स्त्री की कुण्डली में "मंगल"की पति सुख और वैवाहिक जीवन मे भूमिका

स्त्री की कुण्डली में "मंगल"की पति सुख और वैवाहिक जीवन मे भूमिका 



स्त्री की कुण्डली में मंगल का बलवान होना जहाँ अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन देता है तो वहीँ मंगल पीड़ित या कमजोर होने पर विवाह में विलब, पति सुख और वैवाहिक जीवन में बहुत सी समस्याएं और उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है। 
 स्त्री की कुंडली में मंगल यदि स्व उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में हो, केंद्र (1,4,7,10) त्रिकोण (1,5,9) आदि शुभ भावों में हो और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो ऐसे में अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है दीर्घ काल तक माँगल्य और सौभाग्य बना रहता है, पर स्त्री की कुण्डली में मंगल यदि नीच राशि (कर्क) में हो, दुःख भाव (6,8,12) में हो विशेषकर आठवे भाव में हो, मंगल, राहु या शनि के साथ होने से पीड़ित हो या मंगल पर राहु या शनि की दृष्टि हो तो ऐसे में पति सुख बाधित होता है और वैवाहिक जीवन में संघर्ष और समस्याओं की स्थिति उत्पन्न होती है, पति का स्वास्थ बाधित और जीवन संघर्षमय रहता है, स्त्रियों की कुंडली में मंगल का पीड़ित होना विवाह में विलम्ब का भी कारण बनता है, यदि स्त्री की कुंडली में पीड़ित मंगल पर बलवान बृहस्पति की दृष्टि पड़ रही हो वैवाहिक जीवन की समस्याओं का कोई ना कोई समाधान मिल जाता है और बाधायें बड़ा रूप नहीं लेती.

कुण्डली में मंगल पीड़ित होने पर यदि पति सुख और वैवाहिक जीवन बाधित हो रहा हो तो निम्न उपाय करना लाभदायक होगा -

1. ॐ अंग अंगारकाय नमः का नियमित जाप करें।

2. प्रत्येक मंगलवार को गाय को गुड़ खिलाएं।

3. हनुमान जी की आराधना करें सुंदरकांड का पाठ करने के उपरांत हनुमान जी को गुड चने का भोग लगाएं,बंदरों को केले खिलाने से मंगल ग्रह कुंडली में अच्छे परिणाम देता है.

4. ताम्र पत्र का बना "मंगल यन्त्र" अपने पूजास्थल में स्थापित करके उसकी उपासना करें।

5. अपना कुंडली विश्लेषण करवाने के उपरांत मंगल की स्थिति यदि आपके लिए शुभ हो तो 'मूँगा' भी धारण कर सकती हैं।

।। श्री हनुमते नमः।।

Comments

Popular posts from this blog

Chakravyuha

Kaddu ki sabzi

Importance of Rahu in astrology