shani

भाग -१ 
शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है। जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है।यह ग्रह धीमी गति का ग्रह है । यह सूर्यमाला का सबसे पीछे का ग्रह होने से उसे सूर्य के चारों ओर घूमने में लम्बी यात्रा करनी पड़ती है । 
परिक्रमण काल - 10759.22 दिन (29.4571 वर्ष) 

यह ग्रह ठण्डा है । यह सूर्य पुत्र है , परन्तु यह सूर्य का शत्रु है । यह ग्रह ग्यारहवें भाव में सबसे शुभ माना जाता है । इस भाव में जातक की इच्छापूर्ति होती है । यह चन्द्र का भी दुश्मन है । शनि की मकर और कुम्भ राशि है । यह मेष राशि में नीच का और तुला राशि में उच्च का होता है । यह रूखी राशि है । यह ग्रह सख्त मेहनत का , नर्वस सिस्टम का ग्रह है । मूल त्रिकोण राशि कुम्भ है । यह बुध और शुक्र का मित्र ग्रह है । शनि के पुष्य , अनुराधा और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हैं । यह ग्रह देरी करवाता है और काम होने , न होने पर भी जोर देता है । यह ग्रह उदासी , असामंजस्यता , झगड़ा , बाधा , रुकावट करता है । 

यदि शनि बिगड़ा हो , तो अच्छे शनि के गुण धीरज , गुप्तता , स्थिरता , स्वावलम्बन , बचत करना , कारखाना चलाना , अनुशासन , करेज - ये सभी हैं । जातक खराब शनि से आलसी बनता है । जातक काम करने का सोचता ही नहीं है । यदि कुछ नाश करने का विचार करता है , तब नयी बाधाएं , रुकावटें , साहस टूटना आदि बाधाएं उसके जीवन में आ जाती हैं । वह डर जाता है कि काम सफल होगा या नहीं । उसकी चिन्ता बढ़ जाती है । सही वक्त आने पर उसकी की हुई सब तैयारी वह भूल जाता है । मकर राशि और कुम्भ राशि जिस जातक का लग्न हो या पुष्य , अनुराधा और उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में जिनका जन्म हुआ हो , वह शनि प्रधान व्यक्ति होते हैं । वह अच्छा या बुरा काम शनि की दशा में शनि की स्थितिनुसार करेंगे ।

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यह ग्रह आयुष्य का भी कारक है । शनि आठवें भाव में हो , तो लम्बी आयु देता है । जब शनि कुण्डली में अच्छा बनता है , तो जातक सच्चा , ईमानदार , एकाग्री , काम को चाहने वाला , विश्वासी , धीरज धरने वाला होता है । शनि वाले जातक दूसरे की परवाह नहीं करते हैं । उसे जो अच्छा लगता है , वह करते हैं । वह हिसाब लगाते हैं और इकोनोमिकल होते हैं । शनि की दशा में ब्ल्यू कलर का प्रयोग नहीं करना चाहिए । यदि कुण्डली में चन्द्रमा या बुध राशि से दूषित हो रहा हो , तो लाल कलर का प्रयोग करना चाहिए । शनि का कलर काला , डार्क ब्राउन , फिरोजी हैं । यह जमीन की नीचे की वस्तुओं का कारक है । जमीन का भी कारक है । शनि जो रोग देता है , वह लम्बे समय तक रहता है । दाद - खुजली , जैसे रोग शनि के कारण होते हैं । शनि के चलते लोग पतले , काले और ज्यादा उम्र के दिखते हैं । आंखें गहरी होती हैं । काले बाल वाले और उन्हें सुनाई कम देता है । सातवें स्थान में शनि होने से पति या पत्नी सांवली मिलती है । यदि शनि और चन्द्रमा के बीच अच्छा सम्बन्ध न हो , तो जातक का काम जल्दी नहीं होता है । 

कृष्णमूर्ति ज्योतिष पद्धति में शनि चन्द्र की परस्पर दृष्टि , युति , शनि की चन्द्र पर दृष्टि , पुनर्भुयोग देती है । यह योग खराब माना गया है , जिसे हम विष योग भी कहते हैं । इसके चलते रक्त बहाव , न्यूट्रीशन , शरीर के अन्दर कचरा जमना , चमड़ी का सख्त होना , दांत के रोग , पायरिया रोग होते हैं । मंगल शनि और चन्द्र के सम्बन्ध से चेचक का रोग होता है । शनि और मंगल की दूषित दृष्टि से ऊपर से गिरना , घाव , ऑपरेशन , फ्रैक्चर , स्पाइन की बीमारी , गॉल स्टोन रोग होते हैं । बुध के साथ इसके सम्बन्ध से पागलपन , कान की तकलीफ , ठण्ड , डिप्थीरिया , अस्थमा , तुतलाना , विटामिन ' बी ' की कमी , पैरालाइसिस , एन्जाइम की तकलीफ होती है । शनि गुरु के संयोग से कब्ज , कैंसर , सायटिका आदि रोग होते हैं । सूर्य और शनि के सम्बन्ध से रक्तचाप , हैमरेज , हृदय सम्बन्धी रोग , अनीमिया आदि रोग होते हैं । शुक्र और शनि के खराब सम्बन्धों से गुप्त रोग , कोढ़ , खुजली , काले ब्ल्यू पट्टे निकलना , सूजन आदि रोग होते हैं । 

पहाड़ , रण , गुफा , खाई , छोड़ी हुई इमारत , बहुत जर्जरित मकान , चर्च , मन्दिर , खदान , कुएं , गन्दी बस्ती , हजाम की दुकान , कत्लखाना और वह जगह जहां गन्दी गन्ध आती है , वहां इस ग्रह का निवास है । भारी टैक्स , सरकार की तरफ से निजी क्षेत्र को परेशानी , नियति में गिरावट , विदेशी मुद्रा मिलने में मुसीबत , मजदूरों की समस्या , हड़ताल , अकाल , सरकारीकरण , निजी सम्पत्ति में सरकार का हस्तक्षेप करना , बिजनेस ले लेना , युद्ध , वाहन व्यवहार में तकलीफ , रेल , अकस्मात् वस्तुओं का नुकसान होना , शस्त्र और गोला - बारूद , हर चीज का अभाव होना आदि विषय इस ग्रह के अधीन हैं । इस ग्रह के अन्तर्गत भंगार वस्तुओं का व्यापार , शीशे का व्यापार , काली वस्तुएं , बाल , गरम कपड़े , चमड़े , खदान , धातु , कोयला , पेट्रोलियम पदार्थ , सीमेण्ट पाइप , जानवरों की खाल आदि धन्धे आते हैं ।


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