चंद्र और डिप्रेशन
{ डिप्रेशन DEPRESSION }
"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत" मनुष्य की हार जीत उसके मन की दुर्बलता सबलता पर निर्भर है। जिसका मन हार जाता है, वह बहुत कुछ होने पर भी हार जाता है। मनुष्य की वास्तविक शक्ति मनोबल ही है। जीवन में पल-पल परिस्थितियां बदलती रहती हैं और हम जीवन की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकते,
प्रत्येक व्यक्ति समय-समय पर सीमित अवधि के लिए उदासी का अनुभव करता है। लेकिन जब लंबे समय तक लगातार नकारात्मक सोच, तनाव, चिंता, घबराहट और बेचैनी जैसे लक्षण सामने आने लगें तो यह डिप्रेशन हो सकता है।
चंद्रमा मन का कारक होने के साथ–साथ बड़ा सौम्य एवं नाजुक ग्रह भी है और चंद्रमा सभी ग्रहों में से हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक है और बुध गृह बुद्धि का कारक है और बुद्धि मन पर काबू कर लेती है इसीलिए डिप्रेशन को कम या ज्यादा करने में भी बुध की बड़ी भूमिका होती है।
कुंडली का पहला भाव व्यक्ति के मन और मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है।
{1}कुंडली में यदि लग्नेश अशुभ भावों में स्थित हो या नीच राशि में हो।
{2}कुंडली में यदि चंद्रमा अशुभ भाव में हो या नीच राशि में हों।
{3}कुंडली में लग्न, लग्नेश या चंद्र पर राहु या शनि का प्रभाव हो।
{4}कुंडली में शनि चंद्रमा की युति हो या पाप ग्रहों के घर में बैठा हो।
{5}कुंडली में यदि चंद्रमा सूर्य के करीबी भाव में हो।
उपाय.....
पूर्णिमा का व्रत करें।
चाँदी धारण करें।
मोती धारण करें।
लग्नेश को बली करें।
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