नारियल
नारियल का पौराणिक महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ लाएं थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसलिए पूजा- पाठ में नारियल का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है.
वास्तु दोष को दूर करता है नारियल -
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में किसी जलीय जीव या जल युक्त वस्तु को रखने से वास्तु दोष दूर होते हैं. नारियल के शिखा में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है. इस कारण किसी भी शुभ कार्य मेंं कलश के ऊपर नारियल रखना आवश्यक माना गया है. नारियल के ऊपर चन्दन, केशर, रोली को मिलाकर तिलक लगाने से मन शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं.
नारियल का औषधीय महत्व-
नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। यह कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इसमें पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम व मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये कई बीमारियों के इलाज में भी काम आता है। नारियल में वसा और कॉलेस्ट्रॉल नहीं होता है, इसलिए यह मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है।
नारियल में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, मिनरल्स, विटामिन और सभी पौष्टिक तत्व अच्छी मात्रा में उपलब्ध होते हैं। इसमे फाइबर अधिक होता है। इसलिए जिन लोगो को कब्ज की परेशानी रहती है। उन लोगों के लिए नारियल बहुत लाभदायक होता है।
स्त्रियों की मासिक धर्म अनियमितता से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो रोजाना लगभग दस ग्राम गीला नारियल खाएं व साथ में गाय का दूध पिएं।
नकसीर - नाक से खून निकलने पर कच्चे नारियल का पानी नियमित रूप से पीना चाहिए। साथ ही खाली पेट नारियल के सेवन से भी रक्त का बहाव रुक जाता है।
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