रोटी दाल

⛳सनातन धर्म के वैज्ञानिक रहस्य⛳"_* ┉┈                   
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               🔱 *॥ भाग-०७॥*🔱
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*🔆रोटी दाल तथा पूड़ी पकवान में भेद🔆*

*👉भोजन के विषय में रोटी दाल की अपेक्षा पूड़ी आदि घृत से पके अन्न को शुद्ध माना जाता है। इसका वैज्ञानिक  रहस्य यह है कि एक तो घृत स्वयं ही शुद्धिकारक है✔️ दूसरी बात यह है कि जल से बना हुआ पदार्थ शीघ्र विकृत हो जाता है क्योंकि कीटाणु जल को शीघ्र ही दूषित एवं विकृत कर देते हैं।✔️ परन्तु घृत पर कीटाणुओं का आक्रमण सफल नहीं होता इसलिये घृत से बना हुआ अन्न न तो शीघ्र दूषित होता है और न विकृत , 😊😊✔️इसलिये वह पवित्र माना जाता है। कच्चे भोजन रोटी दाल आदि खाने की अपेक्षा इसीलिये पूड़ी आदि का विशेष विचार किया जाता है। पूड़ी मिष्ठान आदि में उतना विचार नहीं है क्योंकि इसमें घृतादि चिकनाई की प्रधानता रहती है।*✔️😊☝🏻

*🔆मिट्टी आदि के पात्रों का विचार🔆*

*👉इसी प्रकार भोजन के पात्रों का भी विचार तथा वैज्ञानिक रहस्य है | चांदी, फूल तथा पीतल आदि के बर्तन अधिक पवित्र माने जाते हैं, वे मिट्टी आदि से मांज कर साफ भी कर लिये जाते हैं परन्तु मिट्टी के बतंजों का बारंबार प्रयोग करने का निषेध है✋🏻✔️ उसका वैज्ञानिक रहस्य यह है कि मिट्टी के पात्र में कीटाणु  अत्यंत शीघ्र एवम् बहुत अधिक संख्या में जम जाते हैं,,और उन्हें दूर करने में बड़ी कठिनाई होती है।😳✔️ एक वैज्ञानिक ने इसका परीक्षण किया तो ज्ञात हुआ कि कांच या मिट्टी के प्याले में ओंठ का लगना था कि सहस्त्रों कीटाणु वहां जम गये😳😳😳✔️ और पानी से धोने पर भी उनका पूरा असर नहीं गया । यही कारण है कि मिट्टी के बर्तन में स्पर्शास्पर्श का बड़ा विचार है। तथा एक व्यक्ति का प्रयोग किया हुआ जूठा बर्तन दूसरे व्यक्ति को प्रयोग करने का निषेध किया गया है।✋🏻✋🏻 मिट्टी के घड़े आदि में जल का संयोग होने के कारण उसमें कीटाणु बहुत शीघ्र तथा अधिक संख्या में प्रभाव डालते हैं।*☝🏻☝🏻✔️

*👉शास्त्रकारों ने यहां तक वर्णन किया है,कि भोजन के समय कौन सी वस्तु कहां पर रक्खे । यथा-अच्छे निर्मल थाल में सामने भात परोस कर रखे और सामने संस्कार किये हुये प्रदेह (हलुआ आदि नरम पदार्थ ) स्थापन करे । फल् और सर्व प्रकार के भक्ष्य पदार्थ और जो सूखे पदार्थ हों उन्हें भोजन करने वाले के दाहिनी ओर रक्खें। द्रव (पतले) और रस, पानी, पना, दूध, रबड़ी खीर, श्री खण्ड आदि तथा अन्य पीने बाले पदार्थ बाईं ओर रखने चाहिये । सब प्रकार के गुड़ के विकार (खांड शंकर) आदि भोजन तथा खाण्डव व सदृक (शिखरण ) इन्हें बुद्धिमान पुरुष दोनों के बीच में रक्खे |*☝🏻✔️

*इसमें रखने की कुशलता, सुविधा, तथा सुन्दरता के साथ साथ आयुर्वेद की दृष्टि से लाभदायक तथा वैज्ञानिक रहस्य यह है कि भोजन करने वाला व्यक्ति दाहिनी ओर रक्खी हुई वस्तुओं की पहले खायेगा अतः दाहिनी ओर भक्ष्य सूखे पदार्थ रक्खे गये । उन्हें पहले खाने से पाचन यन्त्र का प्रारम्भिक कार्य उन्हीं को पचाने में लग जावेगा।😳✔️ बायीं तरफ वाली वस्तुओं को यदि थोड़ा बहुत भोजन कर चुकने के बाद भी खाया जायगा तो वे पतले तथा रसमय पदार्थ होने के कारण अवश्य ही पच जायेंगे | बीच वाले पदार्थ सुस्वादु रुचिकर होने के कारण भोजन प्रेम पूर्वक करने में सहायक होते हैं।*😊😊☝🏻 ▬▬▬▬▬๑⁂❋⁂๑▬▬▬▬▬
*अगले भाग में:भोजन विधि में वैज्ञानिक रहस्य*
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वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ।निर्विघनम कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।
*भगवान लंबोदर गणेश जी की जय*
_*⛳⚜️सनातन धर्मरक्षक समिति*_⚜⛳

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