गुरु चांडाल योग
जन्म कुंडली में अत्याधिक हानिकारक पांच दोष, इनका उपाय अवश्य करें , अन्यथा बहुत कष्ट उठाने पड़ेंगे !
कुंडली में मौजूद गुण-दोष व्यक्ति के जीवन पर बड़ा असर डालते हैं. ज्योतिष में ऐसे ही 5 सबसे खतरनाक दोषों के बारे में बताया गया है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ संयोजन करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष का निर्माण होता है.
इन दोषों की वजह से व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की समस्याएं आ सकती हैं. ये दोष आर्थिक स्थिति, करियर, रिश्तों में दिक्कतें, बीमारियों के अलावा समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की हानि जैसे कई स्थायी प्रभाव डालते हैं.
1. कालसर्प दोष ---: कालसर्प दोष का नाम सुनकर ही लोग परेशान हो जाते हैं, लेकिन यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे समझने की जरूरत हैं, परेशान होने की नहीं. कुंडली में कालसर्प दोष राहु और केतु के एक साथ आने से होता है. इसके अलावा यदि सभी सात प्रमुख ग्रह राहु और केतु ग्रह की धुरी के भीतर होते हैं तो भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष उत्पन्न होता है. इस दोष की वजह से जीवन में अधिक संघर्ष रहता है. बार-बार बनते-बनते काम बिगड़ जाते हैं.
कालसर्प दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय
- काल सर्प दोष निवारण पूजा करवाएं.
- मां दुर्गा और भगवान गणेश की पूजा करें.
- मंगलवार के दिन राहु और केतु के लिए अग्नि अनुष्ठान करें.
- हनुमान चालीसा का पाठ करें.
- मंगलवार के दिन सांपों को दूध पिलाएं.
- कालसर्प दोष निवारण के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ भी फलदायी होता है.
2. मंगल दोष:---वैदिक ज्योतिष में मंगल दोष की गिनती खतरनाक दोषों में होती है. ये दोष रिश्तों में तनाव की वजह बनता है. जब कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम अथवा द्वादश भाव में मंगल होता है, तब मांगलिक दोष लगता है. इस दोष को विवाह के लिए अशुभ माना जाता है. एक सफल सुखद वैवाहिक जीवन के लिए बेहद आवश्यक है कि दोनों ही जीवन साथी की कुंडली में मंगल दोष ना हो. यदि किसी एक की कुंडली में मंगल दोष है, तो विवाह के बाद रिश्ते में प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देने लगते हैं.
मंगल दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय
- हनुमान चालीसा का पाठ करें.
- मंगल ग्रह के लिए अग्नि अनुष्ठान करें.
- 108 बार “ॐ भोमाय नमः” का जाप करें.
- विधि-विधान के साथ मांगलिक दोष निवारण पूजा करवाएं.
- मंगलवार के दिन मंदिर में मां दुर्गा की पूजा करें और दीपक जलाएं.
3. केन्द्राधिपति दोष :----- जब भी किसी शुभ ग्रह की राशि केंद्र में होती है तो उसको केन्द्राधिपति दोष लग जाता है. शुभ ग्रह यानि बृहस्पति, बुध, शुक्र, और चंद्रमा. इनमें से बृहस्पति और बुध के कारण होने वाला यह दोष और भी गंभीर और प्रभावी माना जाता है. पहला, चौथा, सातवां और दसवां केंद्र भाव होता है. इसके बाद शुक्र और चंद्रमा का दोष आता है. उपरोक्त दोष केवल शुभ ग्रहों अर्थात बृहस्पति ग्रह, बुध ग्रह, चंद्रमा ग्रह और शुक्र ग्रह पर लागू होता है. यह शनि, मंगल, और सूर्य जैसे ग्रहों पर लागू नहीं होता है. इस दोष की वजह से व्यक्ति को करियर से संबंधित परेशानियां जैसे नौकरी जाना, व्यापार में दिक्कतें, पढ़ाई से संबंधित परेशानी, शिक्षा की हानि आदि परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं.
केन्द्राधिपति दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय:---
- मंदिर में प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करें.
- प्रतिदिन 21 बार ॐ नमो नारायण का जाप करें.
- रोजाना 11 बार ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें.
4. पितृ दोष :----- इस दोष के बारे में तो अमूमन ज्यादातर लोग जानते ही हैं. जिस किसी व्यक्ति के पितृ प्रसन्न नहीं होते हैं, उनकी कुंडली में इस दोष का निर्माण होता है. हर साल आने वाले पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध न करने, श्राद्ध कर्म में भाग न लेने और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ नहीं करने से ये दोष हावी हो जाता है और व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. इसके अलावा जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु के साथ सूर्य का संयोजन हो या केतु के साथ सूर्य ग्रह का संयोजन हो तो ऐसी स्थिति में भी पितृ दोष बनता है. इस दोष की वजह से जीवन में विकास रुक जाता है. ऐसे व्यक्तियों की या तो नौकरी लगती नहीं है या लगती है तो बहुत ही कम वेतन वाली. ऐसे व्यक्तियों की धन हानि होने लगती है.
पितृ दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय:----
- रोजाना कौवों व पक्षियों को खाना खिलाएं.
- काशी और गया अवश्य जाएं और वहां अपने दिवंगत पूर्वजों का तर्पण करें.
- पूरे नियम और विधि विधान के साथ किसी विद्वान ज्योतिषी से पितृ दोष निवारण पूजा कराएं.
- अमावस्या के दिन सफेद गाय को सुबह हरी घास चढ़ाएं और उनका आशीर्वाद लें. ऐसा करने से आपको पितृदोष की समस्या का समाधान प्राप्त होगा.
5. गुरु चांडाल दोष :---- सबसे बड़े नकारात्मक दोषों में से एक दोष 'गुरु-चांडाल' दोष है. अगर कुंडली में राहु बृहस्पति एक साथ हों तो यह दोष बन जाता है. कुंडली में कहीं भी यह दोष बनता हो हमेशा नुकसान ही करता है. अगर यह लग्न, पंचम या नवम भाव में हो तो विशेष नकारात्मक होता है.
गुरु-चांडाल दोष का अगर समय पर उपाय न किया जाए तो कुंडली के तमाम शुभ योग भंग हो जाते हैं. अक्सर यह दोष होने से व्यक्ति का चरित्र कमजोर होता है. इस योग के होने से व्यक्ति को पाचन तंत्र, लिवर की समस्या और गंभीर रोग होने की सम्भावना बनती है. ऐसे व्यक्ति फिजूलखर्ची में या इधर-उधर धन खर्च कर देते हैं और अपने भविष्य के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं.
गुरु चांडाल दोष निवारण के ज्योतिषीय उपाय:---
- गायत्री मंत्र का जाप करें.
- प्रतिदिन सुबह और शाम के समय 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें.
- भगवान विष्णु की उपासना करें और बृहस्पति ग्रह की प्रत्येक गुरुवार पूजा करें.
- गुरुवार के दिन गायों को और जरूरतमंद लोगों को चना दाल और गुड़ का दान करें.
- चांडाल दोष पूजा कराएं.
- प्रतिदिन 108 बार ‘ॐ गुरुवे नमः’ मंत्र का जाप करें.
- ‘ॐ राहवे नमः’ मंत्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करें.
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