कुंडली के योग
कुंडली के वे योग, जो बर्बाद कर देते हैं जीवन, देखें कहीं आपकी कुंडली में तो नहीं
जन्मकुंडली में होते हैं शुभ और अशुभ दोनों तरह के योग...
3. षड्यंत्र योग
लग्न भाव का स्वामी (लग्नेश) अगर अष्टम भाव में बिना किसी शुभ ग्रह के हो तो कुंडली में षड्यंत्र योग का निर्माण होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह योग होता है उसकी धन-संपत्ति नष्ट होने की आशंका रहती है। यह योग अत्यंत खराब माना जाता है। जिस स्त्री-पुरुष की कुंडली में यह योग हो वह अपने किसी करीबी के षड्यंत्र का शिकार होता है। धोखे से उसका धन-संपत्ति छीनी जा सकती है। इस योग के चलते कोई विपरीत लिंगी जातक भी इन्हें भारी मुसीबत में डाल सकता है।
दुष्परिणाम से बचने के उपाय : इस दोष की निवृत्ति के लिए शिव परिवार का पूजन करें। सोमवार को शिवलिंग पर सफेद आंकड़े का पुष्प और सात बिल्व पत्र चढ़ाएं। शिवजी को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं।
4. भाव नाश योग :
जन्मकुंडली में जब किसी भाव का स्वामी त्रिक स्थान यानी छठे, आठवें और 12वें भाव में बैठा हो तो उस भाव के सारे प्रभाव नष्ट हो जाते हैं। उदाहरण के लिए यदि धन स्थान की राशि मेष है और इसका स्वामी मंगल छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो धन स्थान के प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।
दुष्परिणाम से बचने के उपाय : जिस ग्रह को लेकर भावनाशक योग बन रहा है, उससे संबंधित वार को हनुमानजी की पूजा करें। इसके अलावा किसी जानकार की सलाह पर ही उस ग्रह से संबधित रत्न धारण करके भाव का प्रभाव बढ़ाया जा सकता है।
5. अल्पायु योग :
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा पापी या क्रूर ग्रहों के साथ त्रिक स्थान (छठे, आठवें, बारहवें भाव) पर बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में अल्पायु योग का निर्माण करती है। जिस कुंडली में यह योग होता है, उस व्यक्ति के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है। उसकी आयु कम होती है।
दुष्परिणाम से बचने के उपाय : कुंडली में बने अल्पायु योग की निवृत्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र की एक माला रोज जपें। बुरे कार्यों से दूर रहें। दान-पुण्य करते रहें।
शेष जानकारी आगे के पेज पर जय श्री श्याम
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