जन्म समय व दिवालोक बचत समय-
जन्म समय व दिवालोक बचत समय-
वर्तमान मे जन्म समय यांत्रिक / विद्युतीय घडियों को देखकर नोट किया जाता है । इनमे सामान्य तौर पर 12 से 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 तक अंक अंकित रहते है । 12 घण्टे दर्शाने वाली घडी 16 वी शताब्दी से प्रचलन मे आई । इस प्रकार तारीख के 24 घण्टे दो भागो में विभक्त रहते है । मध्य रात्रि 12 पश्चात गणना 1 से प्रारम्भ होकर दोपहर 12 पश्चात व पुनः 1 से प्रारम्भ होकर रात्रि 12 तक गणना होती है । इस दुविधा को हटाने के लिये पूर्वान्ह ( a.m. or A. M. latin ante meridien ) और अपरान्ह ( p.m. or P.M. latin : post meridian ) नोट करना आवश्यक है । यदि ऐसा नही करते है तो दोपहर 12 पश्चात 13 से लगाकर 24 तक घण्टा मिनट नोट करे , इस प्रकार मध्यरात्रि दिन का प्रारम्भ के लिये 00 , दोपहर के लिये 12 और मध्यरात्रि दिन की समाप्ति के लिये 24 लिखते है । 𝐴𝑠𝑡𝑟𝑜 𝐶𝑎𝑓𝑒
वर्तमान में घडी से प्राप्त समय भारतीय प्रमाणिक समय है । जिसे इन्डियन स्टण्डर्ड टाईम IST कहते है । यह 1 जुलाई 1905 को भारत में लागू किया गया । समस्त शासकीय कार्यों में यह एक सितम्बर 1947 से अनिवार्य किया गया । यह भारत के 82 ° 30 देशांश का है । यह स्थान विशेष का नही वरन् केवल भारत के मध्य का देशांश है , यह ग्रीनविच से 5 घण्टा 30 मिनिट पूर्व है , इसकी गणना शंकरगढ किला , मिर्जापुर ( 25N15 , 82 E 58 ) जिला- इलाहबाद की केन्द्रिय वेधशला में की जाती है । 𝐴𝑠𝑡𝑟𝑜 𝐶𝑎𝑓𝑒
भारत में दिन के समय को बचाना वाला समय ( DST ) 1947 के बाद केवल चीन और पाकिस्तान युद्ध के समय 1962 1965 , 1971 मे बहुत कम अवधि के लिये लागू किया गया था । 1948 तक कलकत्ता- कोलकाटा मे कलकत्ता समय और बम्बई – मुम्बई मे 1955 तक बम्बई समय चलता रहा । द्वितीय विश्व युद्ध के समय 1 सितम्बर 1942 से 15 अक्टू 1945 तक भारतीय प्रमाणिक समय / स्टे . टा . एक घण्टा आगे बढ़ा दिया गया था । 1947 के पूर्व भारत में अलग - अलग स्थानो पर अलग - अलग समय उपयोग होता रहा है । 𝐴𝑠𝑡𝑟𝑜 𝐶𝑎𝑓𝑒
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दिवालोक बचत समय - (दि॰ब॰स॰, daylight saving time, डेलाइट सेविंग टइम) या ग्रीष्मसमय (summer time, समर टाइम) कुछ देशों की उस प्रथा को कहते हैं जहाँ गर्मियों के मौसम में सुबह जल्दी होने वाली रौशनी का लाभ उठाने के लिए ग्रीष्म ऋतु में घड़ियों को आगे कर दिया जाता है। आमतौर पर दि॰ब॰स॰ में हर वर्ष में निर्धारित शुरूआती और अंतिम तिथियाँ तय करके प्रशासनिक आदेश द्वारा घड़ियों को एक घंटा आगे चलाया जाता है। इस से पूरे देश की दिनचर्या लगभग एक घंटे पहले शुरू होती है और एक घंटे पहले ख़त्म होती है, यानि रात को बत्तियाँ इत्यादि एक घंटा कम प्रयोग होती हैं और उर्जा की बचत होती है। 𝔀𝓹
उपरोक्त जानकारी से स्पष्ट होता है कि ज्यादा पुराने समय की कुछ जन्म कुंडली के जो समय नोट किया गया वह आज के software से गलत लग्न/भाव की कुंडली प्राप्त होती है । स्पष्ट ज्योतिषीय फलादेश हेतु सटीक समय का होना अति आवश्यक है
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