मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित) एवं शनि मंत्र
मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित)
भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए मृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाता है. कुछ लोग इसे महामृत्युंजय मंत्र भी कहते है. पर यह गलत है. मृत्युंजय मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र का भाग है. यह भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे प्रभावशाली मंत्र है. मृत्युंजय मंत्र की रचना महर्षि मार्कण्डेय ने की थी. आईए आपको इस मंत्र की संपूर्ण जानकारी देते है.
मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित)
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि: वर्धनम् ।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।।
अर्थ
त्रि– तीन, अंबकं– आँखें, यज– पूजा, महे– श्रेष्ठ, सुगन्धिं– सुगंध फैलाना, पुष्टि– ताकत, वर्धनम्– बढ़ाने वाला, उर्वारुकमिव– तरबूज पक जाने के बाद, बन्धन– बंधन, मृत्यु– मौत, र्मुक्षीय– मोक्ष को, मा– नहीं, अमृतात्– अमर
अर्थात्: हे तीन नेत्रों वाले (शिव) आप पूजा में श्रेष्ठ है. आप जीवन को सुगंधित करने वाले और ताकत बढ़ाने वाले है. जिस प्रकार तरबूज या ककड़ी पकने के बाद प्राकृतिक रूप से बंधन से मुक्त हो जाते है, उसी प्रकार हम भी अपने जीवनकाल को पूरा करके प्राकृतिक रूप से मृत्यु को प्राप्त हो. हम अमर होना नहीं चाहते.
Shani Mantra (With Meaning)। शनि मंत्र (अर्थ सहित)
शनि देव के प्रकोप से सभी डरते है. जिसके ऊपर भी शनि देव का प्रकोप हो गया उसका तो लगभग सर्वनाश हो जाता है. शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए Shani Mantra (शनि मंत्र) का जाप करना चाहिए. आईए आपको Shani Mantra (शनि मंत्र) से अवगत कराते है.
Shani Mantra (शनि मंत्र)
नीलांजन समाभासम्, रविपुत्रम यमाग्रजम्।
छाया मार्तण्डसंभूतम, तम् नमामि शनैश्चरम्।।
अर्थ
नील– नीला रंग, अंजन– स्याही का रंग, सम– समान, आभासं– के जैसा, रवि– सूर्य, पुत्र– बेटा, यम– यमराज, अग्रज– भाई, छाया- शनिदेव की माता का नाम, मार्तंड– सूर्य, संभूतम– पैदा होना, तं– उनको, नमामि– प्रणाम करता हूं, शनैश्चरम्– धीरे चलने वाला (शनिदेव का अन्य नाम)
अर्थात्: जो नीले और काले रंग के मिश्रण के समान है, सूर्यदेव के पुत्र और यमराज के बड़े भाई है. छाया और सूर्यपुत्र शनिदेव को मैं प्रणाम करता हूं.
शनि मंत्र (Shani Mantra) कब पढ़ना चाहिए?
वैसे तो शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए हमे नियमित रूप इस मंत्र का जाप करना चाहिए. ये हमारी इच्छा पर निर्भर करता है. किंतु कुछ विशेष परिस्थितियों में यह अनिवार्य हो जाता है कि हमें इसका जाप करना चाहिए. अगर उन परिस्थितियों में इस मंत्र का जाप ना किया जाए तो इसके परिणाम घातक हो सकते है.
निम्न परिस्थितियों में शनि मंत्र (Shani Mantra) का जाप करना अनिवार्य हो जाता है:
• जब शनि के प्रभाव से दुर्घटना होने की संभावना हो
• प्राणों पर संकट हो
• शनि के बुरे प्रभाव के कारण जीवन में बहुत सारी
कठिनाइयां उत्पन्न हो रही हो
• शनि की बुरी दृष्टि की वजह से हमे अपना अधिकार
नहीं मिल पा रहा हो
• जब शनि की साढ़े साती चल रही हो
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