वृषभ राशी के कारकत्व, गुण, स्वभाव इत्यादि।
जय श्री बालाजी
वृषभ राशी के कारकत्व, गुण, स्वभाव इत्यादि।
काल पुरुष के दूसरे भाव को इंगित करती है अतः इसके सारे गुण होंगे जैसे भोजन, धन, वाणी, ज्योतिष, कर्म का ज्ञान, विद्या आदि आदि। लग्न में बैठेगी तो ये सब गुण देगी जातंक में। जिस भाव मे बैठेगी उस भाव मे रस भर देगी।
प्रस्ठ उदय राशी है मतलब अंत मे अपना फल डेफि। शुभ नही मानी जायेगी।
स्त्री राशी है मतलब सौम्य राशी। शुभ राशी। शालीनता सिखाएगी आपको।
स्थिर राशी है। जहाँ बैठेगी उस भाव मे स्थिरता देगी।
वैश्य राशी है मतलब पक्की बनिया वाली बूद्धि रहेगी।
मूल राशी है मतलब पेड़ पौधे वाले गुण। उनके आगे पीछे घूमते रहोगे। एक बंगला बने न्यारा।
हस्व राशी है मतलब छोटी राशी। जिस अंग में बैठेगी उसको छोटा करेगी।
रात्रिबली राशी है मतलब रात में बलवान होती है। जातंक रात को बलवान होगा।
पृथ्वी तत्व राशी है मतलब जातंक जमीन से जुड़ा रहेगा।
अर्ध फलदायी राशी है मतलब जहा बैठेगी उसका आधा फल देगी।
दक्षिण दिशा की राशी है मतलब दक्षिण में बलवान होगी। लाभ में बैठी तो दक्षिन दिशा से लाभ। कर्म में बैठी तो दक्षिण की तरफ जाके कर्म करो।
चतुष्पाद राशी है दसम को चार चांद लगा देगी। भाव बल देगी।
बही राशि है मतलब बाहर की तरफ ज्यादा रहेगी। घर मे दिल नही लगाएगी।
सफेद रंग की राशी है। निरमा वाइट।
तिर्यक द्रष्टि से देखेगी आपको।
शुष्क राशी है मतलब लग्न में हुई या लग्नेश शुष्क ग्रह होकर इसके अंदर हुआ तो सूखा शरीर, दुबला पतला शरीर।
जल के ऊपर उसका आश्र है मतलब जल ही जीवन है। जबतक इसको जल नही मिलेगा भांगड़ा नही कर पायेगी।
आध्यात्मिक राशी है। नवम में हुई या लग्न में हुई तो आपको अध्यात्म की तरफ पक्का मोड़ेगी।
खुले मैदान में घूमने वाली राशी है। लग्न में हुई तो खुला खुला पसंद होगा आपको।
शब्द वाली राशि है अर्थात इस लग्न या राशि वाला जातंक जैसे ही मा के गर्भ से निकलता है तुरंत ही पें पें करने लगता है अर्थात रोने लगता है।
तो इस तरह राशी के गुणों को लग्न या हर भलव में रकह कर फलित देखना चाहिए अपने विवेक से। इसमे ग्रह के गुण भी देखने चाहिए।
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स्थान – अस्तबल, गौशालाय, पशुशाला, फर्नीचर बाज़ार, घर से दूर चारागाह, स्वच्छ मैदान, तहखाना.
राष्ट्र – पर्सिया, मोडिया, मोजेनड्रम, अज़र्बेजान,जॉर्जिया, साइप्रस, पोलेंड, श्वेत रूस , आयरलैंड.
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