श्रीकृष्ण

आज हम आप सभी को भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र "हरे कृष्णा हरे कृष्णा" की जप विधि के विषय में जानकारी दे रहे हैं। प्रत्येक देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए कुछ न कुछ विशेष विधि-विधान होता है और उसी विधि-विधान से की गई पूजा जप इत्यादि शीघ्र फलदायी होते हैं। श्रीकृष्ण के जप में ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं :-
सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि जप ही मूल है। 
1. तुलसी के बड़े मनकों की माला जिसमें 108 मनके हो।
2. माला रखने के लिए गोमुखी। 
3. साक्षी माला जिसमें 20 मनके होते हैं। जिसे गोमुखी की डोरी पर बाधा जाता है। इसका उपयोग कितनी माला पूरी हुई यह जानने के लिए होता है।
 4. महामन्त्र की एक माला पूरी होने में 7.5मिनट लगते है।
5. 16 माला करने में 2 घंटे का समय लगता है।
6. जिनकी अायु 60 वर्ष से अधिक है वे व्यक्ति 64 माला का जप करते हैं परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि कम अायु वाले 64 माला का जप नहीं कर सकते। यह आपकी ईच्छा पर निर्भर करता है। जहाँ तक मूल नियम की बात करें तो 16 माला का जप प्रत्येक कृष्ण भक्त के लिए अनिवार्य है।
7. जिन भक्तों ने अभी आरंभ ही किया है वह 2 माला से आरंभ करके धीरे-धीरे 6-7महीने में 16 माला पर दृढ़ता प्राप्त कर सकते हैं ।
8. मान लीजिए किसी ने 4 माला नित्य करनी आरंभ की और किसी दिन व्यस्तता के कारण सिर्फ एक ही माला की या जप ही नहीं किया यह कदापि उचित नहीं होगा तो ऐसा कभी भी ना करें क्योंकि भक्ति विधान के अनुसार जप माला कि संख्या में कमी नहीं की जा सकती। अगर आप नित्य 4 माला करते हैं तो किसी भी स्थिति में यह संख्या 4 ही रहे। सदैव माला की संख्या बढ़ते क्रम में ही होनी चाहिए घटते में नहीं।अगर यह संभव न हो तो जितनी संख्या अपनी सुविधानुसार निश्चित कर रखी है उतनी ही नित्य करें।
9. अपने 8 वर्ष से बडे़ बच्चों को कम से कम एक माला का जप करना अवश्य अनिवार्य करें। बहुत से भक्तगण हैं
जिनके कक्षा 1 मे पढ़ने वाले बच्चे ऐसा कर रहे है।
10. मंत्र जप के प्रभाव को अनुभव करने के लिए निम्नलिखित त्याग करना अनिवार्य होता है :-
1. मांसाहार(अण्डा,लहसुन,प्याज)
2. मद्यपान (चाय,काफी, तम्बाकू, पानमसाला,सिगरेट)
3. जुअा (सट्टा, लाटरी)
4. अवैध संबंधों का। 
यदि आप इनका त्याग नहीं करते हैं तो कोई लाभ नहीं मिल सकता। यह कुछ इसी प्रकार है जैसे कोई पशु नदी की धारा में डूबकी लगा कर बाहर निकलते ही मिट्टी में लोटने लग जाए। अर्थात् मेहनत करने के पश्चात किये कराये पर स्वयं ही पानी फेर देना। 
निर्णय आपको स्वयं करना है कि आप क्या करना चाहते हैं। 
                      ।। इति।। 
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