कुंडली में सूर्य शनि की युति

कुंडली में सूर्य शनि की युति


सूर्य-शनि युति प्रतियुति जीवन को पूर्णत: संघर्षमय बनाते हैं। विशेषत: जब यह युति लग्न, पंचम, नवम या दशम में हो व दोनों (सूर्य-शनि) में से कोई ग्रह इन भावों का कारक भी हो तो यह योग जीवन में विलंब लाता है। बेहद मेहनत के बाद, समय बीत जाने पर सफलता आती है।
 

सूर्य और शनि पिता-पुत्र होने पर भी परस्पर शत्रुता रखते हैं। वैसे भी प्रकृति का विचार करें तो ज्ञान और अंधकार साथ मिलने पर शुभ प्रभाव अनुभूत नहीं होते। सूर्य-शनि युति प्रतियुति जीवन को पूर्णत: संघर्षमय बनाते हैं।

विशेषत: जब यह युति लग्न, पंचम, नवम या दशम में हो व दोनों (सूर्य-शनि) में से कोई ग्रह इन भावों का कारक भी हो तो यह योग जीवन में विलंब लाता है। बेहद मेहनत के बाद, समय बीत जाने पर सफलता आती है। पिता-पुत्र में मतभेद हमेशा बना रहता है और दूर रहने के भी योग बनते हैं।

सतत संघर्ष से ये व्यक्ति निराश हो जाते हैं, डिप्रेशन में भी जा सकते हैं। यदि शनि उच्च का हो व कारक हो तो 36वें वर्ष के बाद, अपनी दशा-महादशा में सफलता जरूर देता है।

यह युति होने पर व्यक्ति को सतत परिश्रम के लिए तैयार रहना चाहिए, पिता से मतभेद टालें, ज्ञानार्जन करें, आध्यात्मिक साधना से अपना मनोबल मजबूत करना चाहिए। सूर्य व शनि शांति के अन्य उपाय करते रहें।

पिता और पुत्र में तालमेल काफी ख़राब होता है. कभी कभी पिता और पुत्र में से एक ही जीवित भी रहता है. पिता के साथ पुत्र का बंटवारा हो जाता है या पुत्र पिता को छोड़ देता है. कभी कभी पिता, अपने पुत्र  के साथ दुर्व्यवहार करता है. पिता अपने पुत्र को अपने जीवन और संपत्ति से दूर कर देता है.

अगर पुत्र का संबंध पिता से बहुत खराब हो
पिता रोजाना सुबह सूर्य को जल अर्पित करें. हर शनिवार पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पीपल के वृक्ष की 19 बार परिक्रमा करें. रिश्तों से जल्द ही कड़वाहट दूर हो जाएगी.

अगर सूर्य शनि के कारण किसी की आयु का संकट हो 
पिता और पुत्र दोनों, नित्य प्रातः " नमः शिवाय" का 108 बार जाप करें. शनिवार को दोनों ही काले तिल और गुड़ का दान करें. दोनों को ही सावन में शिव जी का रुद्राभिषेक करवाते रहना चाहिए.

अगर पिता अपने पुत्र के साथ दुर्व्यवहार करते हों 
पुत्र  नित्य प्रातः काले तिल मिलाकर सूर्य को जल अर्पित करें.  पुत्र को रविवार का उपवास रखना चाहिए , इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए. पुत्र को काले रंग के वस्त्रों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए.

अगर पुत्र अपने पिता के साथ दुर्व्यवहार करता हो
पिता को नित्य प्रातः सूर्य को रोली मिला हुआ जल अर्पित करना चाहिए. रोज शाम को भगवान विष्णु को पीले फूल अर्पित करें. लाल रंग के वस्त्र कम से कम धारण करें

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