गुरु के ऊपर से राहु केतु का गोचर -- एक समीक्षा

गुरु के ऊपर से राहु केतु का गोचर -- एक समीक्षा


(12 अप्रैल को राहु मेष राशि में आता है केतु तुला राशि में आता है और 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में प्रवेश करता है -- तो जिन लोगों का गुरु मेष या तुला राशि में है या तो राहु मीन राशि में है उन लोगों के लिए विशेष लेख )   

आज हम राहु का गोचर जन्म के गुरु पर से जब होता है तब क्या होता है इसके बारेमें विशेष चर्चा करेंगे । जन्मके गुरुके ऊपर राहुका गोचर और जन्मके राहुके ऊपर गुरुका गोचर बहुत ही खराब जाता है । यहां राहु का मतलब राहु केतु के गोचर से है । 

राहु और गुरु एक दूसरे के कट्टर शत्रु है और जब गुरुके ऊपर से राहु पसार होता है तो गुरुका जो जो कारकत्व होता है उसको राहु रोक देता है । न्यूनता पैदा करता है और उसमें बाधाएं पैदा करता है । वैसे ही जन्मके राहुके ऊपर  जब गुरु गुजरता है तो गुरु कोई अच्छा फल नहीं दे पाता । गुरुकी पॉजिटिव  एनर्जी राहु रोक देता है ।  

सबसे पहले हम गुरु का क्या  कारकत्व है उसके बारे में चर्चा करेंगे ।

गुरु 2 5 9 और 11वे स्थान का कारक है । उसके सिवा स्त्री की कुंडली में गुरु पतिका कारक है और पुरुषकी कुंडली में गुरु पुत्र का कारक है । पहले हम स्थानों के कारकत्व को समझेंगे ।

2  परिवार, महीनेकी सैलरी की फिक्स  इनकम और  बैंक बैलेंस 
5  विद्या प्राप्ति, ज्ञान प्राप्ति, शेयर मार्केट का प्रॉफिट, सट्टा या स्पैक्यूलेशन,  संतान सुख, पुत्र सुख
9  आध्यात्मिक प्रगति, साधना, लंबी यात्रा, घर में मांगलिक प्रसंग और कानून 
11 मैत्री संबंध, फ्रेंड्स, रिलेशनशिप, बिजनेस में प्रॉफिट, टर्न ओवर 

अब हम यह सब विस्तारसे देखेंगे ।
2 राहु जब भी जन्म के गुरु के ऊपर से गुजरता है तब जॉब में प्रॉब्लम करता है या ट्रांसफर करता है । जन्म का गुरु खराब हो तो जॉब चली भी जाती है या बदलनी पड़ती है । इनकम कम हो जाती है । खर्चे बढ़ जाते हैं तो बैंक बैलेंस कम हो जाता है । दूसरा स्थान पति या पत्नीका अष्टम स्थान बनता है तो जीवनसाथी की तबीयत के ऊपर भी राहु की असर होती है । फैमिली में अगर कोई बुजुर्ग है तो उसकी तबीयत क्रिटिकल हो सकती है या डेथ भी हो सकता है ।

5 जो बच्चे पढ़ रहे होते है उनके अभ्यास के ऊपर भी नेगेटिव असर होती है । पढ़ने में मन नहीं लगता और रिजल्ट भी अच्छा नहीं आता और एडमिशन के प्रॉब्लम होते हैं । पूजा और मंत्र साधनामें मन नहीं लगता । बड़ों को संतान को लेकर कोई न कोई चिंता आ जाती है । बच्चे अगर बड़े हो तो उनकी रिलेशनशिप या उनके रिश्ते या खराब सौबत या उनकी पढ़ाई या कैरियर को लेकर भी टेंशन हो सकता है ।
जो लोग शेयर मार्केट के साथ जुड़े हुए होते हैं उन को भारी नुकसान उठाना पड़ता है और अगर सट्टा करते हैं तो बड़े टेंशन में आ सकते हैं ।

9 राहु धर्म का दुश्मन है तो गुरु के ऊपर राहु जब भी आता है आध्यात्मिक प्रगति को रोक लगा देता है । साधना में मन नहीं लगता । मन भोग की तरफ दौड़ता है । मन चंचल बनता है । बाहरी अट्रैक्शन बढ़ जाता है । अपने जो संस्कार होते हैं उससे डेढ़ साल के लिए विमुख हो जाता है । इच्छाएं और वासनाएं बढ़ जाती है । राहु गुरु के ऊपर आता है तब इंसान को एक्सपोज करता है । मतलब उसने पास्ट में कोई गलती या भूल की हो तो वह पब्लिक के सामने आ जाती है ।लोग जान जाते हैं और फिर संबंध खराब होते हैं और प्रतिष्ठा भी खराब होती है । कभी कभी कोर्ट के चक्कर भी चालू हो जाते हैं । अगर कोई लंबी यात्रा करनी हो तो उसमें बाधाएं आ जाती है । और अगर उस समय विदेश यात्रा होती है तो विदेश में स्ट्रगल बढ़ जाती है । घर में कोई मांगलिक प्रसंग नहीं आता ।

11 कोई भी रिलेशनशिप चल रही हो तो उसमें ब्रेकअप हो जाता है । दोस्तों के साथ गैरसमझ यानी मिसअंडरस्टैंडिंग हो जाती है । धंधे में प्रॉफिट कम हो जाता है । टर्नओवर के प्रॉब्लम होते हैं । लोन लेनी पड़ती है ।

इसके सिवा जब भी गुरुके ऊपर से राहु गुजरता है तब संतानों को लेकर टेंशन जरूर होता है। संतान की जॉब में तकलीफ होती है या पढ़ाई में तकलीफ होती है या तो कभी संतान कोई लड़की के चक्कर में फस जाता है । स्त्रियों की कुंडली में पति को कोई न कोई टेंशन आ जाता है या तो दोनों के बीच जो रिलेशनशिप होती है उसमें तनाव आ जाता है। 

गुरु के ऊपर से राहु जब गुजरता है उसका ऊपर लिखा हुआ फल जरूर मिलता है लेकिन जिस की कुंडली में गुरु 6 8 या 12वे स्थान में है उनको यह ज्यादा असर करता है और जिसका गुरु केंद्र या त्रिकोण में बैठा हो उसको राहुकी असर थोड़ी मात्रा में होती है लेकिन होती है जरूर । 

उसके सिवा गुरु जिस स्थान का मालिक होता है उस स्थानकी  जो जो बाबतें होती है उस पर भी नेगेटिव असर होती है ।  

एक बात और भी याद रखें की राहु और केतु की एक्सीस 2 राशियों को पकड़ कर चलती है तो मतलब केतु जब गुरु के ऊपर से पसार होता है तब भी राहु जैसा ही फल मिलता है । 

जिनकी कुंडली में गुरु वृषभ राशि में या वृश्चिक राशि में बैठा हो वह लोग पिछले डेढ़ साल का अपना समय चेक कर लें । क्योंकि राहु 24 सितंबर 2020  से वृषभ राशि में चल रहा है ।

जिनकी कुंडली में  मेष या तुला का गुरु बैठा हो या जिनका राहु मीन राशि में है उनको 12 अप्रैल के बाद ऊपर लिखी हुई सभी बातों का थोड़ा बहुत अनुभव तो होगा ही ।  तो संभाल के चले । 

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