चन्द्र की महिमा और कर्म फल
चन्द्र की महिमा और कर्म फल
✍️ मनोस्थिति और सुख कराक चन्द्र कलयुग में 85 से 95 % कुंडलियों में पीड़ित मिलता है जबकि चन्द्र ही वो डिलेवरी बॉय है जो दशा अंतर्दशा के माध्यम से भाग्य में लिखे फलों की डिलेवरी करता है
✍️ आपके जन्म में समय चन्द्र जिस नक्षत्र में होता है वहीं आपके दशा क्रम को निर्धारित कर देता है जैसे पुष्य नक्षत्र में जन्म कालीन चन्द्र हो तो पहली दशा शनि की मिलती है ।
✍️ चन्द्र ही सुख है जो लग्न अर्थात मंगल भोगता है श्री कृष्णा गीता में बोलते है हे पार्थ तू कर्म कर फल की आसक्ति से रहित होके कर्म कर यही कथन शनि की महिमा का वर्णन है सुख ( चन्द्र ) लग्न ( मंगल ) तब ही भोगेगा जब कर्म ( शनि ) करेगा ।
🔱 चन्द्र ( मन ) के दो हिस्से राहु केतु ( माया ) ही तो है जो चन्द्र ( मन ) को पीड़ित करके दुखी करते है और जातक आसक्तियों में फस कर दुखी रहता है
🕉️ आपका चंद्र जितना मजबूत होगा आपके कर्म जितने सुदृढ होंगे आप उतने है सफल और सुखी होंगे आप यानि लग्न मतलब मंगल पार्थ 😊 कुछ समझे ।
✍️ ये में हेमन्त थरेजा नहीं बोल रहा हूं ।
🍁 ये मेरे श्री कृष्णा बोलते है गीता के माध्यम से 📿📿
नोट - काल पुरुष कुण्डली प्रथम भाव मंगल देह कराक चन्द्र सुख कराक शनि दशम अधिपति कर्म कराक 🦚
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