रवि प्रदोष व्रत
रवि प्रदोष व्रत
हमारे शास्त्रों में प्रदोष व्रत की बड़ी महिमा है। रविवार को आने वाला यह प्रदोष व्रत स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। यह व्रत करने वाले की स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियां दूर होती हैं अत: स्वास्थ्य में सुधार होकर मनुष्य सुखपूर्वक जीवन-यापन करता है।
आज रवि प्रदोष व्रत की पूजन विधि---:
*पूजन सामग्री----:*
एक जल से भरा हुआ कलश उसमें थोड़ा गंगाजल डालें, एक थाली (आरती के लिए), बेलपत्र, धतूरा, कपूर, सफेद पुष्प, अक्षत व माला, आंकड़े का फूल, मिठाई, सफेद चंदन, धूप, दीप, सफेद वस्त्र, दक्षिणा आदि सामग्री लेकर शिव भगवान की पूजा करें।
भगवान शिव के सामने सुबह व शाम शुद्ध देसी गाय के घी का दीपक जलाएं। भगवान को बेलपत्र धतूरा नैवेद्य आदि अर्पित करें, शुद्ध गाय के दूध गंगा जल, जल से अभिषेक करें।
"ॐ नमः शिवाय" का जप करते रहें, उसके बाद धूप,दीप, कपूर से भगवान की आरती करें।
*कैसे करें पूजन----:*
रवि प्रदोष व्रत के दिन व्रतधारी को प्रात:काल नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिवजी का पूजन करना चाहिए। प्रदोष वालों को इस पूरे दिन निराहार रहना चाहिए या पूजा के बाद दूध फल का सेवन करना चाहिए। तथा दिनभर मन ही मन शिव का प्रिय मंत्र *ॐ नम: शिवाय'* का जाप करना चाहिए। तत्पश्चात सूर्यास्त के पश्चात पुन: स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार से पूजन करना चाहिए।
*कैसे करें व्रत----:*
इस दिन प्रदोष व्रतार्थी को नमक रहित भोजन करना चाहिए।
संभव हो सके तो आज के दिन दूध, फल का सेवन करके व्रत करें।
यद्यपि प्रदोष व्रत प्रत्येक त्रयोदशी को किया जाता है, परंतु विशेष कामना के लिए वार संयोगयुक्त प्रदोष का भी बड़ा महत्व है। अत: जो लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं, किसी न किसी बीमारी से ग्रसित होते रहते हैं, उन्हें रवि प्रदोष व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत से मनुष्य की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां दूर होती हैं तथा मनुष्य निरोगी हो जाता है। यह व्रत करने वाले समस्त पापों से मुक्त भी होते है।
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