सप्तम भाव प्रश्न -

सप्तम भाव प्रश्न -

✤ विवाह के प्रश्न मे , यदि सप्तम का स्वामी लग्नेश या चन्द्रमा से इत्थशाल योग हो तो प्रश्नकर्ता को मांग के विना दुल्हन मिलेगी । यदि लग्न का स्वामी या चन्द्रमा सप्तम भाव मे हो तो प्रयासो से दुल्हन सुरक्षित होगी । 

✤ यदि लग्न का स्वामी चन्द्रमा से मुशरिफ योग मे हो या लग्नेश का सातवे के स्वामी से इत्थशाल हो तो प्रश्नकर्ता को बिना प्रयासो के दुल्हन मिलेगी । यदि वे ग्रह जिनका इत्थशाल हुआ है अस्त हो या अशुभ ग्रहो से पीडित हो तो प्रश्नकर्ता दुल्हन पाने में असफल होगा । 

✤ यदि आठवे भाव का स्वामी अशुभ ग्रह हो तो दुल्हन को सुरक्षित रखने का उद्देश्य पराजित होगा । तीसरे या चौथे का स्वामी अशुभ ग्रह हो तो दुल्हन को सुरक्षित रखने का प्रयास भाई , पिता के कारण विफल होगा । प्रश्न कुण्डली मे संयोजन शुभ ग्रहो से प्रभावित हो तो उचित स्त्रोतो के माध्यम से वस्तु का एहशास होगा । 

✤ प्रेम प्रसंग के प्रश्न मे यदि लग्न स्वामी का सातवे भाव के स्वामी से मुथसिला योग हो तो दोस्ती और प्रेम होगे । यदि ये दोनो स्वामी शत्रुतापूर्ण पहलू मे हो तो युगल हमेशा झगडते रहेगे । यदि इन दोनो मे से एक स्वामी का कम्बूल योग चन्द्रमा से हो तो दुल्हन चरित्र से सम्पन्न होगी । 

✤ यदि शनि लग्न या सप्तम भाव का स्वामी होकर केन्द्र मे हो तो प्रश्नकर्ता या दुल्हन का वरद् हस्त होगा । यदि सूर्य और शुक्र दोनो ग्रह एक ही राशि में हो तो युगल मे झगडे के बाद सुलह हो जायगी । सूर्य या शुक्र या दोनो ग्रह कमजोर हो तो वर या वधु या दोनो खुश नही रहेगे । " 

✤ क्या मेरी नाराज पत्नी धर वापस लौटेगी ? " इस प्रश्न पर कहे कि वह वापस धर नही लौटेगी यदि सूर्य प्रथम , द्वितीय या तृतीय भाव मे हो और शुक्र पांचवे , छठे या सातवे भाव मे हो । यदि शुक्र वक्री या सूर्य - सापेक्ष मे उदय हो तो पत्नी वापस धर लौटेगी । यदि शुक्र वक्री नही है और अस्त है तो पत्नी धर वापस नही आयगी । चन्द्रमा के क्षीण या वृद्धि के अनुसार लौटने मे विलम्ब या शीध्रता होगी ।

☛ नोट : - उपरोक्त संयोजनो के तहत तलाक के बारे में पूछे जाने वाले प्रश्नो का भी उत्तर दिया जा सकता है । यदि पहले और सातवे भाव के स्वामी परस्पर अशुभ पहलू मे हो और राहु या मंगल से पीडित हो तो आसन्न तलाक का संकेत है । यदि दोनो स्वामी परस्पर अशुभ पहलू मे हो किन्तु गुरु या शुक्र से युति योग मे हो तो तलाक इच्छा सामंजस्य की इच्छा को जगह देगी । यदि लग्न का स्वामी मंगल या राहु से पीडित है तो प्रश्नकर्ता तलाक का इच्छुक है । यदि सातवे भाव का स्वामी पीडित है तो साथी तलाक का प्रयास करेगा । वैधानिक पक्रिया के चलते हुए भी युगल तलाक का विचार छोड देगा यदि लग्न का स्वामी वक्री हो और गुरु या शुक्र के पहलू मे हो । 

✤ यदि शुक्र कुम्भ राशि मे हो और बुध सिंह राशि में हो तो अभी तक प्रसव नही हुआ है । यदि शुक्र वृश्चिक राशि मे हो और बुध वृषभ राशि मे हो तो प्रश्न के समय प्रसव हो चुका 

✤ यदि मंगल , बुध , शुक्र और चन्द्रमा धनु राशि को छोडकर द्विस्वभाव राशि मे हो तो प्रसव बहुत पहले हो चुका होगा । यदि ये चारो ग्रह धनु राशि मे हो तो प्रसव नही होगा । 

☛ प्रश्न हो कि “ क्या दुल्हन अपने चरित्र मे पवित्र या शुद्ध है ? " 

१ यदि लग्न , लग्न का स्वामी और चन्द्रमा स्थिर राशि में हो तो दुल्हन पवित्र या शुद्ध होगी ।
२ यदि लग्न , लग्न का स्वामी और चन्द्रमा चर राशि मे हो तो दुल्हन पवित्र या शुद्ध होगी । 
३ यदि लग्न चर राशि मे हो ओर चन्द्रमा द्विस्वभाव राशि में हो तो कन्या का चरित्र संदेहास्पद होता है । 
४ यदि चन्द्रमा और मंगल द्विस्वभाव या चर राशि मे हो तो कन्या ने गुप्त रुप से व्यभिचार किया है । 
५ यदि शनि और चन्द्रमा लग्न मे है तो उसकी यौन अशुद्धता एक खुला रहस्य होगा । 
६ यदि शनि , मंगल केन्द्र मे चन्द्रमा के पहलू मे हो और यदि शुक्र , चन्द्रमा के द्रेष्काण मे हो तो कन्या व्यभिचार की दोषी होगी ।

Comments

Popular posts from this blog

Chakravyuha

Kaddu ki sabzi

Importance of Rahu in astrology