भरणी
2- भरणी ( MUSCA )
🔹स्वामी – शुक्र
🔹देवता – यम
🔹वृक्ष - केला , आंवला
🔹अक्षर – ली , लू , ले , लो
ऐसे व्यक्ति दृढ़ निश्चयी , वचन के पक्के , काम को धून से पूरा करने वाले , स्वस्थ , सदाचारी , सुखी होते हैं । जिस काम का बीड़ा उठा ले उसे पूरा करके ही चैन लेते हैं । काम को शीघ्र समयबद्ध पद्धति से पूरा करना इनका गुण होता है ( वराह )
कम खाने वाले होते हैं । इनका शरीर स्वस्थ होता है । साथ ही यह लोग प्रेम करने में बड़े प्रबल विदग्ध लोगों के समान आचरण करने वाले और आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं
( नारद )
इनका स्वभाव कुछ ऐसा होता है कि यह अपने व्यवहार से कुछ बदनाम भी होते हैं और मनोविनोद के कामों में इनका मन अधिक रमता है । इनकी प्राकृतिक में शीघ्र सफलता पाने की लालसा रहती है । यह लोग प्रायः पानी से डरते हैं । सुरा सुंदरी के प्रयोग से भी इन्हें परहेज नहीं होता है ।
भरनी नक्षत्र पर कुप्रभाव हो तो जातक झूठ बोलने वाला , सध्य पर दृष्टि रखने वाला , साधनों की पवित्रता पर कम ध्यान देने वाला , कई पुत्रों का पिता व दूसरों के धन निकलवाने में माहिर होते हैं । व्यवहार से यह शत्रु भी अधिक बना लेते हैं । ( पराशर )
बलवान् , शत्रुओं पर अचानक आक्रमण करने वाला , चालाक , धार्मिक कार्यों में रुचि रखनेवाला , चित्रकार , धोखेबाज़ , निम्न स्तर के कार्य करने वाला तथा उन्नति का आकांक्षी ।
👉प्रथम चरण हो तो हाथी के समान छोटी व मदमाती आँखें , मोटी विशाल नाक , हाथी के समान दोनों ओर से उभारयुक्त सिर , ऊपरी धड़ में अपेक्षाकृत भारीपन , मोटी व भरी हुई भौहें , पतले बाल , शरीर के रोम मोटे व खुरदरे होते हैं । कभी - कभी सिर पर बाल भी कम अर्थात् कम घने होते हैं ।
👉द्वितीय चरण में सांवली रंगत , कोमल शरीर , हिरण के समान तरल सी आँखें , शरीर में भारीपन , कमर में बेल्ट की जगह पर लटकते मांस ( कुल्ले ) का अभाव , मजबूत छाती व मजबूत पैर , लटकता सा पेट , लटकते ढलवां कन्धे , अधिक बोलने की आदत , स्वभाव से डरपोक होता है ।
👉तृतीय चरण में चपल शरीर , सफेद सी पुतलियाँ , शक्ल से निर्दय व कठोर , बड़ा लम्बा चौड़ा शरीर , स्त्रियों के साथ सम्पर्क बनाने वाला , कुछ लोभी , चंचल स्त्री का पति होता है ।
👉चतुर्थ चरण में बन्दर के समान मुखाकृति वाला , बालों व रोमों में भूरापन , हिंसक स्वभाव , झूठ बोलने की आदत , अधिक बोलना , दोस्ती निभाने वाला , गुप्त रोगी अर्थात् गुप्तांगों के किसी रोग से पीड़ित होता है ।
♦️कारकत्व -
भरणी रक्त व मांस से सम्बन्धित लोग , अर्थात् रक्तपरीक्षक , खून बहाने वार हिंसक प्राणी या मनुष्य , हत्यारे , जल्लाद , कसाई , मांस काटने वाले मारपीट , बदमाशी आतंक फैलाने वाले लोग पुलिस कस्टम आदि विभाग , भूसा , भूसे वाले अनाज , नीच कुल व स्वभाव के लोग , सर्वथा तमोगुणी लोग , क्रूर तान्त्रिक शवसाधना करने वाले शव परीक्षा करने वालेलोग भरणी के कारकत्व में हैं । शारीरिक कष्ट या हानि पहुंचाने वाले विषादि पदार्थ भी इसके अन्तर्गत होने से दवा आदि का विपरीत प्रभाव भी इसी के अन्तर्गत है शस्त्र , अस्त्र , वकील , मुकद्दमा , कोर्ट - कचहरी , युद्ध भी इसी के अन्तर्गत है । 🔹🔹🔹🔹🔹
💢यह एक सामान्य जानकारी है कोई आवश्यक नहीं है कि आपके जीवन से सभी बातें मिलान करें ।
कुंडली में विराजम ग्रहों के अनुसार फलादेश में परिवर्तन होता है ।
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