हर्षल

हर्षल : हर्षल को युरेनस तथा भारतीय ज्योतिष मे इन्द्र या प्रजापति कहते है । इसकी खोज हर्षल नामक संगीतज्ञ ने १३ मार्च १७८१ मे की थी । खगोलविद् “ रायल जान फेल्मस्टीड " ने इसे १६६० और १७१५ मे देखा था । यह सूर्य से १७८२ करोड मील दूर है , यह पृथ्वी से ६४ गुणा बडा है । इसकी परिधि लगभग ३२०० मील है । सम्पूर्ण राशि चक्र का परिभ्रमण ८४ वर्ष मे करता है । एक राशि मे लगभग ७ वर्ष तक रहता है । इसके गुणधर्म शनि के समान है तथा वक्री मार्गी होता है । विभिन्न प्रकार के रंगो का तथा ४ अंक का अधिष्ठाता है । 

१- यह केन्द्रीय स्नायु तन्त्र का अधिपति है । 
२- यह अकस्मात हृदयाधात से मृत्यु का कारक है । 

☛ इन्हीं दो कारणों से इसे कुम्भ राशि का स्वामी माना जाता है । 
☛ वृश्चिक उच्च , वृष नीच तथा मिथुन , तुला बलवान् राशि मानी जाती है । 
☛ लग्न , तृतीय , पंचम , सप्तम , नवम , दशम स्थानो मे शुभ फल देता है ।
☛ मेष , सिंह , धनु राशि में स्थित होने पर जातक को महत्वाकांक्षी , साहसी , धीर बना देता है । 

☛यह तूफान , भूकम्प , विस्फोट , जहाजो का डूबना , रेडियो , दूरदर्शन , कल - कारखानो से सम्बन्धित व्यक्ति , स्वाभाविक राज्यक्रान्ति , नवीन कल्पना , नवीन राज्य की स्थापना , क्रूर महत्वाकांक्षा का कारक है ।


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