कुंडली
जन्मकुंडली में नौवें भाव को पिता, पूर्वज, भाग्य और किस्मत का कारक माना जाता है।
इस घर में सूर्य और राहू की युति और अन्य ग्रहों के साथ रहने पर पितृ दोष उत्पन्न हो सकता है।
इससे भाग्य और शुभता दोनों समाप्त हो जाती हैं। कुंडली में पितृ दोष का मतलब है कि उस व्यक्ति के पितृ उससे प्रसन्न नहीं हैं या किसी कारण से असंतुष्ट हैं।
परिवार में किसी व्यक्ति की अकाल मृत्यु होने या मृत परिजन की आत्मा को सम्मान ना देने पर भी यह दोष उत्पन्न हो सकता है।
आमतौर पर पितृ दोष जीवन में दुख और दुर्भाग्य का कारण बनता है। इससे धन का नुकसान, परिवार में अनबन, कानूनी केस या संतान पैदा ना कर पाने जैसी दिक्कतें आती हैं।
पितृ दोष से पीडित व्यक्ति को भाग्य का लाभ नहीं मिल पाता है और उसे अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार मृत पूर्वजों को प्रसन्न एवं संतुष्ट करने से जीवन में खुशियां आती हैं और शांति बनी रहती है।
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