शुक्र ग्रह हेतु स्नान, दान, मंत्र जाप, व्रत तथा रत्न धारण इत्यादि*
*शुक्र पीड़ा निवारण हेतु औषधि स्नान:-*
जायफल, मैनसिल, पीपरामूल, केसर, इलायची, सफेद चंदन, श्वेत कमल, तथा मूली के बीज के मिश्रित जल से स्नान करने से शुक्र पीड़ा का निवारण होता है।
चांदी के पात्र मे जल भरकर, फिर उसमे हस्ती का मद, गोरोचन, सौफ तथा शतावरी डालकर उस जल से स्नान करने से शुक्र ग्रह द्वारा जनित पीडा दूर होती हैं ।
*दान सामग्री :-*
1.सफेद कपड़ा सवा तीन मीटर, सोना, चांदी, चावल,मिश्री, दूध, सफेद फूल, इत्र, दही, चंदन, श्वेत घोड़ा, श्वेत पुष्प, श्वेत फल, सुगन्धित पदार्थ तथा दक्षिणा ।
*शुक्र ग्रह के उपाय या दान करने का समय:-*
नवग्रहों मे छठे स्थान पर, असुरों के गुरु, शुक्रदेव के निमित्त दान शुक्रवार को सूर्योदय के समय योग्य ब्राह्मण को सकंल्प करवाकर ही दे ।
शुक्र के निमित्त दान को शुक्र के नक्षत्र मे, या शुक्र की होरा मे भी दिया जा सकता है ।
*शुक्र रत्न*
हीरा, उपरत्न- ओपल, धातु- चांदी
*वजन -* हीरा कम से कम 1 कैरेट का अवश्य पहने
*कौन धारण करे:-*
वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, कुंभ लग्न या राशि वाले व्यकित इसे धारण कर सकते है ।
*रत्न धारण का लाभ :-* विधिपूर्वक हीरा रत्न धारण करने से धन-लक्ष्मी प्राप्ति, वंश वृद्धि, सम्पति स्त्री प्राप्ति भौतिक सुखो की प्राप्ति दुर्बलता, नपुंसकता, वायुरोग, वीर्यविकार, ह्रदयरोग, तथा मानसिक आदि रोगो से बचाव होता है ।
*रत्न धारण हेतु सरल विधि -*
शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को, शुक्र की होरा मे, भरणी, प०फाल्गुनी, पू०षाढा नक्षत्रो मे, या अन्य शुभ योग मे सोने की अंगूठी मे बनवाकर दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली मे धारण करे ।
*प्राण प्रतिष्ठा -* शुक्र के मंत्र का कम से कम तीन माला या 16 हजार मंत्र का जाप करके रत्न धारण करे,
*मंत्र :- ॥ ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः ॥*
मंत्र जाप के उपरांत दुर्गा मां को प्रसाद चढाये , दान सामग्री ( चावल, चांदी, मिश्री, दही, तथा दक्षिणा ब्राह्मण को दान करे ।
संभव हो तो इस दिन व्रत करे ।
*उपरत्न:-* हीरा काफी मंहगा होने की वजह से न पहना जा सके तो इसका उपरत्न ओपल पहने, अथवा जरकन भी पहना जा सकता है ।
*शुक्र की धातु- चांदी*
*शुक्र के निमित्त विशेष उपाय:-*
कुंडली में यदि शुक्र शुभ एवं योगकारक होता हुआ भी फलीभूत न हो रहा हो निम्न उपाय कल्याणकारी रहेंगे
1. शुक्रवार को सुहागिन ब्राह्मणी को सफेद रेशमी वस्त्र, अंडरगारमेंटस्, इत्र, श्रृंगार सामग्री, सिंदूर तथा दक्षिणा भी भेंट कर सकते है, ये दान काफी पुण्य प्रभाव रखता है ।
2. शुक्रवार के दिन वृद्ध स्त्रियों, सुहागिनो तथा अन्य सभी को भी खीर खिलाना अत्यंत शुभ होता है।
3. शुक्रवार का व्रत धारण करना चाहिए। कुष्ट रोगियों को शुक्रवार के दिन खिचड़ी खिलाना शुभ होता है। शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा कर श्वेत चन्दन का तिलक लगायें।
4. चाँदी की कटोरी में सफेद चन्दन, मुश्कपूर, सफेद पत्थर का टुकड़ा रखकर सोने ले कमरे में रखे चन्दन की अगरबत्ती जलाना शुभ होगा।
5. घर में तुलसी का पौधा लगाना, सफेद गाय रखना, सफेद पुष्प लगवाना शुभ होगा था क्रीम रंग के रेशमी कपड़े में चाँदी के चौरस टुकड़े पर शुक्र यन्त्र खुदवाकर विधिपूर्वक अपने पास रखें ।
6. शुक्रवार को माता दुर्गा माता की पूजा कर उन्हें 108 गुड़हल के फूलों की माला पहनाने से माता अत्यंत प्रसन्न होती है ।
*शुक्र अशुभ प्रभावी होने की स्थिति में नीचे लिखे उपाय कल्याणकारी होंगे ।*
(1) शुक्रवार को श्री दुर्गा पूजन, 5 कन्या पूजन जनों खीरादि स्वेत सदेना मा के सात दिन से हरा ना ।
(2) सफेद रंग के पत्थर पर चन्दन का तिलक लगाकर चलते पानी में बहा देना या चांदी के टुकड़े पर शुक्र यन्त्र खुदवा कर रेशमी क्रीम रंग के वस्त्र में लपेट कर शुक्रवार को नीम के वृक्ष के नीचे दबाना।
(3) शुक्रवार का विधिवत् व्रत रखना चाहिए तथा पाँच शुक्रवार पाँच कन्याओं का पूजन कर उन्हें मिश्री सहित श्वेत वस्तुओं की भेंट देनी चाहिए।
*शुक्र मंत्र:-*
*शुक्र वैदिक मंत्र -*
*ॐ अन्नात्परिस्रुतो रसं ब्रह्मणा क्षत्रं पयः सोमं प्रजापति। ऋतेन सत्यमिन्द्रियं वियान ℧ शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।*
*शुक्र पौराणिक मंत्र -*
*ॐ हिम कुन्द मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरूम्*
*सर्व शास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम्।*
*शुक्र तन्त्रोक्त मंत्र -*
*ॐ द्रां द्रीं दौं सः शुक्राय नमः।*
(जप संख्या – 16000।)
*शुक्र गायत्री मंत्र -1*
*ॐ भृगुराजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि ।*
*तन्नो शुक्र प्रचोदयात्।।*
*शुक्र गायत्री मंत्र -2*
*ऊँ भृगु वंशजाताय विदमहे , श्वेत वाहनाय धीमहि।* *तन्नो शुक्रः प्रचोदयात ।।*
शुक्र देव के सामान्य मन्त्र: " *ॐ शुं शुक्राय नमः*
शुक्र देव के बीज मन्त्र:-
*ॐ द्राम द्रीम द्रौम सः शुक्राय नमः।*
शुक्र देव के गायत्री मन्त्र: " *ॐ शुक्राय विद्महे , शुक्लाम्बर - धरः , धीमहि तन्न: शुक्र प्रचोदयात*
शुक्र देव के वैदिक मन्त्र: " *ॐ अन्नात्परिश्रुतो रसं ब्रह्म्न्नाव्य पिबत् - क्षत्रम्पयः सोमम्प्रजापति ! ऋतेन सत्यमिन्द्रिय्वीपानं-गुं -शुक्र्मन्धस्य - इन्द्रस्य - इन्द्रियम - इदं पयो - अमृतं मधु !!*
शुक्र देव के पौराणिक मन्त्र: " *ॐ हिमकुंद- मृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुं ! सर्वशास्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रण्माम्य्हम !!*
शुक्र देव के ध्यान मन्त्र : *दैत्यानां गुरु : तद्वत श्वेत - वर्णः चतुर्भुजः ! दंडी च वरदः कार्यः साक्ष-सूत्र- कमंड-लु: !!*
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