य किरणों की वर्षा करता है और औषधियों को नवजीवन देता है।
अश्विनी नक्षत्र का सीधा संबंध अश्विनी कुमारों से है जो वैद्य हैं और सूर्य की संतान हैं। वो ही इसके देवता हैं। इसका संबंध केतु से है जो ध्वज का प्रतीक है। अश्विनी नक्षत्र सबसे आगे चलकर सम्पूर्ण नक्षत्र समूह की अगुवानी करता है। प्रथम धन स्वस्थ शरीर है जो यह नक्षत्र देता है। इसमें सूर्य उच्च है जो आत्मा को आरोग्यता देता है । आरोग्यता अर्थात विकार से रहित अर्थात मोक्ष का प्रतीक। और जब इसमें पूर्ण चन्द्र आ जाता है तो शरीर को आरोग्यता देता है। शास्त्रों के अनुसार रोग निवारण के लिए आश्विन मास विशेष है और विशेषतः गौ घृत, दूध आदि दान से मनुष्य के रोग दूर हो सकते हैं।

🕉इस दिन दूध, चावल और चीनी जिन्हें लक्ष्मी का पदार्थ कहा गया है। लक्ष्मी अर्थात धन और स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। दूध का लैक्टिक एसिड जो चंद्रमा की शुभ किरणों को चावल में उपस्थित स्टार्च और चीनी के योग से शरद ऋतु, चन्द्रमा और गो-दुग्ध जैसी दिव्य औषधि के योग को अमृत तुल्य बना देता है। 🕉औषधियों को इस दिन चन्द्रमा की किरणों के नीचे रख कर सेवन करने से उनकी गुणवत्ता में वृद्धि हो जाती है। आयुर्वेद के विशेषज्ञ वैद्य इस दिन चंद्रमा की किरणों के नीचे विशेष औषधियों का निर्माण भी करते हैं।
वर्ष में एक दिन ब्रह्मकमल इसी दिन खिलता है, जो स्वयं ही दिव्य औषधि है जो कैंसर जैसे रोग का नाश करता है। 
🕉 इस दिन खीर या अन्य निर्मित औषधियों के सेवन से पित्त, प्यास, दाह जैसे रोगों  का तेजी से शमन होता है।
  
  इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्तूबर को शाम 5:45 पर शुरू होकर 31 अक्तूबर शाम 7 बजे तक रहेगी ।
इसलिए 30 अक्तूबर की रात को गाय के दूध और चावल की खीर बनाकर चंदमा की रोशनी में रखकर फिर उस का सेवन करें ।

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