पूर्व #जन्म #संबंधित #सिद्धांत व #सूत्र

पूर्व #जन्म #संबंधित #सिद्धांत व #सूत्र 


चंद्रमा आठवें भाव में पाप पीड़ित या अशुभ स्थिति में हो तो अरिष्ट दोष करता है (लग्नेश बलवान हो या लग्न शुभ ग्रह से दृष्ट हो तो रक्षा होती है )जातक का जीवन यह स्वास्थ्य सुख शांति या मनोबल या आर्थिक स्थिति प्रभावित रहती है। उसके माता की आयु या स्वास्थ्य की हानि होती है( जिससे जातक को मातृ सुख की कमी हो सकती है जातक के जन्म के समय या गर्भ काल में ही माता को बहुत तकलीफ उठानी पड़ सकती है। जातक जन्म के 6 से 8 वर्ष तक अस्वस्थ रहता है यदि राहु से दृष्ट हो या राहुल लग्न में हो तो मिर्गी आदि के दौर या मनोरोग संभव होते हैं ।फिर भी जातक का अपनी माता के प्रति विशेष लगाव होता है। बड़ी मां से उसके संबंध बिगड़ सकते हैं या उनके कारण उसे कोई क्लेश हो सकता है । बहुत सारी चीजें हैं अष्टम चंद्रमा के बारे में जो लिखना ठीक नहीं है कई लोग बवाल करने लगेंगे लिखने पर।कई का मनोबल टूट जाएगा 🥲
#उपाय रिश्वत कवि ना ले और बुजुर्गों किस राज्य में दूध के पदार्थ दान करें शमशान के कुएं या हेड पंप का पानी लाकर घर में रखें किंतु दूसरे भाव में राहु केतु शनि हो तो एक बोतल आ दूध भरकर ढक्कन टाइट करके भी राजस्थान में जमीन के नीचे दबा दें माता माता समान स्त्रियों की सेवा करें।
    हमेशा शिव आराधना करें प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में 100 ग्राम चावल का अर्धचंद्र और द्वितीय सोमवार को पूर्ण चंद्र 200 ग्राम का बनाकर घी का दिया लगाएं और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें साथ में चंद्र का जाप भी करें।

Comments

Popular posts from this blog

Chakravyuha

Kaddu ki sabzi

Importance of Rahu in astrology