कुंडली मे महाराज शनि देव के 12 भावों मे अलग अलग फल
कुंडली मे महाराज शनि देव के 12 भावों मे अलग अलग फल
अगर शनि देव स्वराशिस्थ है तो किसी भी भाव मे समस्याओं को नही लाते हैं परंतु अन्य किसी राशि मे है तो अलग अलग फल होते हैं ।जैसे मित्र राशि मे है तो अच्छे फलो को बढ़ोतरी ,शत्रु राशि मे है तो बुरे फलो मे बढ़ोतरी।फलित ज्योतिषी पंडित संस्कार त्रिपाठी ब्रह्मर्षि द्वारा दिये हुए अलग अलग सिद्धान्त -
1-प्रथम भाव मे शनि है तो जातक का शरीर बड़ा ,जातक अत्यंत पराक्रमी ,छोटे भाई के साथ संबंध खराब,दाम्पत्य जीवन मे थोड़ी परेशानी, या विवाह मे विलंब और हर कार्य मे विलंब।
2-दूसरे भाव मे शनि हो तो माँ को स्वास्थ्य संबंधी समस्या, पैतृक संपत्ति मिलना,बार बार एक्सीडेंट ,या तो तांत्रिक या तंत्र मे पैसा बर्बाद करने वाला आय मे नित्य उतार चढ़ाव लेकिन आय मे बढ़ोतरी।
3-तीसरे भाव मे शनि जातक पराक्रमी अधिकांशतः भाई बहन नही होते हैं, सुरूवाती पढ़ाई मे बहुत दिक्कत भाग्योदय 36 वर्ष के बाद और जातक पैसे की बर्बादी बहुत करता है।
4-चतुर्थ भाव में शनि हो तो माँ का स्वास्थ्य खराब ,लेकिन जातक शत्रुहंता ,जातक के शरीर मे फोड़ा फुंसी ,जातक शराब, कोयला,,लोहा के कार्य मे कमाई कार्य मे विलंबता ।
5-पंचम भाव मे शनि हो तो जातक अधिक ज्ञानी अधिक संतान,विवाह मे देरी ,ध्यान देनी की बात अगर पत्नी भाव मे कोई पाप ग्रह है तो विवाह टूट भी सकता है व्यक्ति की आय बनी रहेगी,लेकिन धन का नुकसान होता रहेगा।
6-छठे भाव मे शनि हो तो ऋण शत्रु मे वृद्धि जातक की वाणी खराब लेकिन ऐसे जातक शत्रु चाहे जितने बढ़ जाये नुकसान नही होगा जातक को गुप्त रोग, थायराइड ,साइटिका जातक तंत्र मंत्र का जानकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों मे व्यय ज्यादा ,भाई से नुकसान।
7-सप्तम भाव मे शनि हो तो जातक का विवाह विलम्ब पति पत्नी की उम्र मे अंतर ,भाग्य मे वृद्धि विवाह के बाद ,होगा सब कुछ लेकिन टाइम पे नही माँ के साथ संबंध खराब जातक का स्वास्थ्य खराब।
8-आठवे भाव मे शनि हो तो जातक उच्च कोटि का आध्यात्मिक ,जातक की आयु लंबी लेकिन जातक का जीविकोपार्जन कठिन ,जातक बुद्धिमान ,जातक की वाणी खराब ,उसकी संतान को नुकसान।
9-लगभग सभी भावो मे शनि नवम भाव मे सबसे ज्यादा अच्छा होता है ,जातक को सब कुछ मिल जाता है जातक ज्योतिषी ,आध्यात्मिक, जातक की आय अधिक ,जातक उच्च शिक्षित ,पराक्रमी छोटे भाई बहन नही होते हैं ,ऐसे जातकों के शत्रु उसका कुछ नही कर सकते।
10-दशम भाव मे शनि हो तो जातक के कार्यक्षेत्र में वृद्धि ,जातक अपनी दम पे कमाने वाला ,दाम्पत्य जीवन मे दिक्कत, पिता से अच्छे संबंध, माँ का स्वास्थ्य खराब।
11-ग्यारहवें भाव मे शनि हो तो जातक बहुत पैसा कमाएगा ,उसके कार्यो मे देरी होगी, उसका मन अशांत होगा गणित का अच्छा जानकर ,छोटी चोट लगती रहेगी व्यय मे वृद्धि होगी।
12-द्वादश भाव में शनि हो तो जातक की अचल संपत्ति बिक सकती है,जातक को अधिक परिश्रम करना पड़ेगा,जताक का ऋण बढेगा ,जातक का स्वास्थ्य खराब हो सकता है।
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