दूसरे भाव में बृहस्पति
यहां बृहस्पति का मस्तिष्क(brain) से संबंधों को दर्शाया जा रहा है,ये निम्नलिखित भावों में बैठकर जातक के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव डालते हैं। हम अलग-अलग पोस्ट में सभी ग्रहों के बारे में लिखने का प्रयास कर रहे हैं अगर आपने अभी तक पिछला पोस्ट नहीं पड़ा है तो अवश्य पढ़ ले।
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु द्वितीय भाव में हो तो वह जातक के मस्तिष्क के द्वितीय भाग के केंद्र के स्पंदनों को प्रभावित करता है जिसके कारण जातक के अंदर प्रणय शक्ति का विकाश होता है। गुरु जातक की आयु के 36 वर्ष बाद प्रणय का विभाग संभालता है। है और मस्तिष्क के द्वितीय भाग के केंद्र के स्पंदन के द्वारा ही 70 वर्ष की आयु तक काम-वासनाओं को तरंगित करते रहते हैं। इस अवस्था में जातक के अंदर विवाह-इच्छा शक्ति प्रबल होती है और कामवासना का प्रवाह शरद सरिता के समान निर्मल और संयत होता है, जिसके कारण अस्सी वर्ष की आयु तक भी जीवन में मधुरता बनी रहती है।
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु द्वितीय भाव में हो तो वह जातक के मस्तिष्क के अड़तालीसवें भाग के केंद्र के स्पंदनों को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण जातक के अंदर भाषा ज्ञान शक्ति का विकाश होने से जातक भाषाविद् होता है। वह अनेक भाषाएं सीखता है और भाषाओं के संबंध में अनुसंधान कार्य करता है।
🌹🌕पांचवे भाव में बृहस्पति 🌕🌹
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के पंचम भाव में गुरु स्थित हो तो वह जातक के मस्तिष्क के बाईसवें भाग के केंद्र (ऊर्जा) को स्पंदित करता है, जिसके कारण जातक के अंदर मेधा (बुद्धि) शक्ति का विकास होता है। गुरु उच्च का स्वक्षेत्रीय हो तो जातक की पेशानी चौड़ी और विकसित होती है और सामने का भाग उभरा हुआ होता है। मस्तिष्क का बाईसवां केंद्र पंचमस्थ गुरु द्वारा स्पंदित हो, तभी जातक में मेधा शक्ति विकसित होती है। गुरु यदि नीच, शत्रु क्षेत्रीय हो तो मेधा शक्ति कम विकसित होती है, लेकिन होती जरूर है।
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली के पंचम भाव में गुरु हो तो वह गुरु जातक के मस्तिष्क के पंचम भाग के केंद्र के स्पंदनों को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण जातक के अंदर देशप्रेम की शक्ति का विकास होता है। यह देशप्रेम दो रूपों में होता है। प्रथम व्यक्तियों से प्रेम एवं दूसरा स्थानों से प्रेम, जहां जातक रहता है। पंचमस्थ गुरु से मस्तिष्क के पाचवें भाग का केंद्र प्रभावित होने से जातक के अंदर दोनों ही देशप्रेम के रूप विकसित होते हैं।
👉यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु पंचम भाव में हो, वह गुरु जातक के मस्तिष्क के पंद्रहवें भाग के स्पंदनों को भी प्रभावित करता है और मस्तिष्क का पंद्रहवां भाग ही स्वाभिमान शक्ति का केंद्र है जिसके कारण जातक के अंदर स्वाभिमान शक्ति का तीव्रता से विकास होता । पंचम भावस्थ गुरु इसको तरंगित करता है, जिससे जातक में आत्मगौरव उत्पन्न होता है और स्वाभिमान की प्रवृत्ति उभरती है। वह अपने मान एवं अपमान के प्रति सदा सजग रहता है, परंतु स्वयं मान प्राप्त करने के लिए दूसरों का अपमान कभी नहीं करता है।
🌹🌕नौवें भाव में बृहस्पति🌕🌹
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु नवम भाव में हो तो वह मस्तिष्क के उन्नीसवें भाग के ऊर्जा केंद्र के स्पंदनों को प्रभावित करता है, जिसके फलस्वरूप जातक में धर्म भावना-आस्तिकता एवं आत्मबल की शक्ति का विकास होता है। मस्तिष्क का उन्नीसवां भाग आस्तिकता और धर्म-भावना का केंद्र है। जब नवमस्थ गुरु से इसके स्पंदन प्रभावित होते हैं तो जातक के व्यक्तित्व में आस्तिकता और धर्म-भावना पुष्ट होती है, आत्मबल बढ़ता है। यदि नवम भाव कमजोर हुआ तो जातक नास्तिक हो जाता
👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु नवम भाव का हो तो वह जातक के मस्तिष्क के छब्बीसवें भाग के ऊर्जा केंद्र के स्पंदनों को भी प्रभावित करता है, जिसके कारण जातक में विदूषक प्रवृत्ति का विकास होता है। जातक के स्वभाव में विनोदप्रियता बढ़ती है और वह विदूषक बन जाता है। उसके हास्यविनोद में बुद्धिमत्ता, प्रसन्नता, चुहलबाजी और दिल्लगी होती है।
🌹🌕ग्यारहवें भाव में बृहस्पति 🌕🌹
👉यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु ग्यारहवें भाव में हो तो वह मस्तिष्क के पैंतीसवें भाग के ऊर्जा केंद्र के स्पंदनों को प्रभावित करता है, जिसके फलस्वरूप जातक के अंदर घटनाओं में रुचि रखने वाली प्रवृत्ति का विकास होने के कारण जातक इतिहास और राजनीति का विद्वान होता है अथवा बनता है।
अपनी अपनी पत्रिका के यह स्थिति के प्रभाव के अनुभव को कमेंट सेक्शन में अवश्य लिखें, इसके अलावा किसी विषय पर आज चर्चा नहीं होगी और ना ही पत्रिका विश्लेषण का रिक्वेस्ट करें। क्योंकि हम प्रत्येक मंगलवार अपने फेसबुक पेज पर एक करंट पोस्ट के कमेंट सेक्शन में से फ्री जन्म कुंडली विश्लेषण में एक प्रश्न का उत्तर देते हैं। इस अवसर का लाभ उठाने एवं ज्योतिष तथा उपायों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त करने के लिए फॉलो करें हमारे फेसबुक पेज "उत्तम पाण्डेय शास्त्री-ज्योतिर्विद"इसके लिए सर्च बॉक्स में सर्च करें "vaidikjyotishjankari"
देव गुरु बृहस्पति दूसरे,पांचवें, नवमे और ग्यारहवें भाव के अलावा किसी भाव में अगर बैठा हो तो जातक के मस्तिष्क पर कोई प्रभाव नहीं डाल पाते, उसके लिए अलग फल बताए गए हैं। अगर आपके तरफ से उत्साहवर्धन होता रहा तो प्रत्येक भावो में प्रत्येक ग्रहों के फलों को लिखने का प्रयास अवश्य करूंगा। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
Comments
Post a Comment