पितृदोष
पितृदोष ज्योतिष में
पितृ दोष दोष है जो सबसे आम है। लेकिन यह कैसे बनता है? हम इससे कैसे छुटकारा पा सकते हैं? कौन से उपाय करने चाहिए? आदि । आइए मुद्दे पर आते हैं।
पितृ दोष तब बनता है जब सूर्य और राहु एक साथ आते हैं और वे सभी हानिकारक परिणाम पैदा करते हैं जिससे व्यक्ति को इतनी परेशानी होती है। यह पितृ दोष सूर्य को मरने की स्थिति में बनाता है और सूर्य अस्थिर और असहज हो जाता है, कमजोर सूर्य के पास कितना अच्छा घर और डिग्री आदि है लेकिन राहु यह सब खत्म कर देता है यह राहु की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि है। सूर्य के प्राकृतिक दुश्मन होने के कारण राहु शनि, केतु से मदद लेता है शुक्र सूर्य को पूरी तरह से नुकसान पहुंचाएगा। यह योग सबसे खतरनाक है जब सूर्य 9 वें घर में बैठता है। राहु कर्क और सिंह लग्न में बुरे खलनायक बन जाते हैं, विशेष रूप से इन दो लग्नों में यह पितृ दोष अधिक शक्तिशाली हो जाता है और सूर्य ऊर्जा कम हो जाता है। अन्य लग्न में ऐसा हुआ लेकिन कर्क और सिंह लग्न में यह अधिक खतरनाक हो जाता है।
हम कहते हैं कि राहु सूर्य से ऊर्जा लेता है लेकिन यह सूर्य को अकेले ही खत्म कर देता है। इससे भी बदतर जब सूर्य चंद्रमा, मंगल, बृहस्पति के मित्र खराब स्थिति में होते हैं। क्योंकि वे सूर्य की मदद नहीं कर सकते हैं। यदि किसी की सूर्य महादशा चल रही हो और राहु की अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा हो जाती है तो उस समय सबसे खराब सूर्य बहुत असहज और मर जाता है।
उपाय।
प्रतिदिन गायत्री मंत्र से सूर्य को जल दें।
हनुमान चालीसा और आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करें।
१) अगर द्वादश में चंद्र अशुभ है तो अपनों से इंसान को हमेशा धोखा मिलेगा और मन परेशान रहेगा।।
२) बुध की दशा हो तो गणेश चालीसा रोजाना पड़े।।
३ मंगल और राहु की अशुभ युति या दृष्टि है तो एक सूखे नारियल में लाल चंदन का घोल मिलाकर चलते पानी में प्रवाहित कर दे।।
४) अगर रत्न लेने में सक्षम न हो तो उपरत्न धारण कीजिए।।लेकिन कुंडली अनुसार धारण अवश्य कीजिए।।
५ अगर पैसा स्थिर ना हो और व्यय अधिक हो तो भैरव मंदिर में शनिवार को एक किलो दूध रखे।।ये उपाय सात शनिवार को करे।।दूध तभी रखे अगर चंद्र अशुभ स्तिथि में हो।।
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