रत्न माणिक्य
रत्न माणिक्य
✨✨लग्न के अनुसार रत्न विचार ✨✨
✨ मेष लग्न - मेष लग्न के जातक बुद्धि बल प्राप्त करने , आत्मोन्नति के लिये तथा सन्तान सुख , प्रसिद्धि , बल प्राप्त करने , और राज्यकृपा प्राप्ति के लिये माणिक्य धारण करें । सूर्य की महादशा में उसको धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा ।
✨वृष लग्न इस लग्न के जातकों को माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा । उनको इसका धारण करने से मानसिक शान्ति , सुख विद्याध्ययन में सफलता , गृह - भूमि लाभ , मातृ - सुख तथा वाहन - सुख प्राप्त होगा ।
✨मिथुन लग्न की कुण्डली में सूर्य तृतीय भाव का स्वामी होगा । अतः इस कुण्डली के जातक को यह रत्न कभी भी धारण करना लाभप्रद ने होगा ।
✨कर्क लग्न के लिये सूर्य धन भाव का स्वामी होगा । अतः इस कुण्डली के जातक धन - भाव या आंखों में कष्ट होने के समय माणिक्य धारण कर सकते हैं । धनभाव मारक भाव भी है । अतः माणिक्य यदि मोती के साथ धारण किया जाये तो श्रेयस्कर होगा । सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेषकर शुभ फलदायक होगा ।
✨सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश है । अतः इस लग्न के लिये माणिक्य अत्यन्त शुभ फलदायक रत्न है और इस लग्न के जातकों को आजीवन माणिक्य धारण करना चाहिये । इसके धारण करने से जातक शत्रुओं के मध्य में निर्भय होकर रह सकेंगे और शत्रु पक्ष सेसे उनके विरुद्ध जो भी कार्यवाही होगी उससे उनकी बराबर रक्षा होती रहेगी । यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगा और आयु में वृद्धि होगी । इस लग्न के जातक अत्यन्त भावुक होते हैं । अत : अपने मानसिक सन्तुलन को बनाये रखने तथा आत्मबल की उन्नति के लिये सदा माणिक्य धारण करना चाहिये ।
✨कन्या लग्न में सूर्य द्वादश का स्वामी होता है । इस लग्न के जातक को माणिक्य कभी नहीं धारण करना चाहिये ।
✨ तुला लग्न की कुण्डली में सूर्य जो लग्नेश शुक्र का शत्रु है , एकादश ( लाभ ) भाव का स्वामी होता है । इस लग्न के जातक को माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण करना आर्थिक लाभ के लिये शुभ फलदायक होगा ।
✨ वृश्चिक लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है । यहाँ सूर्य लग्नेश का मित्र होता है । अतः राज्यकृपा , प्रतिष्ठा , मान , व्यवसाय या नौकरी में उन्नति प्राप्त करने के लिये माणिक्य धारण करना शुभ फलप्रद होगा । सूर्य की महादशा में इसका धारण करना विशेष रुप से शुभ होगा । धनु लग्न में सूर्य नवम ( भाग्य ) भाव का स्वामी होता है । यहाँ भी वह लग्नेश का मित्र है । अत :
✨ धनु लग्न के जातक माणिक्य भाग्योन्नति , आत्मोन्नति तथा पितृ - सुख के लिये आवश्यकतानुसार धारण कर सकते हैं । सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेष रुप से शुभ होगा ।
✨मकर लग्न के लिये सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होता है । इस लग्नेश शनि और सूर्य में परस्पर शत्रुता है । अतः इस लग्न के जातक को माणिक्य कभी नहीं धारण करना चाहिये ।
✨कुम्भ लग्न में सूर्य सप्तम भाव का स्वामी होता है जो भाव विशेष रुप से मारक स्थान है और क्योंकि सूर्य मारकेश होकर लग्नेश का शत्रु है । अतः हम कुम्भ लग्न के जातकों को भी माणिक्य से दूर ही रहने का राय देंगे ।
✨मीन लग्न के जातको को भी माणिक धारण करना उचित न होगा । क्योंकि इस लग्न में सूर्य पष्ठ भाव का स्वामी होता है । इस लग्न में एक अपवाद हो सकता है , क्योंकि सूर्य लग्नेश वृहस्पति का मित्र है । अतः यदि वह षष्ठ का स्वामी होकर षष्ठ भाव ही में स्थित हो तो सूर्य की महादशा में माणिक्य धारण किया जा सकता है ।
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