केमद्रुम योग
जय श्रीराम ।।
केमद्रुम योग भंग होकर देता है राजयोग
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बनने वाले विभिन्न प्रकार के अशुभ योगों में से केमद्रुम योग को बहुत अशुभ माना जाता है। केमद्रुम योग की प्रचलित परिभाषा के अनुसार किसी कुंडली में यदि किसी कुंडली में चन्द्रमा के अगले और पिछले दोनों ही घरों में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली में केमद्रुम योग बन जाता है जिसके कारण जातक को निर्धनता अथवा अति निर्धनता, विभिन्न प्रकार के रोगों, मुसीबतों, व्यवसायिक तथा वैवाहिक जीवन में भीषण कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ता है।
अनेक वैदिक ज्योतिषी यह मानते हैं कि केमद्रुम योग से पीड़ित जातक बहुत दयनीय जीवन व्यतीत करते हैं तथा इनमें से अनेक जातक अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कठिनाईयों तथा असफलतओं का सामना करते हैं तथा इन जातकों के जीवन का कोई एक क्षेत्र तो इस अशुभ योग के प्रभाव के कारण बिल्कुल ही नष्ट हो जाता है जैसे कि इस दोष से पीड़ित कुछ जातकों का जीवन भर विवाह नहीं हो पाता, कुछ जातकों को जीवन भर व्यवसाय ही नहीं मिल पाता तथा कुछ जातक जीवन भर निर्धन ही रहते हैं।
कुछ ज्योतिषी यह मानते हैं कि केमद्रुम योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ जातकों को लंबे समय के लिए कारावास अथवा जेल में रहना पड़ सकता है तथा इस योग के प्रबल अशुभ प्रभाव में आने वाले कुछ अन्य जातकों को देष निकाला जैसे दण्ड भी दिये जा सकते हैं। केमद्रुम योग से पीड़ित जातकों का सामाजिक स्तर सदा सामान्य से नीचे अथवा बहुत नीचे रहता है तथा इन्हें जीवन भर समाज में सम्मान तथा प्रतिष्ठा नहीं मिल पाती।
यदि किसी जातक की कुण्डली में केमद्रुम योग निर्मित हो रहा हो किंतु चन्द्रमा से गुरु केन्द्र में हो तो केमद्रुम स्वतः भंग होकर राजयोग निर्मित कर देता है। यह एक विशेष प्रकार का “गजकेसरी योग” निर्मित करता है। गजकेसरी योग वाला जातक आजीवन सुख भोगता है।
केमद्रुम भंग योग की महत्वपूर्ण स्थितियां
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1- चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो।
2- लग्नेश बुध या गुरु से दृष्ट होकर शुभ स्थिति में हो।
चंद्र और गुरु के मध्य भाव परिवर्तन का संबंध बन रहा हो।
3- चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र पर दृष्टि डाल रहा हो।
4- चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्न में स्थित हो।
5- चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो।
6-चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्र से भाव परिवर्तन का संबंध बना रहा हो।
7- चंद्र अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो।
8- लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्हीं दो भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो।
9- चंद्र पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो।
दारिद्रय योग से मुक्ति के उपाय
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1- सोमवार की पूर्णिमा के दिन या सोमवार को चित्रा नक्षत्र के टाइम से लगातार चार वर्ष तक पूर्णिमा का व्रत रखें।
2- महामृत्युंजय मंत्र का जाप प्रतिदिन 108 बार अवश्य करें।
3- सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं।
4- सिद्ध कुंजिकास्तोत्रम का प्रतिदिन 11 बार तेज स्वर में पाठ करें।
5- शिव तथा पार्वती की पूजा-उपासना।
6- घर में दक्षिणावर्ती शंख स्थापित करें। इसके सम्मुख प्रतिदिन श्रीसूक्त का पाठ करें। दक्षिणावर्ती शंख के जल से मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्नान कराएं।
7- चांदी के श्रीयंत्र में मोती जड़वाकर लॉकेट धारण करें।
8- रूद्राक्ष की माला से शिवपंचाक्षरी मंत्र “ॐ नम: शिवाय" का जप करने से केमद्रुम योग के अशुभ फल कम होते हैं।
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