दो_विवाह_किनके_होंगे?

दो_विवाह_किनके_होंगे?

आज बात करते है दो(2)विवाह से संबधित।किसी किसी जातक/जातिका की कुंडली मे ऐसे ग्रहयोग वैवाहिक जीवन को लेकर बने होते है कि उनकी 2शादियां होती है आज इसी बारे में समझते है और बात करते है।                                                                                      कुंडली का 7वा भाव और इसका स्वामी विवाह और वैवाहिक जीवन का है तो शुक्र पुरुषों के लिए विवाह और पत्नी सुख ग्रह है तो बृहस्पति लड़कियों/महिलाओं के लिए विवाह और पति सुख ग्रह है।अब 7वे भाव और 7वे भाव स्वामी दोनो पर कम से कम दो पाप ग्रहों शनि राहु केतु मंगल इनमे से दो पाप ग्रहों का प्रभाव होकर यह पीड़ित कर रहे है और शुक्र/बृहस्पति ज्यादा बलवान नही है तब यहाँ पहली शादी नही चलेगी शादी न चलने या शादी खत्म होने का कारण कुछ भी हो सकता है जो भी कारण कुंडली मे बना होगा जैसे, जीवनसाथी से तलाक, जीवनसाथी की मृत्यु या जीवनसाथी के द्वारा छोड़ देना आदि।अब ऐसी स्थिति है लेकिन 7वे भाव स्वामी और 7वा भाव शुभ स्थान में कुंडली के बैठकर किसी भी एक शुभ ग्रह या एक से ज्यादा शुभ ग्रह शुक्र या गुरु या चन्द्र या बुध से सम्बंध बना रहा है और पुरुष कुंडली है तब शुक्र, स्त्री की कुंडली है तब बृहस्पति बहुत मजबुत है या शुभ स्थिति में होकर सामान्य बलवान है तब दूसरी शादी होगी/दूसरी शादी हो जाएगी।शनि मंगल राहु केतु का अधिक स अधिक विवाह पर प्रभाव या सम्बंध विवाह को खंडित करता ही है।अब कुछ उदाहरणों से समझते है दो विवाह किन लोगों के होंगे और किस कारण से होंगें क्या कारण होगा दूसरे विवाह होने का??                                                                           

 #उदाहरण_अनुसार_मकर_लग्न1:- मकर लग्न में 7वे भाव स्वामी चंद्रदेव हैं अब यहाँ चन्द्रमा और 7वा भाव शनि की दृष्टि और राहु से पीड़ित हैं और यहाँ 7वे भाव या 7वे भाव स्वामी चन्द्रमा से 8वे भाव("मृत्यु का भाव")स्वामी सूर्य का भी सम्बन्ध हो गया हैं साथ ही शुक्र या गुरु कमजोर है तब जीवनसाथी की मृत्यु के कारण दूसरा विवाह होगा , अगर 7वे भाव स्वामी चन्द्रमा के साथ शुक्र या गुरु सम्बन्ध है और लड़का है तब शुक्र और लड़की है तब बृहस्पति गुरु बलवान हो।।                                                                                                      #उदाहरण_अनुसार_कन्या_लग्न2:-कन्या लग्न में 7वे भाव स्वामी बृहस्पति है अब यहाँ बृहस्पति और 7वे भाव को शनि पीड़ित कर रहे और कही न कही बृहस्पति राहु केतु या अन्य तरह से पीड़ित है("मंगल से पीड़ित न हो)तब तलाक के कारण शादी टूटेगी बाकी गुरु बृहस्पति शुभ स्थान में बैठा है नवमांश कुंडली मे भी बलवान है तब दूसरी शादी हो जाएगी और कुंडली पुरूष जातक की है तब शुक्र बलवान होना जरूरी है तब ही दूसरी शादी हो पाएगी।।                                                                               #उदाहरण_अनुसार_मेष_लग्न3:-
मेष लग्न में 7वे भाव स्वामी शुक्र शनि राहु मंगल इनमे से किसी दो या तीनो से पीड़ित हैं गुरु का सहयोग 7वे भाव को नही है तब तलाक के कारण शादी नही चल पाएगी बाकी शुक्र बलवान है यहाँ कही न कही कुंडली के अच्छे घर मे बैठा है नवमांश में भी शुक्र बलवान हैं तब दूसरी शादी होगी

दूसरी शादी भी तब होगी ऐसी स्थितियों में जब पत्नी कारक शुक्र और पति कारक गुरु 7वे भाव सहित बलवान होने चाहिए

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