सूर्य नमस्कार मंत्र (पूर्ण व्याख्या सहित)
सूर्य नमस्कार मंत्र (पूर्ण व्याख्या सहित)
सूर्य नमस्कार के अभ्यास में 12 आसन होते है जिन्हें दो चक्रों में किया जाता है. पहले चक्र में बायां पैर आगे और दायां पैर पीछे होता है जबकि दूसरे चक्र में दायां पैर आगे और बायां पैर पीछे की तरफ होता है.
इन दो चक्रों के हर एक आसन के लिए अलग अलग सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya Namaskar Mantra) होते है, जिनका उच्चारण आसन के साथ करना चाहिए. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य नमस्कार मंत्र केवल 1 मंत्र ना होकर 12 मंत्रों का समूह है.
आईए आपको उन 12 सूर्य नमस्कार मंत्रों की अर्थ सहित जानकारी देते है.
पहला मंत्र: ॐ मित्राय नमः।
अर्थ: मित्र को प्रणाम.
दूसरा मंत्र: ॐ रवये नमः।
अर्थ: प्रकाशवान (अर्थात् सूर्य) को प्रणाम.
तीसरा मंत्र: ॐ सूर्याय नमः।
अर्थ: क्रियाओं के प्रेरक को प्रणाम.
चौथा मंत्र: ॐ भानवे नमः।
अर्थ: प्रदिप्तवान को प्रणाम.
पांचवा मंत्र: ॐ खगाय नमः।
अर्थ: आकाश में विचरण करने वाले को प्रणाम.
छठा मंत्र: ॐ पूष्णे नमः।
अर्थ: पोषण करने वाले को प्रणाम.
सातवां मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः।
अर्थ: जिसमें सब कुछ समाहित है उसको प्रणाम.
आठवां मंत्र: ॐ मरीचये नमः।
अर्थ: जिसमें किरणें समाहित है उसको प्रणाम.
नौवां मंत्र: ॐ आदित्याय नमः।
अर्थ: आदित्य (सूर्य) को प्रणाम.
दसवां मंत्र: ॐ सवित्रे नमः।
अर्थ: सबके उत्पादक को प्रणाम.
ग्यारहवां मंत्र: ॐ अर्काय नमः।
अर्थ: जो पूजनीय है उसको प्रणाम.
बारहवां मंत्र: ॐ भास्कराय नमः।
अर्थ: आत्मज्ञान के प्रेरक सूर्य को प्रणाम.
सूर्य नमस्कार मंत्र पढ़ने की विधि👇
सूर्य नमस्कार करने से पहले और मंत्रोच्चारण से पहले गहरी सांस लेते हुए शांत मन से इन शब्दों को मन में बार बार दोहराना चाहिए:
“अब मैं सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने जा रहा/रही हूं।”
पहला मंत्र: ॐ मित्राय नमः।
पहले आसन के दौरान दोनों हाथों को जोड़कर जब वक्षस्थल पर लाया जाता है तब इस मंत्र का उच्चारण करें.
दूसरा मंत्र: ॐ रवये नमः।
दूसरे आसन में जब शरीर और दोनों हाथों को पीछे की ओर लेकर जाएं तब इस मंत्र का उच्चारण करें.
तीसरा मंत्र: ॐ सूर्याय नमः।
तीसरे आसन में जब झुककर हाथ और पैरों का स्पर्श होता है तब इस मंत्र का उच्चारण करें.
चौथा मंत्र: ॐ भानवे नमः।
चौथे आसन में दाएं पैर को पीछे रखकर आकाश की ओर देखते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें.
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