दीपक

#दीपक_कई_प्रकार के होते हैं, जैसे चांदी के दीपक, मिट्टी के दीपक, लोहे के दीपक, तांबे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक तथा आटे से बनाए हुए दीपक। ज्यादातर मिट्टी के दीपक ही जलाने का प्रचलन है जो अधिक शुभ होते हैं। आइए जानते हैं कि कौन-सा दीपक किस उद्देश्य से जलाया जाता है।*

आटे का दीपक
किसी भी प्रकार की साधना या सिद्धि के लिए आटे का दीपक जलाते हैं और इसे ही पूजा करने के लिए सबसे उत्तम मानते हैं।

घी का दीपक
आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए रोजाना घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। आश्रम तथा देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए भी शुद्ध गाय के घी का या तिल के तेल का उपयोग किया जाता है।

सरसों के तेल का दीपक
शत्रुओं से बचने के लिए भैरव जी के यहां सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों का दीपक जलाते हैं।
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तिल के तेल का दीपक
शनि ग्रह की आपदा से मुक्ति के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।

महुए के तेल का दीपक
पति की लंबी आयु की मनोकामना को पूर्ण करने के लिए घर के मंदिर में महुए के तेल का दीपक जलाना चाहिए।

अलसी के तेल का दीपक
राहू और केतु ग्रहों की दशा को शांत करने के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 

चमेली के तेल का तिकोना दीपक
संकटहरण हनुमान जी की पूजा करने के लिए तथा उनकी कृपा आप पर सदैव बनी रहे, इसके लिए चमेली के तेल का तीन कोनों वाला दीपक जलाना चाहिए।

तीन बत्तियों वाला घी का दीपक
गणेश भगवान की कृपा पाने के लिए रोजाना तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए।

चार मुख वाला सरसों के तेल का दीपक
भैरव देवता को प्रसन्न करने के लिए चार मुख वाला सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इस उपाय को करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

पांच मुखी दीपक
किसी केस या मुकद्दमे को जीतने के लिए भगवान के आगे पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए। इससे कार्तिकेय भगवान प्रसन्न होते हैं।

सात मुखी दीपक
माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा घर पर बनी रहे, इसके लिए उनके सामने सात मुख वाला दीपक जलाना चाहिए।

12 मुख वाला दीपक
शिव भगवान को प्रसन्न करने के लिए घी या सरसों के तेल का आठ या बारह मुख वाला दीपक जलाना चाहिए।

16 बत्तियों का दीपक
विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए इनके समक्ष रोजाना सोलह बत्तियों का दीपक जलाना चाहिए। दशावतार की पूजा के लिए दशमुख वाला दीपक जलाएं।

गहरा और गोल दीपक
ईष्ट सिद्धि के लिए या ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक गहरा और गोल दीपक प्रज्वलित करें।
मध्य से ऊपर की ओर उठा हुआ दीपक
शत्रुओं से बचने या किसी भी आपत्ति के निवारण के लिए मध्य से ऊपर की ओर उठे हुए दीपक का प्रयोग जलाने के लिए करना चाहिए।

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