वैदिक ज्योतिष
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, व्यक्ति के कर्म अच्छे होने के साथ ही उसके भाग्य का साथ यदि उसे मिले तो वह दुनिया में कुछ भी प्राप्त कर सकता है। कई लोगों के साथ ऐसा होता कि उन्हें अत्यधिक मेहनत करने के बाद भी उस फल की प्राप्ति नहीं हो पाती है, जिसके लिए उन्होंने मेहनत की है। जबकि कुछ लोगों को कम मेहनत पर भी अत्यधिक सफलता की प्राप्ति हो जाती है। आइए, जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है…
1/6 ऐसे देखते हैं भाग्य का घर
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में पहले घर को लग्न स्थान कहते हैं। कुंडली को सीधा रखने पर टॉप में जो खाना होता है वही लग्न स्थान होता है। लग्न से नवम स्थान भाग्य स्थान कहलाता है यानी कुंडली का नौवां घर भाग्य स्थान कहलता है। भाग्य स्थान से ही यह देखा जाता है कि व्यक्ति की सफलता में उसकी किस्मत का कितना हाथ होगा।
2/6 ऐसे लोग होते हैं जन्म से भाग्यशाली
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में नवम भाव का स्वामी नवम भाव में ही होता है ऐसे लोगों को जन्म से ही भाग्य का साथ मिलता है। ऐसे लोगों के जीवन में कष्ट ना के बराबर आते हैं। यदि ऐसे लोग अपना भाग्य रत्न समय से सही प्रकार से धारण कर लें तो उन्हें भाग्य का फल जल्दी मिलता है। इन्हें कम परिश्रम से ही बड़ी सफलता मिल जाती है।
3/6 ऐसे लोगों के जीवन में आती हैं बाधाएं
जिन लोगों की कुंडली में नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में होता है उन्हें भाग्य का साथ कम मिलता है। इन्हें बहुत सी बाधाओं का सामना करने के बाद सफलता मिलती है। इन्हें किस्मत की बजाय अपनी मेहनत और बुद्धि से लाभ मिलता है। ऐसे लोग अपने दम पर कामयाबी पाते हैं।
4/6 शत्रुओं से भी होता है लाभ
जिन लोगों की कुंडली में नवम भाव का स्वामी छठे भाव में होता है, ऐसे लोग अपने दुश्मनों से भी लाभ प्राप्त करने में सफल होते हैं। इन्हें जीवन में कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है।
5/6 राजनीति और प्रॉपर्टी में सफलता
जिन लोगों की कुंडली में नवम भाव का स्वामी ग्रह कुंडली के चतुर्थ भाव में हो और भाग्य स्थान में राशि का स्वामी बैठा हो तो इन्हें खूब तरक्की मिलती है। इन्हें अपनी राशि का रत्न धारण करना चाहिए। ऐसे लोगों के पास बड़ा घर, महंगी गाड़ी और तमाम भौतिक सुविधाएं होती हैं। राजनीति और प्रॉपर्टी के काम में किस्मत का खूब साथ मिलता है।
6/6 उच्च पद प्राप्त करते हैं ऐसे लोग
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