केतू
✍✍ केतू महाराज जहाँ भी बैठते है अधिकतर हम उस घर से मिलने वाले परिणामों से वंचित ही रहते है या तड़प महसूस करते है। या आप का स्वाभाव ही ऐसा होगा की आप उस भाव के कारकतत्वो से अलगाव महसूस करेंगे,
या फिर आपके लिए उस भाव का कोटा समाप्त है क्योंकि आप पूर्ण रूप से उस भाव को भोग कर आये है।
या उस भाव सम्बंधित आपने प्रारब्ध में कुछ गलत किया है। जिस प्रकार हमे कुछ अधिक मात्र में मिल जाये और हम उसका नाजायज़ फायदा उठाने लगे।
✍✍ दरसअल केतू महाराज बैठते ही वहीँ है जहाँ का खेला हमारे साथ होने वाला होता है। इसलिए मामला फिक्स है घबराये नहीं और समझ जाये की यह तो पूर्वलिखित है बस अब हमको इन तकलीफो को किस प्रकार हैंडल करना है। सरल ज्योतिष यही है और यही मरहम है की हम यह जान रहे है की ऐसा है, तो ऐसा हो सकता है।
मित्रो अब कुछ नहीं हो सकता है मर्जी आपकी है हँसके काट लो या रोकर, काटना तो पड़ेगा। जो फसल प्रारब्ध में उगाई थी मतलब कर्मा जो किये थे। अब उनको काटना तो पड़ेगा।
👉 👉 फिर डरना काहें का, ईश्वर के दिए हुए दंड को भी वैसे ही स्वीकार करो जैसे स्कूल का होमवर्क ना करने पर हेडमास्टर कुटाई करते है। कोई गलत काम करने पर माता पिता कुटाई करते है।
केतू महाराज को कुछ चाइये ही नहीं उनके पास सर है ही नहीं, न कुछ देख सकते न सुन सकते, मोहमाया से एकदम दूर है।
वो बस जहा बैठते है कहते है ये दुनिया ये महफ़िल मेरे काम की नहीं।
फिर भी अष्टम, नवम और बारहवे भाव में ठीकठाक रहते है क्योंकि ये तीनो ही भाव उनकी परवर्ती के अनुरूप है।
जय बजरंग बलि 🙏🙏
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