दरिद्र योग
दरिद्र योग के प्रभाव में जातक को धन संचय में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसे वित्त से संबधित कई क्षेत्रों में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुंडली में इस योग के कारण ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इसके प्रभाव में आदमी पैसे-पैसे को मोहताज हो जाता है। लेकिन दरिद्र योग के प्रभाव में उसे सदैव आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इस योग के कारण आय व्यय से कम होती जाती है। यदि दरिद्र योग के प्रभावों के बाद भी जातक आय बढ़ाने में सफल भी हो जाता है तो उसे धन संचय में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।
धनहीनता के ज्योतिष योग धनहानि किसी को भी अच्छी नहीं लगती है। आज उन ज्योतिष योगों की चर्चा करेंगे जो धनहानि या धनहीनता कराते हैं। कुछ योग इस प्रकार हैं-
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*मूलत- धनेश, लाभेश, दशमेश, लग्नेश एवं भाग्येश निर्बल हो तो धनहीनता का योग बनता है।उक्त धनहीनता के योग योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में फल देते हैं। फल कहते समय दशा एवं गोचर का विचार भी कर लेना चाहिए।
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१. धनेश छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में हो या भाग्येश बारहवें भाव में हो तो जातक करोड़ों कमाकर भी निर्धन रहता है। ऐसे जातक को धन के लिए अत्यन्त संघर्ष करना पड़ता है। उसके पास धन एकत्रा नहीं होता है अर्थात् दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि धन रुकता नहीं है २. जातक की कुंडली में धनेश अस्त या नीच राशि में स्थित हो तथा द्वितीय व आठवें भाव में पापग्रह हो तो जातक सदैव कर्जदार रहता है।
३. जातक की कुंडली में धन भाव में पापग्रह स्थित हों। लग्नेश द्वादश भाव में स्थित हो एवं लग्नेश नवमेश एवं लाभेश(एकादश का स्वामी) से युत हो या दृष्ट हो तो जातक के ऊपर कोई न कोई कर्ज अवश्य रहता है।
४. किसी की कुंडली में लाभेश छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में हो तो जातक निर्धन होता है। ऐसा जातक कर्जदार, संकीर्ण मन वाला एवं कंजूस होता है। यदि लग्नेश भी निर्बल हो तो जातक अत्यन्त निर्धन होता है।
५. षष्ठेश एवं लाभेश का संबंध दूसरे भाव से हो तो जातक सदैव ऋणी रहता है। उसका पहला ऋण उतरता नहीं कि दूसरा चढ़ जाता है। यह योग वृष, वृश्चिक, मीन लग्न में पूर्णतः सत्य सिद्ध होते देखा गया है।
६. धन भाव में पाप ग्रह हों तथा धनेश भी पापग्रह हो तो ऐसा जातक दूसरों से ऋण लेता है। अब चाहे वह किसी करोड़पति के घर ही क्यों न जन्मा हो।
७. किसी जातक की कुंडली में चन्द्रमा किसी ग्रह से युत न हो तथा शुभग्रह भी चन्द्र को न देखते हों व चन्द्र से द्वितीय एवं बारहवें भाव में कोई ग्रह न हो तो जातक दरिद्र होता है। यदि चन्द्र निर्बल है तो जातक स्वयं धन का नाश करता है। व्यर्थ में देशाटन करता है और पुत्रा एवं स्त्री संबंधी पीड़ा जातक को होती है।
८. यदि कुंडली में गुरु से चन्द्र छठे, आठवें या बारहवें हो एवं चन्द्र केन्द्र में न हो तो जातक दुर्भाग्यशाली होता है और उसके पास धन का अभाव होता है। ऐसे जातक के अपने ही उसे धोखा देते हैं। संकट के समय उसकी सहायता नहीं करते हैं। अनेक उतार-चढ़ाव जातक के जीवन में आते हैं।
९. यदि लाभेश नीच, अस्त य पापग्रह से पीड़ित होकर छठे, आठवें या बारहवें भाव में हो तथा धनेश व लग्नेश निर्बल हो तो ऐसा जातक महा दरिद्र होता है। उसके पास सदैव धन की कमी रहती है। सिंह एवं कुम्भ लग्न में यह योग घटित होते देखा गया है।
१०. यदि किसी जातक की कुण्डली में दशमेश, तृतीयेश एवं भाग्येश निर्बल, नीच या अस्त हो तो ऐसा जातक भिक्षुक, दूसरों से धन पाने की याचना करने वाला होता है।
११. किसी कुण्डली में मेष में चन्द्र, कुम्भ में शनि, मकर में शुक्र एवं धनु में सूर्य हो तो ऐसे जातक के पिता एवं दादा द्वारा अर्जित धन की प्राप्ति नहीं होती है। ऐसा जातक निज भुजबल से ही धन अर्जित करता है और उन्नति करता है।
१२. यदि कुण्डली का लग्नेश निर्बल हो, धनेश सूर्य से युत होकर द्वादश भाव में हो तथा द्वादश भाव में नीच या पापग्रह से दृष्ट सूर्य हो तो ऐसा जातक राज्य से दण्ड स्वरूप धन का नाश करता है। ऐसा जातक मुकदमें धन हारता है। यदि सरकारी नौकरी में है तो अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित या नौकरी से निकाले जाने का भय रहता है। वृश्चिक लग्न में यह योग अत्यन्त सत्य सिद्ध होता देखा गया है।
१३. यदि धनेश एवं लाभेश छठे, आठवें, बारहवें भाव में हो एवं एकादश में मंगल एवं दूसरे राहु हो तो ऐसा जातक राजदण्ड के कारण धनहानि उठाता है। वह मुकदमे, कोर्ट व कचहरी में मुकदमा हारता है। अधिकारी उससे नाराज रहते हैं। उसे इनकम टैक्स से छापा लगने का भय भी रहता है। मूलतः धनेश, लाभेश, दशमेश, लग्नेश एवं भाग्येश निर्बल हो तो धनहीनता का योग बनता है। उक्त धनहीनता के योग योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में फल देते हैं। फल कहते समय दशा एवं गोचर का विचार भी कर लेना चाहिए।
गरीबी, दुर्भाग्य और दरिद्रता को दूर करने के घरेलू उपाय
1- घर के मंदिर में चांदी के बर्तन नहीं रखने चाहिए, यह पितरो के प्रतीक है घर के मंदिर में देवता और पितृ कि पूजा एक साथ नहीं की जाती है अपने मंदिर में पितृ कि तस्वीर भी नहीं रखनी चाहिये तथा एक साथ दोनों को नहीं पूजना चाहिये -
2- किसी दुकान से जाकर एक ताला ले आये लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें , इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें,शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर में रख दे और पीछे न देखे जब भी कोई उस ताला को खोलेगा तब आपकी किस्मत का ताला भी खुल जायगा-
3- सरसों के तैल में सिके डाले गेहूँ के आटे में पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार, आक के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रख आये और पीछे न देखे ऐसा करने से भी लाभ होता है-
4- हर रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ।और माता सीता से प्रथना करे ऐसा कुछ दिन तक करने से दुःख दूर होता है और माता सीता हर मनो कामना पूरी करती है -
5- सूर्योदय के बाद और सूर्यास्त से पहले इसे करना है एक रोटी लें। इस रोटी को अपने ऊपर से 31 बार उतार ले,रोटी को उतारते समय यह मन्त्र का उच्चारण भी करें( ॐ लक्ष्मी नारयण नम; ) और उस रोटी को गाय को खिलाये यह उपाए सात शुक्रवार करे ,कभी भी जाने अनजाने में भी झाड़ू को पैर नहीं लगाना चहिये इसे लक्ष्मी का अपमान होता है-
6- हमेशा झाड़ू साफ़ रखना चहिये ,ज्यादा पुरानी झाड़ू को घर में न रखें,झाड़ू को कभी जलाना नहीं चाहिए शनिवार को पुरानी झाड़ू बदल देना चाहिए घर के मुख्य दरवाजा के पीछे एक छोटी झाड़ू टांगकर रखना चाहिए इससे घर में लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है-
7- सवा पांच किलो आटा एवं सवा किलो गुड़ लें। दोनों का मिश्रण कर रोटियां बना लें। गुरुवार के दिन सायंकाल गाय को खिलाएं। तीन गुरुवार तक यह कार्य करने से दरिद्रता दूर हो जाती है -
8- शनिवार को शाम को तेल का दीपक पीपल पर रखे और शनि देव को भी चढ़ने से भी दरिद्रता दूर होती है और माँ लक्ष्मी आगमन होता है -
9- अगर पेसे नहीं बच रहे तो करे यह उपये मंगलवार के दिन लाल चंदन,लाल गुलाब के फूल तथा रोली लें. इन सब चीजों को लाल कपड़े में बांधकर एक सप्ताह के लिए मंदिर में रख दें और रोज धूपबत्ती किया करें एक सप्ताह के बाद उनको घर के तिजोरियों में रख दें, धन से जुडी आप किहर इच्छा पूरी होगी -
10- हर शनिवार को अपने पलंग के नीचे एक बर्तन में सरसों का तेल रखें,अगले दिन उस तेल में उडद की दाल के गुलगुले बनाकर कुत्तों और गरीबों को खिलाने से गरीबी दूर होती है और धन का आगमन होता है -
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*गरूण पुराण के अनुसार घर में रोज गौमूत्र का छिड़काव करना चाहिए। अगर आप घर में रोज गौमूत्र का छिड़काव नहीं कर सकते हैं तो कम से कम सभी त्योहारों पर, सभी शुभ मुहूर्त पर या प्रत्येक माह की पूर्णिमा तिथि पर घर में गौमूत्र का छिड़काव करना चाहिए। इससे वातावरण में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है, घर का माहौल पवित्र होता है। गौमूत्र की गंध में नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने की शक्ति होती है।
*सुबह-शाम घर में घी का दीपक और कपूर जलाना चाहिए। कपूर और दीपक की रोशनी और इनसे निकलने वाले धुएं से भी वातावरण सकारात्मक बनता है।
*घर के बाहर रोज सुबह रंगोली बनाने की परंपरा भी पुराने समय से चली आ रही है। घर के बाहर रंगोली से भी घर के आसपास से नकारात्मकता खत्म होती है और इसे देखने से हमारे विचार सकारात्मक बनते हैं।
*सबसे जरूरी चीज घर का कोना-कोना एकदम साफ रखना चाहिए। घर में गंदगी होगी तो किसी भी पूजा-पाठ या किसी भी उपाय से हमारी सोच सकारात्मक नहीं बन पाएगी।
*घर के पास कोई भी पीपल का पेड़ नहीं होना चाहिए न ही घर के चौक में पीपल का पेड़ होना चाहिए। और न ही किसी पीपल कि छाव घर में पडनी चाहिए। जिस घर में या घर के पास में पीपल होता है वो घर या तो बंद रहेगा या दरिद्र रहेगा।
*घर में कभी भी 6 इंच से बड़ी मूर्ति नहीं रखनी चाहिय इसके अतिरिक्ति कभी भी घर में पत्थर कि मूर्ति न रखें।
घर में शंख से बनी हुई झालर कभी भी नहीं रखनी चाहिए।
*घर में कभी भी बड़ा या सार्वजनिक मन्दिर बनाकर मूर्ति स्थापना न करें, घर में हमेशा छोटा मंदिर ही बनवाना चाहिए तथा मंदिर में भगवान की तस्वीर मिट्टी या तांबे कि मूर्ति ही रखे।
*घर के पास बिजली का खम्बा नहीं होना चाहिए.
यदि आपका घर टी पॉइंट पर हो तो घर के बाहर शीशा जरुर लगवाये।
*घर में दुर्गा माता कि फोटो लगाते है तो ध्यान रखें की शेर का मुँह बन्द हो तो बहुत अच्छा होता है।
*घर में कभी भी किसी भी भगवान के रुद्र रूप (भगवान के गुस्से के रूप) का फोटो न लगाएं।
*घर में महाभारत युद्ध कि तस्वीर या पोस्टर कभी न लगाये।
*घर में गंगा जल, मोर पंख, जरुर रखे.
*दरवाजे पर दोनों तरफ पीले सिन्दूर में चमेली का तेल मिलाकर रिद्धि सिद्धि तथा शुभ लाभ जरुर लिखे, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
*घर में हफ्ते में एक बार गोमूत्र के छीटे लगाने से घर का वास्तु दोष समाप्त होता है।
*रोज़ एक रोटी कुत्ते को गाय को जरुर देनी चाहिए।
घर का नल टपकता है तो तुरंत सही करवाये, क्योकि ये अशुभ होता है।
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