आदित्य ह्रदय स्तोत्र

।। जय श्री राम ।।
#आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ नियमित  करने से अप्रत्याशित लाभ मिलता है। आदित्य हृदय स्तोत्र के पाठ से नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति, प्रसन्नता, आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में सफलता मिलती है। हर मनोकामना सिद्ध होती है।
सरल शब्दों में कहें तो आदित्य ह्रदय स्तोत्र हर क्षेत्र में चमत्कारी सफलता देता है।

#आदित्य हृदय स्तोत्र मुख्य रूप से श्री वाल्मीकि रामायण के युद्धकाण्ड का एक सौ पांचवां सर्ग है। भगवान राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अगस्त्य ऋषि द्वारा इस स्तोत्र का वर्णन किया गया था।

#सूर्य की विशेष कृपा के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाता है। शास्त्रों में इस पाठ की महिमा का उल्लेख किया गया है। यहां तक कि भगवान श्रीराम ने भी रावण से विजय प्राप्ति के लिए सूर्यदेव की आराधना इसी पाठ के माध्यम से की थी।
इसके पाठ से कुंडली में सूर्य से जुड़े सारे दोष भी दूर होते हैं। शरीर में स्फूर्ति और मन में आत्मविश्वास भर जाता है।

#सूर्य के समान तेज प्राप्त करने और युद्ध तथा मुकदमों में विजय प्राप्त करने के लिए इसका पाठ अमोघ है।

*जीवन के किसी भी बड़े कार्य में सफलता के लिए भी इसका पाठ उत्तम होगा।

*जो लोग प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी कर रहे हों, ऐसे लोगों को शीघ्र सफलता के लिए इसका पाठ करना चाहिए।

*रविवार को उषाकाल में इसका पाठ करें।

*नित्य सूर्योदय के समय भी इसका पाठ कर सकते हैं।

*पहले स्नान करें और सूर्य को अर्घ्य दें।

*तत्पश्चात सूर्य के समक्ष ही इस स्तोत्र का पाठ करें।

*पाठ के पश्चात सूर्य देव का ध्यान करें।

*रविवार को नमक और तेल का सेवन भी न करें।

#पूर्ण लाभ के लिए इसका तीन बार जाप करें। हर बार जाप के बाद सूर्यदेव को अघ्र्य दें।

#सूर्यदेव की यह उपासना आपके लिए फलदायी सिद्ध होगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। जिस व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी हो, शरीर कमजोर हो, संघर्ष करने की इच्छा शक्ति कमजोर हो, थकावट ज्यादा रहती हो उनके लिए भी सूर्यदेव की यह आराधना रामबाण इलाज की तरह सिद्ध होगी।

#याद रखिए, मंत्रों की शक्ति अपार है, विधिवत श्रद्धापूर्वक किए गए जाप फलीभूत होते ही हैं।

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