दशम भाव और सूर्य

दशम भाव और सूर्य 

इशारों को अगर समझो तो राज को राज रहने दो. हमारे आचार्यो ने इशारों ही इशारों मे बहुत कुछ समझाया है. अब समझने वाले समझ गए . जो न समझे. जो न समझे वो खिलाड़ी है. लिखते है दसम का सूर्य हो तो कहने ही kya. केंद्र बल मिल गया. दिग्बल मिल गया. और स्व उच्च का हुआ तो कहने ही kya . सूर्य सोर मंडल का सबसे बड़ा गृह है. सबका केंद्र बिंदु भी है. चर्चा कर चुके है कई बार इस्पे. दसम कर्म. ऋषि पराशर ने भी तो लिखा है दोपहर 12 से एक का जन्म अपने आप मे एक प्रबल राजयोग है. मतलब यही हो गया की सूर्य दसम मे रहेगा और अभिजित मुहूर्त भी रहेगा. सूर्य सब ग्रहों के दोष को दूर करने वाला एक मात्र गृह. लग्न नवं दसम का कारक. लग्न मजबूत हो गया. भाग्य मजबूत हो गया. कर्म मजबूत हो गया. आत्म मजबूत हो गयी. आरोग्य मजबूत हो गया. हड्डिया मजबूत हो गयी. पेट मजबूत हो गया तो और kya चाहिए पार्थ तुमको. आयुर्वेद तो कहता ही है की लगभग सारी बीमारिया पेट से ही उत्पन्न होती है. दसम मे बैठा सूर्य दिग्बल केंद्र बल ले ही रहा है पहले से और राशि बल, वर्ग बल, शुभ युति द्रष्टि हो गयी साथ मे तो और kya चाहिए पार्थ तुम्हे. कर्म भाव को, राज्य भाव को अपनी रौशनी मे चकाचोंध कर देगा. जातक की ख्याति दशो दिशाओ मे फेल जाएगी. 

अब इसके आस पास के भाव भी इसकी रौशनी से चका चोंध हो जायेंगे. चोथे भाव पे द्रष्टि डालके और भी वारे न्यारे कर देगा. प्रत्यक्ष मे सब कुछ करेगा जातक. अप्रत्यक्ष मे कुछ भी नहीं रहेगा. जातक केंद्र बिंदु बन जायेगा सबका. सूर्य तो वैसे भी ग्रहों का राजा है. बात घूम फिर के फिर वही आ गयी. बारह भावो मे केंद्र भाव सबसे बली . और केन्द्रों मे सबसे बलि दसम भाव. और दसम मे सबसे बलि सूर्य. और सूर्य सबसे बड़ा गृह. ग्रहों का राजा. मतलब मजे ही मजे आपके तो. बस युति द्रष्टि वर्ग बल देख लो. राहू ने ग्रहण लगा दिया तो बज गयी बारह. 

आप राजा. धन का भाग्य चमकेगा. परिवार का भाग्य चमकेगा. शुभ का हुआ तो भाई की आयु मस्त. मकान का ग्राहक मस्त. बुद्धि की प्रतियोगिता मे कोई न जित पायेगा. रोग की योजनाये अच्छे से बना लोगे. पत्नी को सुख अपार मिलेगा. ससुराल पराकर्मी मिलेगा. भाग्य का धन इतना मिलेगा की पुचो ही मत. कर्म क्षेत्र मे आपका कोई सानी रहेगा ही नहीं. लाभ का खर्च दिल खोल के मिलेगा और मोक्ष से लाभ ही लाभ मिलेगा.

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