सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र –
सिंह लग्न की कुंडली में चंद्र –
सिंह लग्न – प्रथम भाव में चंद्र –
यदि लग्न में चंद्र हो तो जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है , मन परेशान होता है । दाम्पत्य जीवन के लिए चंद्र अशुभता प्रदान करते हैं । साझेदारी के काम से हानि का योग बनता है । दैनिक आय में कमी आती है ।क्योंकि चन्द्रमा द्वादशेश हो जाते है इस कुंडली मे लेकिन शुभ ग्रह होने के कारण और लग्नेश के मित्र होने के वजह से इनका ज्यादा बुरा प्रभाव नही रहता यदि यह पाप ग्रहों के साथ हो जाए तब समस्याएं बढ़ सकती है।।।
सिंह लग्न – द्वितीय भाव में चंद्र –
ऐसे जातक को धन , परिवार कुटुंब का साथ नहीं मिलता है । धन की कमी आती है । वाणी खराब होती है । रुकावटें बानी रहती हैं , घर से दूर रहने का योग बनता है ।यदि चन्द्रमा शुभ ग्रहों के प्रभाव में हुआ तो शुभ फल ही करेगा।।।
सिंह लग्न – तृतीय भाव में चंद्र –
जातक को बहुत परश्रम करना पड़ता है , पराक्रम में कमी आ जाती है । परिश्रम के बाद जातक का भाग्य उसका साथ कम ही देता है । छोटी बहन का योग बनता है । जातक धार्मिक कम होता है । पिता से मन मुटाव रहता है ।
सिंह लग्न – चतुर्थ भाव में चंद्र –
चंद्र की महदशा में चतुर्थ भाव में चंद्र होने से जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का सुख प्राप्त नहीं होता है यदि चन्द्रमा पर शनि राहु केतु का प्रभाव हो तथा मंगल और सूर्य कमजोर हो जाए तो अगर चन्द्रमा का नीच भंग हो रहा है तथा सूर्य पूर्ण बलवान है तो यहाँ पर चन्द्रमा का बुरा प्रभाव कम ही रहेगा। माता से मन मुटाव लगा रहता है । काम काज की स्थिति दयनीय हो जाती है । वृश्चिक राशि में चंद्र नीच के हो जाते हैं ।
सिंह लग्न – पंचम भाव में चंद्र –
जातक का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है , अचानक हानि होती है , पेट खराब रहता है , पुत्री प्राप्ति का योग बनता है , बड़े भाई बहन से कलह रहती है , लाभ में कमी आती है ।यदि चन्द्रमा पाप ग्रहों से दृष्ट या युत हो जाए तो यह स्थिति रहती है यदि सूर्य भी कमजोर हो जाए तो यह स्थिति उत्पन्न हो सकती है और चन्द्रमा पर किसी शुभ ग्रहों की दृष्टि भी न हो ।।
सिंह लग्न – षष्टम भाव में चंद्र –
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । प्रतियोगिता में बहुत मेहनत के बाद विजयश्री हाथ आती है । विदेश सेटेलमेंट का योग भी बनता है । विपरीत राजयोग की स्थिति में चंद्र के फलों में शुभता जाननी चाहिए ।
सिंह लग्न – सप्तम भाव में चंद्र –
जातक / जातीका का जीवन साथी समझदार नहीं होता है , विवाह में विलम्ब होता है , साझेदारों से हानि प्राप्ति का योग बनता है , धोखा मिलता है । जातक को मानसिक परेशानी बनी ही रहती है ।यदि यहाँ पर चन्द्रमा के साथ शुक्र भी बैठ जाए तो अच्छा फल होगा बुरा फल नही होगा या चन्द्रमा पर शुभ ग्रहों की दृष्टि भी हो तब भी अच्छा फल ही प्राप्त होगा।।।।
सिंह लग्न – अष्टम भाव में चंद्र –
अपनी वाणी से सारे काम बिगाड़ लेता है । यहां गुरु के अष्टम भाव में स्थित होने की वजह से जातक के हर काम में रुकावट आती है । फिजूल का व्यय होता रहता है । कुटुंब का साथ नहीं मिलता है , धन की हानि होती है । जातक के घर से दूर रहने का योग बनता है । जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट भी भोगना पड़ सकता है अगर चन्द्रमा कमजोर हो जाए पाप ग्रहों के साथ हो जाए या पाप ग्रहों की दृष्टि चन्द्रमा पर हो । चन्द्रमा का बलाबल में कमजोर होना शुभ होता है । विपरीत राजयोग की स्थिति में चंद्र के फलों में शुभता जाननी चाहिए ।
सिंह लग्न – नवम भाव में चंद्र –
जातक आस्तिक कम रहता है यदि सूर्य भी कमजोर हो जाए तो तथा चन्द्रमा पीड़ित हो जाए उस स्थिति में व् पितृ भक्त नहीं होता है । पिता से मन मुटाव बना ही रहता है । यात्राओं से भी लाभ अर्जित नहीं कर पाता है । छोटी बहन का योग बनता है । चन्द्रमा की महादशा में पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
सिंह लग्न – दशम भाव में चंद्र –
जातक का प्रोफेशन उत्तम नहीं रहता है । जातक को भूमि , मकान , वाहन व् माता का पूर्ण सुख नहीं मिलता है । चन्द्रमा की महादशा में माता का स्वास्थ्य खराब रहता है ।
सिंह लग्न – एकादश भाव में चंद्र –
अपनी महादशा / अन्तर्दशा में बड़े-छोटे भाई बहनो से संबंध कलह से भरे रहते है । पेट में छोटी मोटी बीमारी लगने की संभावना रहती है जो बाद में ठीक भी हो जाती है । पुत्री प्राप्ति का योग बनता है । लाभ में कमी आती है । कोई न कोई बीमारी लगी रहती है । प्रेम विवाह नहीं हो पाता है । मन खिन्न रहता है ।
सिंह लग्न – द्वादश भाव में चंद्र –
हमेशा कोई ना कोई टेंशन बनी रहती है । मन परेशान रहता है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । चन्द्रमा की महादशा में व्यर्थ का खर्च बना रहता है । जेल जाने का योग भी बनता है अगर यहाँ बैठे चन्द्रमा पर पाप ग्रहों की दृष्टि पड़ जाए या चन्द्रमा कमजोर हो जाए तो।। प्रतियोगिता में हार होती है । विपरीत राजयोग की स्थिति में चंद्र के फलों में शुभता जाननी चाहिए ।
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